पाक की नई पीढ़ी अफरीदी की बात को समझे

Shahid Afridi

पाकिस्तान की क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी ने कश्मीर मुद्दे पर जिस प्रकार पाकिस्तान के हालातों का बखान किया वह पाक के लिए बेहतर संदेश है। अफरीदी ने कहा था कि जिस पाकिस्तान से अपने चार राज्य नहीं संभाले जा रहे वह कश्मीर को कैसे संभालेगा। भले ही बाद में अफरीदी अपने बयान से पलट गए, क्योंकि वहां पलटना मजबूरी भी था।

सरकार, सेना और आतंकवादियों के बीच कौन सा खिलाड़ी खड़ा रह सकता है। फिर भी अफरीदी का पहला बयान पाकिस्तान के लिए शुभ संकेत है कि वहां से पाक की नई पीढ़ी असल सच्चाई से अवगत होगी। अफरीदी ने हकीकत को बयान किया है। इससे पहले पाक के नए बने प्रधानमंत्री व पूर्व क्रिकेटर इमरान खान भी सार्वजनिक तौर पर यह बात कह चुके हैं कि पाकिस्तान किसी और देश से लड़ाई नहीं लड़ सकता।

उनका इशारा कश्मीर की तरफ था। चाहे नई धारा के नेता स्पष्टता से आतंकवाद व कट्टरपंथियों के खिलाफ नहीं बोल रहे लेकिन वह अमन-शांति को प्राथमिकता दे रहे हैं। पाक के शिक्षित युवा व युवतियां आतंकवाद से परेशान हो चुके हैं। इससे यह भी स्पष्ट है कि पाक की राजनीति पर सेना व भारत विरोधी रूख का प्रभाव खत्म नहीं हुआ।

पाकिस्तान की आर्थिक मंदी नई पीढ़ी को अंदर ही अंदर खा रही है। युद्ध की धमकियां सैन्य अधिकारियों की पुरानी पैंतरेबाजी तक सीमित हैं लेकिन सेना के यह पैंतरे अब नेताओं व आम जनता के साथ ज्यादा समय तक नहीं चल सकते। नि:संदेह कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान अपना अलग से पक्ष तैयार करे। यह शहीद होने के बराबर है और अफरीदी को भी अपने जिंदगी की जरूरत है, फिर भी कश्मीर के संबंध में हकीकत मुंह से निकल गई जो पाकिस्तान में उम्मीद की किरण बनी है।

बेहतर होगा यदि पाकिस्तान की युवा पीढ़ी सच्चाई को समझकर आतंकवाद व भारत विरोधी नजरिए से बचे। इसी बात में ही पाक का भला है। पाकिस्तान भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाए तो पाकिस्तान में भी अवश्य परिवर्तन आएगा। अफरीदी जैसे युवा बेझिझक होकर अपनी बात कहेंगे और फिर अपनी बात पर कायम रहेंगे। आखिर युवाओं ने ही देश को बदलना है। शुरूआत तो करनी ही होगी, शुरूआत भले ही धमाकेदार न ही हो साधारण शुरूआत भी बहादुरी भरे कदमों का रूप लेती है।

 

 

Hindi News से जुडे अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो।