Sri Lanka Crisis : श्रीलंका में कल हुए प्रदर्शन में 84 लोग घायल, धर्मगुरु थेरास ने तुरंत संसद सत्र बुलाने की मांग

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श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों से सावधानी बरतने का आग्रह

कोलंबो (एजेंसी)। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे अभी तक सिंगापुर के लिए रवाना नहीं हुए हैं। माले से सिंगापुर जाने के लिए एयरलाइंस का एक निजी विमान निर्धारित उड़ान के लिए उनकी प्रतीक्षा कर रहा है। श्रीलंका के महानायक थेरास ने गुरुवार को संसद अध्यक्ष से मुलाकात कर संसद सत्र को तुरंत बुलाने और देश में कानून व्यवस्था बहाल करने का आह्वान किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से आन्दोलन को अहिंसक रखने का अनुरोध किया। संसद जंक्शन के पास प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े।

श्रीलंकाई पुलिस ने कहा कि बुधवार को संसद के पास पोल्दुवा, बट्टारामूला में विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हुये एक सैनिक से 60 राउंड गोला बारूद के साथ एक टी -56 हथियार और दो मैगजीन छीन लिये गये। राष्ट्रीय अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि बुधवार के विरोध प्रदर्शन में कम से कम 84 लोग घायल हो गए। सुबह प्रधानमंत्री आवास पर करीब 42 लोग घायल हो गए। जबकि इतने ही लोग रात में संसद के निकट घायल हो गए। उन्होंने बताया कि घायलों में 79 पुरुष और पांच महिलाएं हैं। इनमें एक सेना अधिकारी, दो पुलिस अधिकारी और दो पत्रकार शामिल हैं। जैसे ही श्रीलंका के राष्ट्रपति एक जर्जर अर्थव्यवस्था को छोड़कर भाग गए, मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त कार्यालय ने सभी श्रीलंकाई लोगों से संयम बरतने और संघर्ष से बचने का आग्रह किया।

श्रीलंका: प्रधानमंत्री ने सेना को दिया व्यवस्था बहाल करने का आदेश

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बुधवार को उनके कार्यालय पर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद सेना को देश में शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए जो कुछ भी आवश्यक है वो करने का आदेश दिया है। विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे द्वारा कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद यह आदेश दिया, जो बुधवार को देश छोड़कर भाग गए। राष्ट्रपति गोटाबाया के देश छोड़कर चले जाने के फैसले से प्रदर्शनकारियों में आक्रोश और बढ़ गया और वे प्रधानमंत्री के भी देश से चले जाने की मांग करने लगे।

अधिकांश श्रीलंकाई देश की चरमराई अर्थव्यवस्था के लिए राजपक्षे सरकार को दोष ठहराते हैं और इसी साल मई में प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त विक्रमसिंघे को समस्या के एक हिस्से के रूप में देखते हैं। बुधवार को एक सप्ताह से भी कम समय में दूसरी बार प्रदर्शनकारियों ने पहले राष्ट्रपति आवास और इसके बाद प्रधानमंत्री के कार्यालय को अपने निशाने पर लिया।

टेलीविजन पर अपने एक संबोधन में श्री विक्रमसिंघे ने प्रदर्शनकारियों से अपने कब्जे वाले कार्यालय और अन्य राज्य भवनों को छोड़ने और अधिकारियों के साथ सहयोग करने का आह्वान किया, हालांकि प्रदर्शनकारियों ने उनके इस आह्वान को नजरअंदाज कर दिया। इधर प्रधानमंत्री के कार्यालय पर मौजूद एक प्रदर्शनकारी ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य गोटा गो होम का है और साथ ही हम यह भी चाहते हैं कि रानिल सहित कैबिनेट के अन्य सदस्य भी यहां से चले जाए।’

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