सीबीएसई 10वीं: शाह सतनाम जी गर्ल्स स्कूल में होनहार छात्राओं के साथ पेरेंट्स का हुआ सम्मान

  • 44 छात्राओं का तिलक लगाकर स्वागत, टोकन ऑफ लव देकर किया उत्साहवर्धन

सरसा। (सच कहूँ/सुनील वर्मा ) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड नई दिल्ली (सीबीएसई) द्वारा जारी किए गए दसवीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में जिला टॉप करने वाली शाह सतनाम जी गर्ल्स स्कूल की होनहार छात्राओं और उनके पेरेंट्स की हौसला अफजाई के लिए विद्यालय के कांफ्रेंस हाल में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्यालय की प्रधानाचार्या डॉ. शीला पुनिया इन्सां ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की और होनहार छात्राओं तथा उनके माता पिता को टोकन ऑफ लव देकर उनका उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम में दसवीं कक्षा में 90 प्रतिशत से अधिक अंक लेकर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली 44 छात्राओं और उनके पेरेंट्स को स्कूल प्रबंधन द्वारा पुरस्कृत किया गया।

सम्मान पाकर छात्राएं काफी खुश नजर आई। इससे पूर्व सभी छात्राओं और पेरेंट्स का कांफ्रेंस हाल में पहुंचने पर स्कूल की छात्राओं द्वारा तिलक लगाकर और मिठाई खिलाकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अभिभावकों ने स्कूल संबंधी अपने विचार स्कूल प्रबंधन के साथ सांझा किए। अभिभावक कमलेश इन्सां, डीपी, राजकुमार मूंदड़ा, नीशू ने कहा कि स्कूल वही बेस्ट होता है, जहां पर बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कारवान बनाने और इंसानियत की शिक्षा दी जाती है। इस मौके पर स्कूल की प्रधानाचार्या सीमा छाबड़ा इन्सां सहित विद्यालय का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।

पूज्य गुरु जी के पावन आशीर्वाद से हुआ संभव: डॉ. शीला पुनिया

कार्यक्रम में उपस्थित छात्राओं और अभिभावकों को संबोधित करते हुए प्रधानाचार्या डॉ. शीला पुनिया इन्सां ने कहा कि विद्यालय के लिए हर्ष का विषय है कि शाह सतनाम जी गर्ल्स स्कूल की कसम इन्सां और अंश इन्सां दोनों ने 98.4 प्रतिशत अंक लेकर दसवीं कक्षा में जिला टॉप किया है। तृप्ति ने 98 प्रतिशत व राधिका ने 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर स्कूल का नाम रोशन किया है। इसके अलावा विद्यालय का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा है। उन्होंने बताया कि 87 छात्राओं ने मेरिट के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की है। उन्होंने कहा कि ये सब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन आशीर्वाद से संभव हो पाया है।

जिला टॉपर का सपना इंजीनियर बनना

दसवीं कक्षा में 98.4 प्रतिशत अंक लेकर जिला टॉप करने वाली कसम इन्सां इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहती है। कसम इन्सां ने बताया कि उसे विद्यालय में अध्यापिकाओं द्वारा जितना वर्क कराया जाता था, उसे वह घर पर पूरा करती थी। इसके अलावा उसने अलग से कोई ट्यूशन आदि नहीं रखी और यह मुकाम उसने सेल्फ स्टडी के साथ पूज्य गुरु जी की पावन दया मेहर से प्राप्त किया है। मैं प्री नर्सरी से इसी स्कूल में पढ़ रही हूँ और मुझे यहां से हर दिन कुछ ना कुछ अच्छा ही सिखने को मिलता है।
-कसम इन्सां, जिला टॉपर।

पढ़ाई के साथ-साथ सिखाई जाती है मोरल वैल्यू

शाह सतनाम जी गर्ल्स स्कूल की अंश इन्सां ने भी 98.4 प्रतिशत अंक लेकर जिला में टॉप किया है। इस स्कूल की सबसे बड़ी बात यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ मोरल वैल्यू भी सिखाई जाती है। जोकि एक सफल इन्सान के लिए जरूरी है। मुझे इस मुकाम तक लाने में मेडिटेशन का एक बहुत बड़ा रोल है। यहां के टीचर, प्रिंसीपल सहित पूरा स्टाफ काफी मददगार है। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलों व अन्य गतिविधियों में भी आगे लेकर प्रेरित किया जाता है।
-अंश इन्सां, जिला टॉपर

कुछ ऐसा करके दिखा, खुद खुश हो जाए खुदा: तृप्ति

दसवीं में 98 प्रतिशत अंक लेकर परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली शाह सतनाम जी गर्ल्स स्कूल की होनहार छात्रा तृप्ति ने कहा कि वह रोजाना 5 से 6 घंटे पढ़ाई करती थी। मैं अपनी सफलता का श्रेय अपनी फैमली के साथ-साथ अपने स्टाफ, प्रिंसीपल को देना चाहती हूँ, जिन्होंने मेरा हर कदम पर साथ दिया और मुझे आगे बढ़ने के लिए गाइड और मोटिवेट किया। उन्होंने अपने जूनियर को मोटिवेट करते हुए कहा कि उन्हें कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि वह यह नहीं कर पाएंगे। अगर आपके दिमाग को पॉजिटिव रखेंगे तो इंपॉसिबल को भी पॉसिबल बना सकते है। उन्होंने कुछ ऐसा करके दिखा, खुद खुश हो जाए खुदा… पंक्तियां गुनगुनाते हुए अपनी बात को विराम दिया।
-तृप्ति, स्कूल टॉपर

लड़कियों को कैरेक्टर वाइज भी स्ट्रांग बनाता है यह विद्यालय

दसवीं में 97.6 प्रतिशत अंक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली राधिका ने कहा कि इस उपलब्धि के लिए सबसे ज्यादा थैंक्स मैं पूज्य जी का करना चाहती हूँ। जिनकी प्रेरणाओं पर चलकर उसने यह मुकाम हासिल किया है। इसके अलावा स्कूल प्रिंसीपल, स्टाफ का भी बहुत सहयोग मिला है। यहां के अध्यापक हमें पढ़ाते ही नहीं है बल्कि इंस्पायर भी करते है। लड़कियों को कैरेक्टर वाइज भी स्ट्रांग बनाया जाता है। मोरल वैल्यू सिखाई जाती है। विद्यार्थियों को कभी यह काउंट नहीं करना चाहिए कि उसने कितने घंटे पढ़ाई की है। बल्कि यह देखना चाहिए कि उसने जो पढ़ा है, क्या उसे पूरे ध्यान के साथ पढ़ा है या नहीं।
-राधिका, स्कूल द्वितीय टॉपर

 

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