बोफोर्स डील: 31 साल बाद नेताओं के रोल पर नया खुलासा

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बोफोर्स केस की दोबारा जांच | Bofors Deal

नई दिल्ली: रिपब्लिक टीवी ने बोफोर्स केस (Bofors Deal) के 31 साल बाद एक खुलासा किया है। अपनी इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी में उन्होंने बोफोर्स केस के स्वीडन के चीफ इन्वेस्टिगेटर स्टेन लिंडस्टॉर्म के टेप रिलीज किए हैं। चीफ इन्वेस्टिगेटर ने बोफोर्स डील में नेताओं के रोल के बारे में बताया है। सीबीआई ने 14 जुलाई को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट या केंद्र सरकार ऑर्डर दे वह तभी बोफोर्स केस की दोबारा जांच करेगी। इससे पहले 13 जुलाई को सीबीआई के डायरेक्टर आलोक कुमार वर्मा संसद की पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) से जुड़ी सब-कमेटी के सामने पेश हुए थे। जिसने उन्हें यह केस दोबारा खोलने की सलाह दी थी।  डिफेंस से संबंधित इस सब-कमेटी के प्रेसिडेंट बीजू जनता दल के सांसद भर्तृहरि मेहताब हैं।

क्या था बोफोर्स कांड? | Bofors Deal

  • भारतीय सेना को तोपें सप्लाई करने का सौदा हासिल करने के लिए 80 लाख डालर (करीब 51.5 करोड़ रुपए) की दलाली चुकाई थी।
  • उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, पीएम राजीव गांधी थे।
  • स्वीडन के रेडियो ने सबसे पहले 1987 में इसका खुलासा किया।
  • बोफोर्स घोटाला या बोफोर्स कांड के नाम से जाना जाता हैं।
  • राजीव गांधी परिवार के नजदीकी बताए जाने वाले इटली के कारोबारी ओत्तावियो क्वात्रोची ने इस मामले में बिचौलिए की भूमिका अदा की।
  • दलाली की रकम का बड़ा हिस्सा मिला।
  • कुल 410 बोफोर्स तोपों की खरीद का सौदा 1.3 अरब डॉलर (करीब 8380 करोड़ रुपए) का था।
  • चित्रा सुब्रमण्यम इंडियन जर्नलिस्ट हैं। उन्होंने बोफोर्स-इंडिया होवित्जर डील (बोफोर्स कांड) का खुलासा किया था।
  • वे रिपब्लिक टीवी के साथ काम कर रही हैं।
  • चित्रा को जर्नलिज्म के लिए बीडी गोयनका और चमेली देवी अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बोफोर्स केस की जांच बंद करने का ऑर्डर दिया था, तब सीबीआई सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गई? इस पर उन्होंने कहा कि सीबीआई ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का भी मन बना लिया था, लेकिन उस वक्त की यूपीए सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी थी।

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