सोमवार तक नहीं भरा डाटा तो होगी कार्रवाई

यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम में 30 सरकारी व 16 प्राइवेट स्कूल नहीं दिखा रहे रूचि

  • यू डाइस को लेकर गंभीर नहीं जिले के 46 सरकारी व निजी स्कूल

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। पहली से 12वीं कक्षा तक संचालित सरकारी व निजी विद्यालयों को यू डाइस (यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेशन सिस्टम) प्रपत्र भरना अनिवार्य है। प्रपत्र भरने के बाद ही स्कूलों को यू डाइस कोड जारी होता है। जिसके माध्यम से उन्हें सरकार द्वारा देय समस्त सुविधाएं मिलती है। मगर हैरानी की बात है कि फिर भी जिले के 7 ब्लॉकों में से 3 ब्लॉक के 46 स्कूल अभी भी यू डाइस भरने में पिछड़े हुए है।

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इनमें 30 सरकारी व 16 निजी स्कूल शामिल है। यू डाइस का डाटा अपलोड नहीं करने वाले स्कूलों को शिक्षा विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर सोमवार तक डाटा उपलोड नहीं होता है तो उनकी रिपोर्ट विभाग को भेज दी जाएगी और इसके पश्चात पोर्टल को बंद कर दिया जाएगा। यू डाइस का डाटा नहीं भरने वाले स्कूलों को कोई भी ग्रांट जारी नहीं की जाएगी। जिसकी पूरी जिम्मेवारी स्कूल प्रबंधन की होगी।

1088 स्कूलों ने भरा यू डाइस

जिले के 7 ब्लॉकों में 1134 सरकारी व निजी विद्यालय है। जिनमें से 1088 स्कूलों ने अपने बच्चों का यू डाइस डाटा पोर्टल पर अपलोड कर दिया है। लेकिन अभी भी 46 विद्यालय ऐसे है जिन्होंने यू डाइस डाटा अपलोड नहीं किया है। इनमें सरसा खंड के 11 प्राइवेट व एक सरकारी स्कूल, नाथूसरी चोपटा ब्लॉक के 15 सरकारी व 4 प्राइवेट स्कूल और बड़ागुढ़ा ब्लॉक के 15 सरकारी व 1 प्राइवेट स्कूल ने डाटा अभी तक अपलोड नहीं किया है।

समग्र शिक्षा अभियान के जिला प्रोग्रामर नीरज मक्कड़ ने बताया कि 1 मार्च तक जिले के 46 स्कूलों ने यू डाइस का डाटा पोर्टल पर अपलोड नहीं किया है। इन विद्यालयों को अंतिम चेतावनी देते हुए सोमवार तक का समय दिया गया है। अगर सोमवार तक डाटा अपलोड नहीं करते है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ये देनी होती है जानकारी

यू डाइस डाटा में स्कूलों की सभी महत्वपूर्ण जानकारी देनी होती है। यूडाइस में संबंधित स्कूल मुखिया को अपने स्कूल के प्रत्येक कक्षा में छात्रों की संख्या, स्कूल के कमरे, विद्यार्थियों को दी जा रही सुविधाएं, शिक्षकों की स्थिति, उनकी योग्यता, वाहन व्यवस्था सहित संपूर्ण विवरण उल्लेखित करना होता है। यह जानकारी समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से उच्च मुख्यालय भेजी जाती है। जहां कोई भी इसके बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इसके आधार पर स्कूलों के लिए वित्तीय वर्ष में बजट निर्धारित व स्कूलों में विकास कार्य करवाने के लिए योजना बनाई जाती है।

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