जमाबंदी में उलझा इंतकाल, उपतहसील व पटवार खाने के चक्कर काटते लोग

Bhuna
जमाबंदी 15 जून 2022 होनी चाहिए थी, मगर 11 महीने अधिक बीतने के बाद भी समस्या ज्यों की त्यों

भूना (सच कहूँ/विकास)। उप तहसील भूना में जमाबंदी के अभाव में 700 से अधिक इंतकालों की पेंडेंसी के चलते जमीन-जायदाद के क्रेता विक्रेता लंबे समय से परेशान है। इसलिए लोग पिछले कई महीनों से उपतहसील व पटवार खाना के चक्कर लगाकर थक चुके हैं। मगर पटवारियों के शहर भूना में पांच से चार पद रिक्त होने के कारण यह समस्या बनी हुई। इसी वजह से 15 जून 2022 से जमाबंदी का कार्य बंद पड़ा है। इंतकालों की पेंडेंसी के चलते उपतहसील कार्यालय में जमीनों का पंजीकरण भी प्रभावित हो रहा है। हालांकि पटवारियों के रिक्त पदों को लेकर डीसी फतेहाबाद को कई बार अवगत करवाया जा चुका है। मगर समस्या लंबे समय से ज्यों की त्यों बनी हुई है।

क्या कहते हैं नायब तहसीलदार

उप तहसील भूना के नायब तहसीलदार रणबीर सिंह घानिया ने बताया कि रजिस्ट्री और इंतकाल उपतहसील में चलने वाली नियमित प्रक्रिया है। जमाबंदी की वजह से कार्य प्रभावित हो रहा है। मगर जमाबंदी पटवारियों के खाली पदों की वजह से नहीं हो पाई है, पटवारियों से संबंधित समस्या को लेकर उच्च अधिकारियों को मौखिक एवं लिखित रूप से कई बार अवगत करवाया जा चुका है। इसलिए हाल ही में एक पटवारी की नियुक्ति हुई है, मगर तीन पटवारी की और अति आवश्यकता है। जमाबंदी के बाद 700 से अधिक इंतकालों की पेंडेंसी की समस्या का समाधान हो जाएगा।

उपतहसील भूना में शहर की जमाबंदी 15 जून 2022 होनी प्रस्तावित थी। क्योंकि 5 वर्षों के बाद नई जमाबंदी तैयार करने का प्रावधान बना हुआ है। नई जमाबंदी करने से जमीन- जायदाद की गड़बड़ी या धोखाधड़ी पर अंकुश काफी हद तक लगता है और रिकॉर्ड मेंटेनेंस हो जाता है। परंतु भूना शहर की 14 हजार 356 एकड़ काश्ता व गैरकाश्ता भूमि की जमाबंदी के अभाव में इंतकालों की पेंडेंसी लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई। क्योंकि इंतकाल के बिना जमीन- जायदाद को खरीद-फरोख्त करने या बैंकों से लोन से संबंधित रजिस्ट्री करवाने में परेशानी आ रही है। वही पिछले कई महीनों से शहर की काश्ता व गैरकश्ता जमीनों का पंजीकरण भी रुका हुआ है। जिसकी बदौलत सरकार को ही करोड़ों रुपए का राजस्व घाटा हो रहा है।वही आमजन प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सीधे प्रभावित हो रहे है।

पटवार भवन पर लटका ताला

एडवोकेट गोपाल सरदाना, सरदार मोहन सिंह, रामप्रताप गर्ग आदि ने बताया कि शहर भूना की आबादी पचास हजार के करीब होने के कारण जमीन-जायदाद व जाति वेरीफिकेशन तथा आयु प्रमाण पत्र आदि भी चार पटवारियों के खाली पदों की बजह से लोगों को दिक्कत उठानी पड़ रही है। इसलिए जमाबंदी समय पर नहीं हुई और 700 से अधिक इंतकालों की पेंडेंसी नायब तहसीलदार व लोगों के लिए सिरदर्द बनी हुई है।

क्योंकि जमाबंदी का कार्य पटवारियों के द्वारा किया जाना होता है, मगर पटवार खाने पर ताला लटका हुआ है।इसलिए जब तक पटवारियों की नियुक्ति नहीं होती तब तक यह समस्या लोगों को झेलनी पड़ेगी। शहर भूना की 14365 भूमि में से चार हजार के करीब गैरकाश्ता है। जहां पर जमीन जायदाद की खरीद-फरोख्त पर इंतकालों की पेंडेंसी का खासा प्रभाव दिखाई दे रहा है। नई जमाबंदी के बाद इंतकाल दर्ज होने से गड़बड़ी की आशंका ही खत्म हो जाती है। इसलिए 5 वर्षों के बाद नई जमाबंदी तैयार करने का प्रावधान बना हुआ है।