पंजाब कांग्रेस में घमासान, पंजाब सीएम चन्नी ने प्रधानमंत्री से की मुलाकात

Punjab Congress

पंजाब कांग्रेस में अंदरुनी हालात की सोनिया राहुल को जानकारी देंगे चन्नी

चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बनने के बाद शुक्रवार को पहली बार दिल्ली आये और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर धान की खरीद तथा किसानों की समस्याओं को लेकर उनसे विचार विमर्श किया। चन्नी दोपहर बाद यहां पहुंचते ही मोदी से मिलने प्रधानमंत्री आवास गए। बताया जा रहा है कि बैठक में उन्होंने मोदी से कहा कि पंजाब में हर साल एक अक्टूबर से धान की खरीद की जाती है लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने धान की खरीदी 11 अक्टूबर से करने की बात की है। उन्होंने श्री मोदी से कहा कि किसान परेशान है इसलिए धान खरीद के लिए तत्काल निर्देश दिए जाने चाहिए। चन्नी का कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने का भी कार्यक्रम है। कांग्रेस नेतृत्व को वह इस मुलाकात के दौरान प्रदेश कांग्रेस के ताजा अंदरूनी हालात की जानकारी देंगे। उनकी पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने की भी योजना थी लेकिन बताया गया है कि श्रीमती वाड्रा उत्तर प्रदेश में व्यस्त हैं इसलिए उनसे मिलने का कार्यक्रम स्थिगित किया गया है। पंजाब कांग्रेस में चल रही उथल पुथल के बीच एक दिन पहले ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी से मुलाकात की। इस मुलाकात से पहले चन्नी ने दावा किया था कि पंजाब में पार्टी के अंदरूनी हालात जल्द ही ठीक हो जाएंगे।

क्या है सिद्धू की मांग

  • कैबिनेट में जिस तरह पोर्टफोलिया बांटा गया, उससे सिद्धू खुश नहीं थे।
  • नई कैबिनेट में सुखविंदर सिंह रंधावा को गृहमंत्री बनाया गया है, जब सिद्धू और उनके साथी इसका विरोध करते रहे।
  • अमृतसर सुधार ट्रस्ट का लेटर चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा दिया गया, जबकि सिद्धू इसे सौंपना चाहते थे।
  • कुछ अफसरों के ट्रांसफर से भी नवजोत सिंह सिद्धू खुश नहीं थे।
  • राणा गुरजीत सिंह को सिधु के विरोध के बावजूद मंत्री बनाना।
  • एपीएस दिओल को एडवोकेट जरनल लगाना।
  • कुलजीत को मंत्री मंडल में शामिल न करना।

क्या है मामला

नयी सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री के फैसलों तथा विभागों के बंटवारे ,मंत्री बनाये जाने और नये अफसर डीजीपी से लेकर एजी नियुक्त किये जाने को लेकर सिद्धू की नाराजगी बढ़ती गयी और जिस दिन मंत्रियों को विभागों का बंटवारा किया गया उस दिन खबर आयी कि सिद्धू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। इससे सरकार ही नहीं बल्कि पार्टी हिल गयी और सबसे ज्यादा पंजाब की जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची जिसने कांग्रेस को वोट देकर बहुमत से जिताया था।

सिद्धू के इस फैसले से कांग्रेस आलाकमान का भरोसा तो टूटा ही साथ में मोह भंग हो गया। इस्तीफा देने के बाद सिद्धू को लगता था कि आलाकमान उसे मनायेगा ,पंजाब सरकार और पार्टी नेतृत्व उसके आगे पीछे फिरेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आलाकमान ने तो अल्टीमेटम तक दे दिया कि यदि वो नहीं मानते तो कल के बाद किसी अन्य को पार्टी प्रधान बनाया जा सकता है।

कैप्टन ने सिद्धू पर साधा था निशाना

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि सिद्धू ने ऐसा करके उनकी बात को सत्य साबित कर दिया । वह सीमावर्ती पंजाब के लिये खतरनाक व्यक्ति है तथा अस्थिर है । उसका कोई भरोसा नहीं । प्रदेश कांग्रेस के कई मंत्री ,विधायक और पार्टी नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि इससे अच्छा तो वो पार्टी से चले जायें । चुनाव नजदीक हैं और उनके इस रवैये से कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। उनका यह अंदाज किसी को पसंद नहीं आया। आलाकमान ने चन्नी को कहा कि वो उनसे बात करके कोई हल निकालें और यदि वो नहीं मानते तथा इस्तीफा वापस नहीं लेते तो आगे की राह पकड़ो।

सुनील जाखड ने भी सिद्धू पर लगाए थे आरोप

पूर्व कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड ने कल ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री को कमजोर करने की कोशिश अब बहुत हुई। एजी तथा डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े करना मानो मुख्यमंत्री तथा गृह मंत्री को कमजोर करना है। अब बहुत हो गया । सीएम के अधिकारों में हस्तक्षेप और उसे कमजोर करने की कोशिश खत्म होनी चाहिये । अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल खड़े करना मानो मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री की निष्ठा तथा क्षमता पर सवाल खड़े करना है। अब हवाओं को विराम दें । बताया जाता है कि श्री जाखड़ सिद्धू के लंबे समय से देख रहे तौर तरीकों से नाखुश हैं।

 

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