खेल के मैदान में देश का गौरव बढ़ाती बेटियां

#PV Sindhu, Mansi Joshi, Komalika, Hima Das, Dutti Chand, Vinesh Phogat, Manu Bhakar, Deepa Karmakar, Geeta Phogat,Daughters increase the pride of the country in the playground

दंगल फिल्म का मशहूर डॉयलाग- म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के…ह्य तो आपको याद ही होगा। वास्तव में आज हमारी बेटियां किसी मायने में बेटों से कम नहीं हैं। जीवन के हर क्षेत्र में बेटियां नये-नये कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। खेल के मैदान में बेटियां नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। पीवी सिंधु, मानसी जोशी, कोमलिका, हिमा दास, दुत्ती चंद, विनेश फोगाट, मनु भाकर, दीपा कर्माकर, गीता फोगाट, साक्षी मलिक, मिथाली राज, झूलन गोस्वामी, अपूर्वी चंदेला, इलावेनिल वालारिवान सीमा पुनिया आदि ये सूची काफी लम्बी है। आये दिन देश की बेटियां देश की झोली में मेडल उपहारस्वरूप डालकर देश में उत्सव का वातावरण बना देती हैं।

पिछले दिनों देश की चार होनहार बेटियों पीवी सिंधु, मानसी जोशी, कोमलिका और इलावेनिल वालारिवान ने देश का मस्तक विश्व में ऊंचा किया। 24 साल की पुसरला वेंकट सिंधू यानी पीवी सिंधु ने बासेल में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन द्वारा आयोजित विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में जापान की अपने से उच्चतम रैंक की महिला खिलाड़ी को सीधे सेटों में हराकर देश की झोली में एक ह्यस्वर्ण पदकह्ण डाला। सिंधु ने शानदार ढंग से फाइनल जीता और 2017 में फाइनल में हुई हार का बदला ओकूहारा से लिया। सिंधु ये कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। मौलिक प्रतिभा की धनी सिंधु की नजर अब अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के लक्ष्य की ओर है। बैडमिंटन के प्रति उसके जुनून व समर्पण को देखते हुए यह लक्ष्य मुमकिन लगता है।

बासेल स्विटजरलैंड में पैरा वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में मानसी जोशी ने महिला एकल में गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया। रविवार को पीवी सिंधु के खिताब जीतने से कुछ घंटे पहले मानसी पदक जीत चुकी थीं। 2011 में उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। एक सड़क दुर्घटना के चलते वह करीब दो महीने तक अस्पताल में रहीं। दुर्घटना ने मानसी के शरीर को चोट पहुंचाई लेकिन उनके हौसले को डिगा नहीं पाई। ट्रक से लगी उस चोट के लिए मानसी को अपनी बाईं टांग गंवानी पड़ी। लेकिन कृत्रिम टांग के जरिए वह फिर खड़ी हुईं और खेलना शुरू किया। उनकी आंखों में बैडमिंटन का सपना था। वह हैदराबाद के पुलेला गोपीचंद अकादमी में पहुंची। 2017 में साउथ कोरिया मे हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने ब्रॉन्ज मेडल जीता।

सिंधु की तरह जमशेदपुर की 17 वर्षीय बेटी कोमालिका बारी ने जापान की ही उच्च रैंकिंग महिला खिलाड़ी सोनोदा वाका को हराकर देश के लिए दूसरा स्वर्ण पदक हाासिल किया। पिता ने बेटी के लिए घर बेच कर तीन लाख का आधुनिक तीर-धनुष खरीदा था। कोमलिका ने घर के हालातों और कमियों को भूलकर खेल पर ध्यान केंद्रित किया। और नतीजा सबके सामने है। भारतीय युवा महिला निशानेबाज इलावेनिल वालारिवान ने रियो डी जनेरियो में चल रहे शूटिंग वर्ल्ड कप 2019 में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है। 20 वर्षीय इलावेनिल अपने पहले सीनियर शूटिंग विश्व कप में महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल श्रेणी में विश्व कप में स्वर्ण जीतने वाली तीसरी भारतीय निशानेबाज बनी। इनसे पहले अपूर्वी चंदेला और अंजलि भागवत ने ये कारनामा किया है। 251.7 अंकों के साथ इलावेनिल ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया। वालारिवान इससे पहले जूनियर वर्ल्ड कप में दो गोल्ड जीत चुकी है।

भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मेरी कॉम ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप से पहले इंडोनेशिया के लाबुअन बाजो में 23वें प्रेसिडेंट्स कप में गोल्ड मेडल मेडल जीतकर अपनी शानदार फॉर्म दिखाई है। ओलंपिक कांस्य पदकधारी मेरी कॉम ने 51 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में आॅस्ट्रेलिया की एप्रिल फ्रैंक्स को 5-0 से शिकस्त दी है। छह बार की वर्ल्ड चैम्पियन एमसी मेरी कॉम ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप से पहले प्रेसिडेंट्स कप में गोल्ड मेडल जीतकर अगले ओलम्पिक के लिए अपना दावा मजबूत किया है।

भारत की गोल्डन गर्ल स्टार एथलीट 19 साल की हिमा दास ने बीती जुलाई में 19 दिन के भीतर 5ं गोल्ड मेडल जीतकर सिर सारी दुनिया में देश सिर ऊंचा किया। हिमा की कहनी भी काफी दिलचस्प है। 18 साल की हिमा असम के छोटे से गांव ढिंग की रहने वाली हैं और इसीलिए उन्हें ह्यढिंग एक्सप्रेसह्ण के नाम से भी जाना जाता है। वह एक गरीब किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अभाव और तंगहाली के बीच हिमा दास ने ये कारनामा कर दिखाया है। हिमा पहली ऐसी भारतीय महिला बन गई हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में गोल्ड मेडल जीता है। हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रेकॉर्ड अपने नाम किया। हिमा की सफलताओं को देखते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी ट्वीट करके उन्हें बधाई दी।

भारतीय एथलीट दुत्ती चंद भी लगातार ट्रेक पर धमाल कर रही हैं। दुत्ती चंद ने जुलाई में इटली के नेपल्स में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के 100 मीटर दौड़ का गोल्ड अपने नाम किया था। उन्होंने 11.32 सेकंड में 100 मीटर की दूरी नापी। उनसे पहले किसी अन्य भारतीय ने अभी तक यह कीर्तिमान नहीं रचा था। यूनिवर्सिटी गेम्स में यह भारत का पहला गोल्ड है। दो बार की एशियन चैम्पियन दुत्ती सौ मीटर की राष्ट्रीय रिकार्डधारी भी हैं। दुत्ती चंद इससे पूर्व भी कई बड़ी प्रतियोगिताओं में विजय परचम लहरा चुक है।

कॉमनवेल्थ खेल और युवा ओलंपिक की गोल्ड मेडल विजेता निशानेबाज मनु भाकर ने बीते अप्रैल को चीन के बीजिंग में चल रहे आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड जीता। मनु भाकर और सौरभ चैधरी ने 10 मीटर एयर पिस्टल मिकस्ड इवेंट में ये गोल्ड अपने नाम किया था। इस साल मनु और सौरभ ने दूसरी बार गोल्ड पर निशाना लगाया है। इससे पहले दोनों निशानेबाजों ने इसी साल फरवरी में नई दिल्ली में आयोजित आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में गोल्ड मेडल जीता था। भारतीय शूटर अपूर्वी चंदेला ने बीती मई को 10 मीटर एयर राइफल कैटेगिरी में दुनिया की नंबर 1 निशानेबाज बन गई। अपूर्वी ने 1926 पाइंट के साथ वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप स्थान हासिल किया। उन्होंने इस साल फरवरी में आयोजित आईएसएसएफ वर्ल्ड कप में 252.9 वर्ल्ड रिकॉर्ड स्कोर के साथ गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

वास्तव में बेटियां बेटों से कम नहीं होती। हमारा और समाज का नजरिया ही कुछ ऐसा है कि हम उन्हेंं कम समझ बैठते हैं। बेटियों को प्रोत्साहन की जरूरत है। उनमें भी दमखम और प्रतिभा कूट-कूट कर भरी है। जरूरत केवल उनका मनोबल बढ़ाने और प्रोत्साहन देने की है। फोगाट बहनों का खूबसूरत उदाहरण हमारे सामने है। जहां पिता की प्रेरणा से चार बहनें आज अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। देश की इन बेटियों पर हम सभी देशवासियों को गर्व है। जिन्होंने देशवासियों को खुशी के पल दिये। जश्न मनाने का मौका दिया है। इसके लिए हम उन्हें शुक्रिया कह सकते हैं।
-आशीष वशिष्ठ

 

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