दिल्ली ‘आप’, भाजपा व कांग्रेस के लिए बनी चुनौती

A challenge for Delhi AAP, BJP and Congress

दिल्ली में चुनावों का बिगुल बज चुका है। इस बार भी स्थिति आप बनाम अन्य बनी हुई है। दिल्लीवासी पिछले पांच साल के आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज से खुश हैं। सरकार के शुरूआती सालों में अनुभव की कमी कहें या भारतीय जनता पार्टी की हार की टीस दिल्ली में माहौल बेहद तनाव का रहा। आए दिन उपराज्यपाल व दिल्ली सरकार के बीच 36 का आंकड़ा बना रहा।

यहां तक कि इस राजनीतिक उठापठक के चलते आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को भी निलम्बन का सामना करना पड़ा, आम आदमी पार्टी ने कोर्ट में जाकर लंबी लड़ाई लड़ी। स्वयं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यलय में सीबीआई के छापे पड़े, अरविंद केजरीवाल पर मानहानि के कई मुकदमे भी दर्ज हो गए, लेकिन एक वक्त के बाद सब शांत होने लगा, आम आदमी पार्टी धरने प्रदर्शनों से हट गई। मीडिया में रोज की तूं-तूं मैं शांत हो गई, केजरीवाल को लगा कि उनकी जुबान ने कई गलतियां की हैं सो उन्होंने माफी मांगकर विवादों का अंत कर दिया और आम आदमी पार्टी ने काम में मन लगा लिया।

जिसका नतीजा आज दिल्ली के दिल में आम आदमी व अरविंद केजरीवाल के लिए खास जगह बन गई है। दिल्ली में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है। बिजली सस्ती हुई, स्वास्थ्य व शिक्षा प्रबंध तो बेमिसाल हो गए। लेकिन अभी दिल्ली प्रदूषण, पानी की किल्लत व आबादी के बोझ तले है जिसके लिए अगले सालों में बहुत काम किया जाना है। अब भाजपा व कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी की तरह भ्रष्टाचार सहन न करने एवं विकास में कोई भेदभाव न होने देने की बातों पर जोर देकर अपनी राजनीतिक धारा बदल ली है। लेकिन मतदाता बदलाव की पहल बनी आम आदमी पार्टी को अब कसौटी बना चुका है, लिहाजा भाजपा-कांग्रेस के लिए आप चुनौती बन चुकी है। भाजपा की छवि को यहां पहले जीएसटी व नोटबंदी का धक्का है वहीं अब नागरिकता कानून को लेकर भी बहुत गुस्से एवं सवालों का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली में मुस्लिम अल्पसंख्यक इस बार जरूर भाजपा से इसका हिसाब करेंगे। कांग्रेस के पास कुछ भी नया नहीं है उसके पास दिल्ली में स्वर्गीय पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार के विकास की बातें एवं भाजपा के विरुद्ध सांप्रदायिक सकीर्णता का सहारा है। जिसके सहारे कांग्रेस यहां पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में भाजपा को ठिकाने लगा चुकी है वहीं वह महाराष्ट, झारखंड में भाजपा को किनारे कर चुकी है, कर्नाटक में भी कांग्रेस ने दम दिखाया था लेकिन वहां भाजपा ने अपनी चालों से पासा पलट लिया है।

दिल्ली में कांग्रेस अपनी स्थिति सुधार सकती है, वह भाजपा को तो पछाड़ सकती है परन्तु आम आदमी पार्टी ने जिस तरह की राजनीतिक विचारधारा चलाई है उसके चलते अभी कांग्रेस को बहुत मेहनत की जरूरत है। दिल्ली चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी यदि अच्छा बहुमत हासिल कर लेती है तब पंजाब में अवश्य वापिस करेगी, अगर आप पंजाब में वापिसी कर लेती है तब आने वाले दशकों में आप देश के भविष्य का अहम चेहरा होगी इसमें कोई शक नहीं।

 

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