भाजपा के लिए मददगार ओवैसी?

Asaduddin Owaisi

बिहार चुनाव में आंशिक सफलता के बाद असदुद्दीन ओवैसी यूपी और बंगाल में अपने पांव फैलाने की कोशिश शुरू कर चुके है। ओवैसी के अगले कदम भाजपा के लिए कितने मददगार साबित होंगे इसका अनुमान हाल ही में बिहार के विधानसभा चुनाव और हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में दिखाई पड़ चुके है। केन्द्र सरकार की जनता से जुड़ी तमाम अनदेखी और बेरोजगारी, मंहगाई जैसी तमाम मूलभूत दिक्कतों के बावजूद जहॉ भाजपा ने बिहार में अपनी सरकार बनाई वहीं ओवैसी के गढ़ कहे जाने वाले हैदराबाद के नगर निगम चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया। ऐसे में इस बात का नकारा नहीं जा सकता कि ओवैसी द्वारा अपनी ही कोम के लोगों को भाजपा को वोट देने पर छक्का कहा जाना या अन्य तरह की दुहाई देने, हिन्दुओं के खिलाफ आग उलगने से फायदा भाजपा को ही होगा। आने वाले समय में एमआईएम जिस जिस चुनाव में कूदेगी वहां वह भाजपा के धुव्रीकरण के लिए मददगार साबित होगी।

बिहार की कामयाबी के बाद एमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी अब यूपी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने आज सुहेलदेव राजभर पार्टी यानी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया है और शिवपाल यादव से बात करना चाहते हैं। चर्चा तो यह भी है कि उनका बसपा से गठबंधन होगा लेकिन फिलहाल उन्होंने इससे इनकार किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले वक्त मे ओवैसी या तो भाजपा के बड़े मददगार साबित होंगे या फिर भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बन जायेंगे। अब बात ओवैसी को लेकर पश्चिम बंगाल की करें तो ओवैसी की दस्तक से मुस्लिमों के सहारे सत्ता पाने वाली ममता बनर्जी भी परेशान है। उन्हें भी पता है कि अगर ओवैसी ने बंगाल में अपने प्रत्याशी उतारे तो भाजपा को पूर्ण बहुमत सरकार बनाने में कोई रोकटोक न होगी।

ऐसे में यह फैक्टर हर चुनाव में भाजपा के लिए रामबाण साबित होगा। वैसे भी बिहार विधान सभा चुनाव का यह आकलन कटु सत्य है कि ओवैसी बीस सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करके मुस्लिम वोटों को नहींं काटते तो एनडीए बिहार चुनाव में जीत की कगार तक पंहुचने की सफलता नहींं हासिल करता। बसपा का आधार दलित और मुस्लिम वोट है। लोग कह रहे हैं कि मौजूदा समय में भाजपा से मधुर रिश्तों के बाद बसपा के दामन से पूरी तरह से छिटक कर मुस्लिम वोट एक झटके में सपा-कांग्रेस के संभावित गठबंधन में चला जायेगा। और पूरे का पूरा यूपी का ये बीस फीसद मुस्लिम वोट सपा-कांग्रेस की झोली में जायेगा। लेकिन मायावती जैसी परिपक्व नेत्री ऐसा नहींं होने देंगी। वो ओवैसी की एआईएमआईएम को कुछ सीटें देकर यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण का कार्ड खेल सकती है। लेकिन कोई कुछ भी कहे और कुछ भी सुने ओवैसी का हर कदम, हर बयान किसी न किसी रूप में भाजपा के लिए मददगार साबितहोता रहा है और आगे भी होगा। भाजपा जहां कमजोर साबित होगी वहां ओवैसी की पार्टी वोटकटवा बनकर भाजा की विजय सुनिश्चित करने का काम करेगी।

 

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