‘एमएसपी और किसानों पर दर्ज केस रद्द करने की उठी मांग’

कृषि कानून वापिस लेने की घोषणा पर किसानों ने बांटे लड्डू

ऐलनाबाद (सच कहूँ/सुभाष)। शुक्रवार को जहां गुरपूर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा था वही इस पावन दिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा की गई, जिसके बाद किसानों की खुशी में और इजाफा हो गया। घोषणा होने के बाद गांव मिर्जापुर थेड़ में किसान एकत्र हुए। किसानों ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर व वितरित कर एक दूसरे को बधाई दी। किसानों ने आंदोलन को बड़ी जीत बताया और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी श्रद्धांजलि दी।

पहले ही सरकार कर देती घोषणा तो नहीं जाती किसानों की जान: गुरविंदर सिद्धू

चढूनी गु्रप के गुरविंदर सिद्धू ब्लॉक प्रधान आईटी सेल ने बताया कि अगर सरकार इन कृषि कानूनों को पहले ही पारित न करती तो बेकसूर किसानों की जान नहीं जाती। किसान बीते एक वर्ष से लगातार कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं जिसके कारण उन्हें कई तरह की परेशानियों का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए, किसानों पर दर्ज हुए मामलों को रद्द किया जाए, पराली और बिजली पर बने कानूनों को भी वापिस लिया चाहिए। जब तक संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से हमें आंदोलन में शामिल होने के लिए कहा जाता रहेगा हम होते रहेंगे।

सरकार का झुकना किसान आंदोलन की बड़ी जीत: गुरिंदर भट्टी

जिला महासचिव गुरिंदर भट्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से कृषि कानून का फैसला वापिस लेने की घोषणा किसान आंदोलन की सबसे बड़ी जीत है। यह किसानों और लोकतंत्र की ऐतिहासिक जीत हैं। किसान लगभग एक वर्ष से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा। इसकी बड़ी कीमत संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों की जान गंवाकर चुकाई है। इस आंदोलन के दरमियान जो किसान शहीद हुए हैं उनकी कमी को तो कभी भी पूरा नहीं किया जा सकता। आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को प्रधानमंत्री श्रद्धांजलि देने के साथ-साथ उनके परिवार के आश्रितों को एक-एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता दे।

कहीं यह भी 15 लाख रुपए जैसा जुमला तो नहीं: रंजीत विर्क

रंजीत विर्क हल्का जनरल सेक्टरी ने प्रधानमंत्री के इस ऐलान का स्वागत तो किया साथ में यह भी कह दिया कि कहीं यह प्रधानमंत्री का 15 लाख रुपए जैसा जुमला तो नहीं। उन्होंने कहा कि अभी किसान धरना तो नहीं उठाएंगे, संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से बैठक रखी जाएगी उसमें फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक यह तीनों कृषि बिल पार्लिमेंट में खारिज नहीं हो जाते तब तक किसानों को इस सरकार पर भरोसा नहीं है।

सही आंदोलन सरकार को झुकने पर करता है मजबूर: सोना बराड़

यूथ हलका प्रधान सोना बराड़ ने कहा कि सरकार का गठन देश के नागरिकों को स्वतंत्र व खुशी जीवन व्यतीत करने के लिए किया जाता हैं। जब वही सरकार हमारे पर अनाप-शनाप टैक्स लगाकर काले कानून पारित करने का काम शुरू कर दे तो उसका विरोध होना वाजिब ही है। यही किसान आंदोलन में रहा, करीब एक वर्ष तक चले किसान आंदोलन के आगे सरकार झुकी है। इससे सिद्ध होता है कि देश में अभी भी जनता का राज है। सरकार की ओर से अगर यही काले कानून पारित ना किए जाते तो किसानों को इतना लंबा संघर्ष नहीं करना पड़ता।

शहीद हुए किसानों की भरपाई कोई नहीं कर सकता: गुरलाल सिंह

किसान गुरलाल सिंह ने बताया कि इस आंदोलन में उन्हें जो सीखने को मिला है वह यह है कि हम किसी पर अत्याचार ना करें। आम लोगों को बिना मतलब से सताने का काम ना करें। देश के प्रधान को आम लोगों के हित में कार्य करने का अधिकार हासिल होता है। लेकिन जब उसका दुरुपयोग होता है तो इसका विरोध होना संभावित है। तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने का स्वागत तो हम करते हैं लेकिन इस दरमियान जो हमारे किसान भाई शहीद हुए हैं उसकी भरपाई कोई भी नहीं कर सकता।

शहीद किसानों के परिवार को मिले मुआवजा: रकेश बब्बर

सीनियर अधिवक्ता रकेश बब्बर का मानना है कि किसानों का आंदोलन शांतिप्रिय एक वर्ष से चला आ रहा है। देश के प्रधानमंत्री ने अब सभी के सामने आकर इन कृषि कानूनों को वापिस लिया है तो क्या पहले इन कानूनों को पारित करने की आवश्यकता थी। किसानों के आंदोलन के दरमियान सैकड़ों की संख्या में किसान शहीद हुए। हमारे देश को करोड़ों का नुकसान हुआ। केंद्र सरकार को चाहिए कि शहीद हुए परिवारों को एक एक करोड़ का मुआवजा देकर उनके परिजनों की भरपाई करें।

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