मुंबई। बॉर्डर पर मौजूदा तनाव को लेकर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने कहा कि भारत और चीन एक-दूसरे को नहीं हरा सकते। दोनों देश सैन्य तौर पर ताकतवर हैं। दोनों तरफ से फायरिंग की घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन इससे फर्क नहीं पड़ता। दोनों को अच्छे पड़ोसी बनकर रहना होगा।
पत्रकारों के सवालों पर दलाई ने कहा, ”1951 में तिब्बत में शांति के लिए चीन के साथ 17 प्वाइंट का एग्रीमेंट हुआ था। आज चीन बदल रहा है और बौद्ध धर्म को मानने वाला सबसे बड़ा देश बनकर उभरा है। वहां कम्युनिस्ट सरकार है, लेकिन बौद्ध धर्म को आगे बढ़कर स्वीकार किया। भारत और चीन को फिर से हिंदी-चीनी भाई भाई के रास्ते पर चलना होगा।”
क्या है डोकलाम विवाद?
बता दें कि सिक्कम सेक्टर के डोकलाम इलाके में करीब 2 महीने से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है। ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है।
इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
चीन के लिए तीर्थयात्रा का सेंटर हो सकता है भारत
दलाई ने सुझाव दिया, ”भारत चीन में बौद्ध धर्म के लोगों के लिए तीर्थयात्राएं शुरू करे। हमें यह भी समझना चाहिए कि वहां बौद्ध धर्म को मानने वाले असल में भारतीय बौद्ध धर्म की लाइन पर चल रहे हैं, जो नालंदा और संस्कृत से निकला हुआ है। भारत चीन के लिए तीर्थयात्रा का सेंटर हो सकता है। भारत में धर्मनिरपेक्षता पर दलाई ने कहा, ”सभी धर्म को मानने वाले और नहीं मानने वालों का भी सम्मान करो। भारत के लिए यही धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा है।
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