फौजियों की नकली आईडी बना कर ठग रहे साइबर अपराधी

Cyber criminals sachkahoon

अंबाला (सच कहूँ न्यूज)। इंटरनेट मीडिया में सक्रिय साइबर शातिर अपराधी साइबर अपराध करने के नए नए तरिके अपना रहे है। अब साइबर अपराधी लोगों से ठगी के लिए फौजी के नाम को हथियार बना रहे हैं। शातिरों द्वारा खुद को फौजी बताने से लोग उन पर भरोसा करके आसानी से जाल में कर उनकी ठगी का शिकार हो रहे हैं। साइबर अपराध से बचने के लिए पुलिस द्वारा एडवाइजरी जारी की गई है ताकि आमजन सतर्क व सचेत रहकर अपने पैसे की सुरक्षा कर सके है। हरियाणा पुलिस का कहना है कि ज्यादातर ठगी आॅनलाइन खरीदारी को लेकर होती हैं। इनमें साइबर ठग लोगों का भरोसा जीतने के लिए सेना की वर्दी में फोटो और आईडी कार्ड तक भेज देते हैं। एसपी ने बताया कि ओलएक्स या अन्य साईटस, एप्प पर हम अक्सर कम दाम में अच्छा सामान लेने के लालच में आ जाते हैं। अगर कोई अच्छा सामान कम दाम में दिखे और बेचने वाला फोर्स में है तो ऐसे में विश्वास बन जाता है। वह शिकार को किसी आर्मी या दूसरी फोर्स के जवान की आईडी तक भेज देता है। इसके बाद कैंपस से निकलने के नाम पर फीस और अडवांस पेमेंट वगेरा नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाए जाते हंै। जब तक पीड़ित को ठगी का अहसास होता है। वह लाखों रुपये गंवा चुका होता हैं।

मोबाइल पर एनीडेस्क एप डाउनलोड बिल्कुल न करें

पुलिस का कहना है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने से अपने मोबाइल पर एनीडेस्क आदि एप डाउनलोड बिल्कुल न करें। ऐसा करने पर दूर बैठे साइबर ठग पूरी तरह से आपकी स्क्रीन सांझा करने के साथ ही आपकी डिवाइस पर कब्जा कर लेते हैं। ओएलएक्स या फेसबुक या किसी भी अन्य एप पर कोई सामान खरीदने से पहले विक्रेता के संबंध में पूरी जानकारी वेरीफाई करें। कभी भी अपने डिजिटल वालेट या एकाउंट की केवाईसी आॅनलाइन अपडेट न करें। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा आपको भेजे गए कुछ अमाउंट प्राप्त करने संबंधी लिंक या क्यूआर कोड को अपने फोन से स्कैन न करें।

ओएलएक्स, फेसबुक या किसी अन्य साईटस एप्प पर बनाते हैं फर्जी आईडी

एसपी ने बताया कि सोशल साईड पर पुराना मोबाइल, सोफा, बाइक ओएलएक्स पर खरीदने-बेचने की सुविधा है, लेकिन ठग इसका फायदा उठा रहे हैं। ओएलएक्स, फेसबुक या किसी अन्य साईटस एप्प पर फौजी की फर्जी प्रोफाइल बनाकर वे लोगों को निशाना बना रहे हैं। ठग डील करने वाले शख्स को ई-वॉलेट में रकम ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं, लेकिन इससे पहले वह खुद के अकाउंट से एक रुपया ट्रांसफर करते है ताकि वह सामने वाले का विश्वास जीत सके। उसके बाद ही ठग रुपए ट्रांसफर कराने के लिए लिंक शेयर करते हैं। इस लिंक पर क्लिक करने के बाद लोगों के खातों से रुपये उड़ा लेते हैं।

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