महामारी में लॉकडाउन से काम-धंधे ठप्प, महंगाई ने बढ़ाई आमजन की परेशानी

पानीपत (सन्नी कथूूरिया)। कोविड 19 के केसों को देखते हुए सरकार ने एक बार फिर 1 सप्ताह का महामारी अलर्ट सुरक्षित हरियाणा लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया है। जिस प्रकार 2020 में कोरोना वायरस ने हाहाकार मचा रखा था, अब 2021 में भी महामारी अपना जोर दिखा रही है। वहीं एक-एक सप्ताह करते बढ़ता लाकडाउन मध्यमवर्ग और व्यापारी वर्ग की चिंता बढ़ा रहा है। बढ़ते लॉकडाउन से कुछ स्वार्थी लोग कालाबाजरी कर रहे हैं।

महिलाओं का कहना है कि रसोई का सामान पिछले वर्ष की तरह महंगा न हो जाए, यह भी चिंता सता रही है। पिछले कुछ दिनों से शहर में महामारी के केसों की संख्या कम होती नजर आ रही है। लेकिन मौतों की संख्या में कोई फर्क नजर नहीं आ रहा। वहीं प्रशासन द्वारा कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करने वालों के चालान भी किए जा रहे हैं और बार-बार लोगों से अपील की जा रही है कि अपने घरों में रहें। कोई इमरजेंसी होने पर ही घर से बाहर निकलें, मास्क और 2 गज की दूरी बहुत जरूरी, सोशल डिस्टेंस और नियमों का पालन करें।

लॉकडाउन को लेकर क्या है लोगों की राय

सतीश कुमार फ्रूट की रेहड़ी लगाते हैं। वे कहते हैं कि प्रदेश सरकार ने एक बार फिर लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी है, जो कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन सरकार को हम जैसे रेहड़ी वालों के बारे में भी कुछ सोचना चाहिए। सरकार ने कुछ समय के लिए फल-सब्जी की रेहड़ी लगाने की परमिशन दी है। समय कम होने की वजह से हमारा फ्रूट कई बार खराब हो जाता है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।

मेन बाजार के प्रधान निशांत सोनी का कहना है कि लॉकडाउन के पहले ही दिन से ही दुकानें बंद हैं। केवल इमरजेंसी वस्तुओं की दुकानें खोली गई हैं। सरकार ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई है, यह बहुत ही अच्छा है। लेकिन सरकार को मध्यम वर्ग के बारे में सोचना चाहिए। दुकानें बंद होने के कारण काम धंधा नहीं है। ऊपर से बच्चों की स्कूल की फीस, बिजली का बिल और बढ़ते पेट्रोल के दामों ने भी चिंता बढ़ा दी है।

नीलम प्रणामी एक ग्रहणी हैं, वे कहती हैं कि प्रदेश में धीरे-धीरे बढ़ता लॉकडाउन एक बार फिर पिछले साल की याद दिलवा रहा है। लॉकडाउन में कुछ स्वार्थी लोग खाद्य सामग्री को महंगे रेट पर बेच रहे हैं। जिससे घर का बजट खराब होता जा रहा है। सरकार ने इन खाद्य सामग्री की रेट लिस्ट जारी की है, लेकिन पालन कोई-कोई कर रहा है। सरकार को मध्यमवर्ग की भी सोचनी चाहिए। एक तो लॉकडाउन में काम बंद और दूसरा ऊपर से घर के खर्चे के साथ-साथ ईएमआई और बिजली का बिल आदि खर्चों की भी चिंता रहती है।

 

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