नई दिल्ली. चीफ इलेक्शन कमिश्नर अचल कुमार जोति ने सोमवार को विपक्ष के उस दावे को खारिज किया जिसमें कहा गया था कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहा है।
जोति ने ये भी कहा कि मौसम समेत कई कारण थे, इसी की वजह से हिमाचल प्रदेश में गुजरात से पहले चुनाव कराने का फैसला लेना पड़ा। बता दें कि हिमाचल में 9 नवंबर को सिंगल फेज में वोटिंग होगी। 18 को नतीजे आएंगे। गुजरात चुनाव की तारीख अभी तक एलान नहीं होने से कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं।
चुनाव पैटर्न का असर नहीं पड़ना चाहिए
जोति के मुताबिक, एक और मुख्य वजह है जिसके चलते दोनों राज्यों में साथ में चुनाव नहीं करवाए गए। अगर दो या उससे ज्यादा राज्यों में चुनाव होते हैं तो उन्हें एडज्वाइनिंग स्टेट्स कहा जाता है।
चुनाव आयोग हमेशा इस बात का ध्यान रखता है कि एक राज्य में चुनाव पैटर्न का दूसरे राज्य पर असर नहीं पड़ना चाहिए। यही वजह है कि हिमाचल प्रदेश में काउंटिंग 18 दिसंबर को रखी गई है।
हम पहले ही साफ कर चुके हैं कि गुजरात का इलेक्शन शेड्यूल हिमाचल प्रदेश के नतीजों से पहले तय कर लिया जाएगा ताकि नतीजों का गुजरात की वोटिंग पर असर न पड़े।
जोति ने 2001 के मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस के मेमोरेंडम का हवाला देते हुए कहा, चुनाव आयोग किसी भी इलेक्शन की तारीख उस डेट से 3 हफ्ते पहले तक घोषित नहीं कर सकता, जिस दिन अन्य चुनाव का नोटिफिकेशन दिया जा चुका हो। चुनाव की तारीख की घोषणा होने पर उस राज्य में आचार संहिता लागू हो जाती है।
और वो तब तक लागू रहती है, जब तक चुनाव नहीं हो जाते। अगर चुनाव होने वाले राज्यों की सीमाएं मिलती हैं तो ये अलग मसला है। लेकिन गुजरात की बात करें तो स्थिति अलग है।
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