प्रेरणास्त्रोत: दूरबीन और खिलौना

Binoculars and Toy
Binoculars and Toy

कलिफोर्निया इंस्टिट्यूट आफ टेक्नॉलजी ने आइंस्टाइन को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया। साथ में श्रीमती आइंस्टाइन भी थीं। आइंस्टाइन दंपती माउंट विल्सन स्थित वेधशाला भी देखने गए। उस समय संसार की सबसे बड़ी कही जाने वाली दूरबीन वहां स्थापित थी। विशालकाय दूरबीन को देखकर श्रीमती आइंस्टाइन ने वेधशाला के अध्यक्ष से पूछा,’इतनी बड़ी दूरबीन भला किस काम आती है?’
अध्यक्ष ने जवाब दिया, ‘ब्रह्मांड की रचना समझने के लिए।’ यह सुनकर श्रीमती आइंस्टाइन ने हैरत के साथ कहा, ‘ इस काम के लिए इतनी बड़ी दूरबीन की क्या जरूरत है! मेरे पति तो आमतौर पर यह सब एक पुराने कागज के लिफाफे पर करते हैं।’ वहां खड़े लोग यह सुनकर एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। उनके सामने एक वैज्ञानिक के व्यक्तित्व का एक पहलू खुला। बात बिल्कुल सच थी। आइंस्टाइन के अध्ययन कक्ष में उनकी मेज पर न्यूटन का एक चित्र था और उसके समीप ही छोटी-सी दूरबीन रखी हुई थी। उनसे मिलने वाले अक्सर उनसे पूछते थे कि क्या वह इस दूरबीन का प्रयोग करते हैं, तो आइंस्टाइन का उत्तर होता था,’नहीं भाई, मैं आकाश में तारे नहीं देखता। इस मकान में मुझसे पहले जो किरायेदार रहता था, वह यह दूरबीन छोड़ गया है। मैंने एक खिलौने के तौर पर इसे यहां रखा है।’
कुछ लोग जब आइंस्टाइन से पूछते कि उन्होंने अपने उपकरण कहां, किस प्रयोगशाला में रखे हैं तो वह अपना सिर थपथपाते हुए कहते,’ ईश्वर की दी हुई इस प्रयोगशाला में।’ और यदि उनसे कोई वैज्ञानिक प्रयोगों में इस्तेमाल आने वाली चीजों की बात करता, तो वह उसे अपना फाउंटेन पेन दिखा देते। वास्तव में यही उनका उपकरण था और उनका दिमाग ही उनकी प्रयोगशाला।

 

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