भ्रष्टाचार को राजनीतिक बदले की कार्यवाही कहकर छुपाया नहीं जा सकता

Corruption

राजनीतिक में भ्रष्टाचार और बदले की भावना से कार्यवाही होना शब्द एक-दूसरे के पूरक बन चुके हैं। अक्सर सत्तापक्ष और विपक्षी दलों में बदले की भावना से कार्यवाही का आरोप-प्रत्यारोप का चलन बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला पंजाब के मुख्यमंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के भांजे के घर ईडी की छापामारी का है। ऐसा बताया जा रहा है कि चन्नी के भांजे के घर से अब तक लगभग दस करोड़ की नगदी बरामद हो चुकी है। चन्नी ने इस मामले को राजनीतिक बदलाखोरी करार देते हुए केंद्र सरकार पर वाक् प्रहार किया है। अक्सर समय-समय पर केंद्र सरकारों पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वे सीबीआई और ईडी का दुरुपयोग करती हैं। विधान सभा चुनावों के नजदीक होने के चलते इस मामले का तूल पकड़ना स्वभाविक था। पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने चुनावों के दौरान केंद्र की शह पर पश्चिम बंगाल के कई स्थानों पर हुई ईडी की छापामारी के उदाहरण भी दिए।

यह तो समय ही बताएगा कि ईडी की छापेमारी के पीछे केंद्र का कोई राजनीतिक उद्देश्य है या नहीं लेकिन चन्नी भी इस मामले में अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते। यह भी सवाल बड़ा अहम है कि आखिर उनके भांजे के घर में इतनी नगदी आई कहां से? वे अपने राज्य में इतनी बड़ी रकम की बरामदगी पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? इन परिस्थितियों में पंजाब सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ किस तरह जंग लड़ेगी? चन्नी या कांग्रेस के खिलाफ केंद्र सरकार की जो भी मंशा हो, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ पंजाब सरकार की क्या नीति है इस पर सरकार को चुप रहने की बजाए जवाब देना होगा। विशेष तौर उस स्थिति में जब पंजाब कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू भी पंजाब सरकार पर आरोप लगा रहे हों कि पंजाब में माफिया की लूट जारी है।

दरअसल बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार आम आदमी नहीं करता बल्कि राजनीतिक लोग या रसूख वाले लोग ही कर सकते हैं। जब राजनीतिक छत्र छाया हो तब सब कुछ चुपचाप चलता रहता है। बात तब बिगड़ती है जब एक दूसरे के हित प्रभवित होते हैं। अच्छा होता, यदि मुख्यमंत्री पंजाब अपने रिश्तेदार पर लगे आरोपों का खंडन करते या फिर उसके निर्दोष होने के सबूत पेश करते। भ्रष्टाचारी कोई भी क्यों न हो उसके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। मुख्यमंत्री चन्नी को छापेमारी पर एकतरफा बयानबाजी करने की बजाय पंजाब सरकार के तौर पर पक्ष रखना चाहिए अन्यथा भ्रष्टाचार पर कार्यवाही को राजनीतिक बदले की भावना से हो रही कार्यवाही बताकर भ्रष्टाचार छुपाया नहीं जा सकता।

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