डेंगू व चिकनगुनिया से बचना है तो मच्छरों से रहें सावधान

चिकनगुनिया और डेंगू का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, खासतौर से सुबह और दोपहर में। इसलिए इन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज्यादा हो। अपनी शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाले उत्पाद या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें। पेय पदार्थ को ज्यादा से ज्यादा अपने आहार में शामिल करें। मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है। बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पेन किलर ले सकते हैं वो भी डॉक्टर की सलाह पर लें।

डेंगू संक्रामक रोग नहीं है और न ही यह एक व्यक्ति से दूसरे तक छूने, साथ खाने और छींकने-खांसने से नहीं पहुंचता। इसमें तेज बुखार आता है, 104 डिग्री तक भी, और सिर-दर्द व बदन-दर्द होता है। चकत्ते भी दिखाई पड़ते हैं और खुजली होती है। कई बार मिचली आती है और उल्टी तक हो जाती है। यदि पेट में दर्द, काला मल, और घबराहट महसूस हो, नाक, मुंह से खून आए तो स्थिति को गंभीर डेंगू कहा जा सकता है। यदि रक्तस्राव हो या प्लेटलेट काउन्ट 10 हजार से नीचे चला जाए तो चिंता का विषय है। पपीते के कोमल पत्तों का रस लेने से और बकरी के दूध का सेवन करने से प्लेटलेट तेजी से बढ़ते हैं। अधिक ठंड के मौसम में डेंगू का खतरा कम हो जाता है।

क्या है चिकनगुनिया और डेंगू बुखार

डेंगू और चिकनगुनिया दोनों ही बुखार एडिस एजिप्ट मच्छर के काटने से फैलता है। दोनों ही बीमारियों में संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे तक प्रत्यक्ष तौर पर तो नहीं फैलता, लेकिन डेंगू और चिकनगुनिया वायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से यह तेजी से फैलता है। डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छर दिन में काटते हैं. आपको बता दें, चिकनगुनिया तथा डेंगू बुखार के बीच अंतर करना कठिन हो सकता है लेकिन हम आपको कुछ बारीक फर्क बता रहे हैं।

मच्छर आता कहां से है?

चिकनगुनिया और डेंगू दोनों बीमारियां एक ही वायरस से होती हैं। इस वायरस वाला मच्छर साफ पानी में पनपता है जो आपके कूलर या गमले में कहीं भी हो सकता है। बरसात की वजह से वातावरण में जो नमी होती है उससे चिकुनगुनिया और डेंगू के मच्छर और ज्यादा पनपते हैं।

चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण

चिकुनगुनिया और डेंगू के लक्षण तकरीबन एक जैसे ही हैं। जैसे की त्वचा पर रैशेज पड़ना, बुखार आना और कमजोरी. लेकिन डेंगू में जहाँ प्लेटलेट्स घट जाते हैं वहीं चिकुनगुनिया में मसल्स और बोन में पेन बहुत ज्यादा होता है। मच्छर काटने के दो से एक सप्ताह बाद इसके लक्षण नजर आते हैं। चिकनगुनिया बुखार आमतौर पर जानलेवा नहीं होता लेकिन पहले से बीमार, बुजुर्गों और बच्चों के जीवन के लिए यह खतरनाक साबित हो सकता है। बदन दर्द, ज्वाइंट में दर्द, चकते निकलना, बुखार, सिर दर्द, कमजोरी, भूख न लगना और उल्टी, खांसी, जुकाम इसके प्रमुख लक्षण हैं।

चिकनगुनिया और डेंगू की पहचान

चिकनगुनिया का पता ब्लड टेस्ट और कुछ जरूरी चिकित्सा परिक्षाओं से किया जा सकता है, जिसमें सेरोलॉजिकल और विरोलॉजिकल टेस्ट शामिल हैं. वहीं एनएस 1 टेस्ट डेंगू के लक्षण सामने आने पर शुरूआती पांच दिनों के अंदर किया जाना चाहिए।

कैसे बचें चिकनगुनिया और डेंगू से

चिकनगुनिया और डेंगू का मच्छर पूरा दिन सक्रिय रहता है, खासतौर से सुबह और दोपहर में। इसलिए इन जगहों पर जाने से बचें, जहां मच्छर ज्यादा हो। अपनी शरीर पर मच्छर को दूर भगाने वाले उत्पाद या रात को सोते समय नेट का इस्तेमाल करें। पेय पदार्थ को ज्यादा से ज्यादा अपने आहार में शामिल करें।

मच्छरों द्वारा काटे जाने से बचें, क्योंकि मच्छर आपको काटने के बाद आपके शरीर का इंफेक्शन दूसरे व्यक्ति के शरीर में संक्रमित कर सकता है। बुखार और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पेन किलर ले सकते हैं वो भी डॉक्टर की सलाह पर लें। घर पर आराम करें और अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें। मच्छरों से बचें- घरों में रखे गमलों और मनी प्लांट के पौधे से पानी को बदलते रहना चाहिए. घर में रखे पानी से भरे सजावटी सामान से डेंगू के मच्छर पैदा होते. कूलर और वॉथरूम में बाल्टी में पानी नहीं जमने देना चाहिए। शरीर को ढक कर रखें।

अफ्रीका से आई चिकनगुनिया की बीमारी

चिकनगुनिया सबसे पहले अफ्रीका स्थित तंजानिया और मोजांबिक के पास मकोंडे नामक स्थान पर 1952-53 में फैला था। उसके बाद यह फिलीपींस में आया। भारत में 1960 के बाद इसके फैलने की रिपोर्ट है। यह एक वायरल बुखार है जो एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर के काटने से फैलता है। यह बीमारी सीधे एक मनुष्य से दूसरे में नहीं फैलती। चिकनगुनिया वायरस की चपेट में आए बीमार व्यक्ति को एडीज मच्छर के काटने के बाद फिर स्वस्थ व्यक्ति को काटने से फैलता है। इसका मच्छर दिन में ही काटता है।

यह भी हैं बचाव के कुछ उपाय

रोगग्रसित मरीज का तुरंत उपचार शुरू करें व तेज बुखार की स्थिति में पेरासिटामाल की गोली दें। एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक जैसी अन्य दर्द निवारक दवाई न लें। खुली हवा में मरीज को रहने दें व पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी दें जिससे मरीज को कमजोरी न लगे। फ्लू एक तरह से हवा में फैलता है अत: मरीज से 10 फुट की दूरी बनाए रखें तो फैलने का खतरा कम रहता है। जहां बीमारी अधिक मात्रा में हो, वहां फेस मॉस्क पहनना चाहिए। घर के आसपास मच्छरनाशक दवाइयां छिड़काएं। एडिस मच्छर दिन में काटते हैं, अत: शरीर को पूर्ण रूप से ढंकें। पानी के फव्वारों को हफ्ते में एक दिन सुखा दें। घर के आसपास छत पर पानी एकत्रित न होने दें। घर का कचरा सुनिश्चित जगह पर डालें, जो कि ढंका हो।

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