आडवानी की भाजपा को नसीहत

BJP Advani

पूर्व उप-प्रधानमंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर भाजपा को नसीहत दी है कि पार्टी अपने सिद्धांतों से भटक गई है। भले ही पार्टी के खिलाफ निकाली गई भड़ास को लाल कृष्ण आडवाणी का टिकट काटे जाने का गुस्सा भी कहा जा रहा है। लेकिन जिस प्रकार उन्होंने संयम व दार्शनिक अंदाज में पार्टी की कमजोरियों पर सवाल उठाए हैं वह बगावत भी नहीं कही जा सकती न ही गुस्सा प्रकट करने वाली लगती है। आडवाणी ने चंद शब्दों ने उनकी भावना व पार्टी की स्थिति को ब्यां कर दिया।

उन्होंने भाजपा पर सीधा कटाक्ष करने की बजाए चिंताजनक अंदाज में मौजूदा नेताओं को गुमराह होने से बचने के संकेत दिए है। आडवाणी ने पार्टी नेताओं का ध्यान इस बात पर दिलाया है कि मौजूदा नेता अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को संभालने में नाकाम रहे हैं। अटल वह शख्सियत थे जिनके सिद्धांतों को सीमा पार पाकिस्तान व विवादित कश्मीर के लोग भी स्वीकार करते रहे हैं।

दरअसल 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनने के बाद पार्टी व उसके सहयोगी संगठन भाजपा को राष्ट्र के तौर पर पेश कर रहे हैं। भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा भी इसी मानसिकता की देन रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कांग्रेस, सपा और बसपा पाकिस्तान के हीरो बता रहे हैं। जबकि विपक्ष के बिना लोकतंत्र की कल्पना ही नहीं की जा सकती। भाजपा की राजनीतिक विचारधारा ने देश में धार्मिक व राजनीतिक शत्रुता का माहौल बना दिया।

आडवाणी की यह बात मायने रखती है कि अटल की विरासत में प्रजातांत्रिक विरोध को कभी भी शत्रुता नहीं माना गया। नि:संदेह आडवाणी की ताजा टिप्पणियां एक अनुभवी राजनीतिक चिंतक है। उनकी समीक्षात्मक टिप्पणियां न केवल भाजपा बल्कि अन्य पार्टियों के नेताओं के लिए भी मार्गदर्शक हैं, जो राजनीति के नाम पर देश के भीतर ही एक और देश बनाने का माहौल बनाने की गलती कर रहे हैं। आडवाणी के बिना भी गैर-भाजपा नेता भाजपा के तौर तरीकों की अलोचना कर चुके हैं लेकिन अब भाजपा के ही एक बड़े नेता की टिप्पणी को भाजपा नजरअन्दाज नहीं कर सकती। भाजपा लीडरशिप आडवाणी की भावना को उनकी टिकट काटे जाने से अलग करके अवश्य देखें।

 

 

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