किसानों के धरने पर आक्रामक हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान

Bhagwant Mann
मुख्यमंत्री भगवंत मान

प्रदर्शनकारी फैक्ट्रियों के सामने धरना लगाते हैं परंतु खुद पराली फूंकते हैं : सीएम मान

  • ‘अगर किसान पानी बचाता तो पंजाब अमीर राज्य होता’

संगरुर। (सच कहूँ/गुरप्रीत सिंह) मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि किसान संगठन (Farmer Organization) बिना वजह धरने पर बैठ जाते हैं। इस कारण से काम में बाधा पड़ती है। इस तरह की हरकतों से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अब आप ही बताइए कि मैं क्या करुं, ये तो नया रिवाज चलाया हुआ है कि गेहूं की नाड़ में भी आग लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं आ रहा था तो देखा कि जगह-जगह नाड़ जल रही थी। उन्होंने कहा कि क्या इसके लिए भी नया कानून बनाया जाए। इसे देख कर लगता है कि ऐसा करके आप सरकार को हराना चाहते हैं।

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नाड़ को आग लगाने वाले किसानों प्रति रुख टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपील की कि किसान पराली व नाड़ को आग न लगाएं। अपने विधानसभा हलका धुरी के पैलेस में इलाका निवासियों से मिलने के लिए रखे गए समागम के दौरान संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान (Bhagwant Mann) ने कहा कि कुछ समय पहले फैक्ट्री के आगे किसानों ने धरना लगाया था कि यह फैक्ट्री वातावरण व भूजल को दूषित कर रही है। उन्होंने कहा कि जांच करवाई गई पानी खराब मिला तो फैक्ट्री बंद करवा दी। लेकिन अब किसान खुद वातावरण को दूषित कर रहे हैं।

गत दिवस बटाला में एक मोटरसाइकिल सवार को नाड़ के धुएं के कारण सड़क पर सामने से आती कार दिखाई नहीं दी व दोनों में टक्कर होने से युवक की मौत हो गई। अब इसके लिए कौन जिम्मेदार है। अब कहां हैं वह धरने लगाने वाले..? अब क्यों नहीं धरना लगाते? खुद पास खड़े होकर फसल के अवशेषों को आग लगवाते हैं कि लगाओ आग, आने दो अफसरों को देख लेंगे। मान (Bhagwant Mann) ने कहा कि यह धुआं सबसे पहले उनके गांवों में ही फैसला है व उनकी सेहत को ही प्रभावित करता है। इससे बाज आना चाहिए।

फसल की कटाई के बाद धरती को ठंडा करने के लिए पानी खेतों में छोड़ने की आदत भी गलत है, क्योंकि धान की बुवाई जून में होगी, तब तक नाड़ भी सूख जाएगी, जिससे तवियों से बाह जा सकता है। किस खेती बाड़ी माहिर ने यह सलाह दी है कि ठंडी धरती में धान लगाने से झाड़ बढ़ जाएगा व गर्म में लगाने से झाड़ कम हो जाएगा। बेकार में पानी की बर्बादी न करें। मेरा उद्देश्य है कि सरकार कानून बनाकर नहीं, बल्कि सहयोग से ही करेगी।