मुस्लिम देशों के लिए भी ‘जाकिर’ भस्मासुर साबित होगा

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जाकिर नाइक एक भस्मासुर है, इसका अहसास मलेशिया को भी अब हो रहा है। जाकिर नाइक ने एक भगोडा होते हुए भी मलेशिया में हिन्दुओं और चीनियों के खिलाफ न केवल विषवमन किया बल्कि हिन्दुओं और चीनियों को खदेडने और उनके सर्वनाश करने, जमींदोज करने का फरमान भी सुना दिया। जाकिर ने अपने एक भाषण में कह डाला कि मलेशिया एक इस्लामिक देश है, इसलिए यहां हिन्दुओं और चीनियों को रहने का अर्थ इस्लाम का अपमान करना है, इस्लाम में काफिरों का वध करना, उन्हें प्रताडित करना पुण्य कार्य है। जाकिर नाइक की इस जिहादी फरमान की गूंज पूरी दुनिया में सुनी गयी। पूरी दुनिया की जनमत मलेशिया के अल्पसंख्यकों के प्रति जाकिर नाइक के फरमान को लेकर चिंताग्रस्त है, सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की जनमत अब जाकिर नाइक को ओसामा बिन लादेन जैसा आतंकवाद का सरगना मानने के लिए बाध्य है। मलेशिया में छह प्रतिशत हिन्दू हैं जबकि चीनियों की संख्या करीब 25 प्रतिशत है।

जाहिर तौर पर जाकिर नाइक खतरनाक और घृणास्पद तथा विषवमन करने वाला मजहबी सरगना है, ठीक उसी तरह जिस तरह प्रारंभिक दौर में ओसामा बिन लादेन खतरनाक, घृणास्पद, विषवमन करने वाला मजहबी सरगना था जो बाद में चलकर घृणित और अमानवीय आतंकवाद का सरगना बन बैठा था। पाकिस्तान और अफगानिस्तान कभी ओसामा बिन लादेन की घृणास्पद, खतरनाक और जिहादी तकरीरों पर चमत्कृत होते थे। दुष्परिणाम क्या निकला? दुष्परिणाम कितना अमानवीय और कितना खून-खराबा वाला निकला? ओसामा बिन लादेन के कारण ही अफगानिस्तान में लाखों लोग मारे गये, जहां पर आज भी शांति दूर है, हमारा इस्लाम अच्छा, तुम्हारा इस्लाम बुरा के नाम पर अफगानिस्तान में सत्ता संघर्ष गृह युद्ध में तब्दील हो चुका है। अफगानिस्तान का भविष्य क्या होगा? अमेरिका जब अफगानिस्तान छोड कर चल जायेगा तब अफगानिस्तान के कई फिरकों में विभाजित होने के खतरे हैं।

पाकिस्तान का हाल भी देख लीजिये। पाकिस्तान खुद आतंकवाद का घर बन बैठा हुआ है। ओसामा बिन लादेन को पालने पोसने और दबा कर रखने में खुद पाकिस्तान आतंकवाद के कारण आतंकवादी हिंसा का शिकार है। जाहिर तौर पर ओसामा बिन लादेन की घृणास्पद और विषवमन की मानसिकताएं पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, पाकिस्तान की राजनीति, पाकिस्तान की सामाजिक व्यवस्थाएं चैपट कर दी थी। आज पाकिस्तान को कटोरे लेकर दुनिया भर में भीख मांगनी पड रही है फिर भी पाकिस्तान को भीख नहीं मिल रही है। हर अतंराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को अपमानित होना पड़ रहा है, आज एक तरह से पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अलग-थलग पड़ गया है। अगर अफगानिस्तान और पाकिस्तान ने ओसामा बिन लादेन के घृणास्पद और लहूलुहान करने वाली मानसिकताओं के सहचर नहीं बनते तो फिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान की आज यह बुरी स्थिति नहीं होती, दोनों देशो में शांति होती, अर्थव्यवस्था को हिंसा मुक्त वातावरण मिलता।

मलेशिया जैसे देश ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान के हश्र को नहीं देखा, ओसामा बिन लादेन के सबक को समझा नही। अगर मलेशया ने अफगानिस्तान-पाकिस्तान के हश्र को समझा होता, ओसामा बिन लादेन के सबक को समझा होता तो फिर जाकिर नाइक को न केवल भस्मासुर मानते बल्कि अपनी संपभुत्ता के लिए भी खतरा मानते। मलेशिया ने इस्लाम के नाम पर उस भस्मासुर को संरक्षण दे दिया जिसकी मानसिकताएं खुद को संरक्षण देने वालों के खिलाफ भस्मासुर बनने वाली है। विभिन्न समुदायों के बीच घृणा फैलाना, भारत में ही नहीं बल्कि मुस्लिम देश बांग्लादेश में आतंक का प्रतीक बन जाना उसकी मानसिकताएं रही है। जाकिर नाइक कौन है, यह कौन नहीं जानता है। वह न केवल घृणास्पद और खून-खराबा करने के लिए गुमराह लोगों को प्रेरित करता है बल्कि आतंकवाद भी फैलाता है। जिस तरह से कभी ओसामा बिन लादेन ने आतंकवाद फैलाने के लिए इस्लाम की घुट्टी लोगों को पिलाता था उसी प्रकार से जाकिर नाइक भी इस्लाम के नाम पर घृणा और आतंकवाद फैलाता रहा है।

जाकिर नाइक की विनाशक भूमिका बांग्लादेश की सरकार ने सबसे पहले पहचानी थी। जाकिर नाइक को ओसामा बिन लादेन जैसा खतरनाक सरगना बांग्लादेश की सरकार ने माना था। बांग्लादेश की गुप्तचर एजेसियां का मानना था कि जाकिर नाइक के भाषणों के कारण बांग्लादेश में आतंकवादी मानसिकताएं पसर रही है, मुस्लिम युवक गुमराह हो रहे हैं। यह एक सच्चाई थी। इस सच्चाई को स्वीकार करने और इस सच्चाई को दुनिया भर में उजागर करने की हिम्मत बांग्लादेश की सरकार ने दिखायी थी। बांग्लादेश में एक बडी आतंकवादी घटना घटी थी, जिसमें कई लोग मारे गये थे। उस आतंकवादी घटना ने पूरे बांग्लादेश को अस्थिर कर दी थी। उस आतंकवादी घटना के सरगनाओं के संबंध जाकिर नाइक से थे।

बांग्लादेश की गुप्तचर एजेसियों ने इसकी सूचना भारतीय सुरक्षा एजेसियों को दी थी। ऐसी जानकारी भारतीय सुरक्षा एजेसियों को पहले से ही थी पर राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण भारत की सुरक्षा एजेंसियों के हाथ बंधे हुए थे। बांग्लादेश की सरकार ने जाकिर नाइक के सभी भाषणों पर प्रतिबंध लगा दिया। जाकिर नाइक के भाषणों के कैसेट और प्रिंट प्रति रखने वालों को आतंकवादी घोषित करने का फरमान सुना दिया गया। भारत की वर्तमान सरकार ने जब जांच शुरू करायी तब बडी चैकाने वाली बातें सामने आयी थी। यह स्पष्ट हुआ था कि भारत की संप्रभुत्ता और एकता-अखंडता के खिलाफ जाकिर नाइक अप्रत्यक्ष युद्ध में शामिल था। जब गिरफ्तारी की तलवार लटकी तो फिर जाकिर नाइक भाग कर मलेशिया चला गया।

मलेशिया के लिए भी अब जाकिर नाइक भस्मासुर बन गया है। मलेशिया को भी अब उसके खतरे, उसकी हिंसा, उसकी हिंसक मानसिकता का डर सताने लगा है। जाकिर नाइक जो काम भारत में करता था वही काम मलेशिया में भी कर रहा है। मलेशिया अब संरक्षण देने की अपनी नीति पर जरूर पछता रहा है। मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद को पता ही नहीं है कि मलेशिया में जाकिर नाइक को संरक्षण और स्थायी नागरिकता कैसे मिली? दरअसल मलेशिया की सत्ता पर इस्लाम की जिहादी संगठनों की घुसपैठ है। जिहादी संगठनों ने ही जाकिर नाइक को स्थायी नागरिकता दिलायी है। सिर्फ जाकिर नाइक की कट्टरपंथी बोल पर प्रतिबंध लगाने से बात नहीं बनने वाली है। अगर इसी तरह जाकिर नाइक को संरक्षण मिलता रहा तो फिर एक न एक दिन मलेशिया का हाल भी अफगानिस्तान-पाकिस्तान जैसा ही होगा।
-विष्णुगुप्त

 

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