सरस मेले में भिवानी की जूतियों की मुरीद हो रही महिलाएं

Saras Mela Sachkahoon

स्वयं सहायता समूह की ओर से यहां लगाई गई हैं स्टॉल्स

सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत यहां लेजरवैली मैदान पर चल रहे सरस मेले (Saras Mela) में सी-ब्लॉक के स्टाल नंबर पांच पर दूसरे स्टॉल्स से अधिक भीड़ नजर आती है। वह भी महिलाओं की। दूर से देखने वाला हर कोई इस स्टॉल की तरफ जरूर पहुंचता है। भिवानी जिला के गांव बाडवा से आई सीमा देवी की यह स्टॉल है, जहां उन्होंने अनेक डिजायन में जूतियां रखी हुई हैं। गुरुग्राम की महिला भिवानी की इन जरी की जूतियों की ओर खूब आकर्षित हो रही हैं। यहां जूतियों के इतने डिजाइन है कि स्टाल के सामने से गुजरने वाली दर्शक महिलाओं के कदम बरबस ही रूक जाते हैं।

सीमा देवी का कहना है कि उन्होंने गांव की 10 महिलाओं के साथ वर्ष 2019 में बाला जी नाम से स्वयं सहायता समूह बनाया। प्रशासन के सहयोग से मिले प्रशिक्षण के बाद आज उनका समूह अपने परिश्रम के दम पर विभिन्न प्रकार की हस्तनिर्मित जूतियों का निर्माण कर अपनी आजीविका चला रहा है। उनके उत्पाद में प्योर लेदर की कई वैरायटी की जूतियां हैं, जिन पर बड़े ही सुंदर तरीके से जरी का वर्क किया गया है। उन्होंने बताया कि उनके स्टाल पर बी, वी व टी शेप में सभी साइज की जूतियां उपलब्ध है। जिनकी कीमत 350 से 1500 के बीच रखी गयी है।

पुरुषों के लिए हैं महाराजा जूती

सीमा देवी के मुताबिक उनके समूह की सोच थी कि मेलों में आने वाली महिलाएं अपने परिवार के पुरूष सदस्यों को भी साथ लेकर आती हैं। ऐसे में हमने पुरषों की जरूरत के उत्पाद को ध्यान में रखते हुए उनके लिए महाराजा जूती भी बनाई है। इस जूती की खासियत है कि इसकी नौक को तार से नहीं, बल्कि जूती की सौल से ही बनाया गया है। जो इस जूती को शाही लुक देने ले साथ ही इसकी लाइफ को भी बढ़ाता है। इसके साथ ही स्टाल पर कोल्हापुरी चप्पलें भी खूब पसंद की जा रही हैं।

शीतल व यमन के सुरों से सजी सांस्कृतिक संध्या

सरस मेले की शाम बॉलीवुड के मधुर संगीत से सजी और लोगों ने भी भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाते हुए इसका जमकर लुत्फ उठाया। हरियाणा की प्रसिद्ध गायिका शीतल चहल ने जैसे ही सांस्कृतिक संध्या का आगाज सत्यम शिवम सुंदरम गीत से किया तो लोग एकाएक सांस्कृतिक संध्या के पंडाल में खिंचे चले आए। देखते ही देखते पूरा पंडाल दर्शकों से भर गया। शीतल ने जब-ए मेरे वतन के लोगों गीत गाया तो पूरा वातावरण देश भक्ति के रंग से सरोबार हो गया। दर्शकों की आंखों से आंसू छलक पड़े। जींद जिले से संबंध रखने वाली एमएससी केमिस्ट्री कर चुकी शीतल चहल को बचपन से ही गाने का शौक था। वे लता मंगेशकर व आशा भोंसले के गाने सुनना ज्यादा पसंद करती हैं।

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