पूज्य गुरु जी के लाइव दर्शन कर रूह को मिला सुकून

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साध-संगत ने इलाही नारे के साथ पूज्य गुरु जी का स्वागत एवं धन्यवाद किया व्यक्त

ओढां(सच कहूँ/राजू)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने बरनावा से एक बार फिर लाइव आकर समस्त साध-संगत को अपने पावन आशीर्वाद से मालामाल कर दिया। अपने मुर्शिद के दर्शन पाकर साध-संगत खुशी से झूम उठी। साध-संगत को जैसे ही पूज्य गुरु जी के लाइव आने की सूचना मिली तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा। साध-संगत ने मुर्शिद के दर्शन करते हुए उनके एक-एक वचन को ध्यान से सुना। साध-संगत ने इलाही नारे के साथ पूज्य गुरु जी का स्वागत एवं धन्यवाद व्यक्त किया। साध-संगत का कहना है कि 5 वर्ष के लंबे इंतजार के बाद पूज्य गुरु जी के पांच दिन में तीसरी बार दर्शन कर उन्हें जो खुशी हुई है, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। इस बारे साध-संगत ने अपनी खुशी का इजहार कुछ इस प्रकार किया।

‘‘मेरे सतगुरु जैसा कोई नहीं। पूज्य गुरु जी ने बरनावा से तीसरी बार लाइव साध-संगत को अपने पावन आशीर्वाद से लबरेज कर दिया। पूज्य गुरु जी ने छोटी-सी क्लिप में साध-संगत को कई बार आशीर्वाद देकर अपार खुशियां लुटा दी। मैंने पूज्य गुरु जी के एक-एक वचन को ध्यान से सुना और उस पर अमल भी करूंगा। दर्शन कर मुझे जो खुशी हुई उसे बयां नहीं किया जा सकता। यूं लगा जैसे जन्मों-जन्मों से तड़प रही रूह शांत हो गई।
-मा. वीर सिंह इन्सां (कालांवाली)।

‘‘चिट्ठियां लिखने वाले आज स्वयं हमारे बीच में आएं हैं और हमारे लिए खुशियों के भंडार लाए हैं। लंबे समय से यही चाहत थी कि पूज्य गुरु जी देह स्वरूप में हमारे बीच में आएं और हमारा हालचाल पूछें। हमारी तड़प आखिर सतगुरु ने सुन ली। पूज्य गुरु जी के दर्शन करके यूं लगा जैसे दर्शन के बगैर मुद्दतें गुजर गर्इं थीं। पूज्य पिताजी के बरनावा में पधारने और लाइव दर्शन करने पर मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं है।
-बाबू सिंह इन्सां (भीवां)।

‘‘पूज्य गुरु जी साध-संगत की कितनी संभाल करते हैं। ये उन्होंने चिट्ठियों में भी बताया और अब लाइव आकर बता दिया। मेरे मुर्शिद लाइव के बहाने खुशियों के समुद्र लुटा रहे हैं। पूज्य गुरु जी के तीसरी बार दर्शन कर रूह शांत हो गई। मैं तो यही मांग करता हूं कि पूज्य गुरु जी सरसा आकर सभी को साक्षात दर्शनों से निहाल कर दें। इस वक्त मुझे कितनी खुशी हो रही है इसका वर्णन नहीं कर पा रहा।
-सुभाष इन्सां (नेजाडेला खुर्द)।

‘‘मुर्शिद ने हर चिट्ठी में हमें आशीर्वाद भेजा। अब स्वयं चले आएं है तो खुशी इतनी हो रही है कि बता नहीं सकती। पूज्य गुरु जी के आगमन की हर तरफ जमकर खुशी मनाई जा रही है। यूं लग रहा है जैसे प्रकृति भी पूज्य गुरु जी के स्वागत में झूम उठी है। हमारे लिए हमारे गुरु से बढ़कर और कोई नहीं है। पूज्य गुरु जी की वीडियो क्लिप को कई-कई बार देखने पर भी मन नहीं भर रहा।
-संतोष इन्सां (कालांवाली)।

‘‘पूज्य गुरु जी ने वचन किए थे कि हमारा ध्यान हमारे करोड़ों बच्चों में रहता है। ये लाइव आकर बता भी दिया। पूज्य गुरु जी के दर्शन कर दिल वैराग से भर आया। पिताजी ने 3 बार लाइव आकर साध-संगत को जो आशीर्वाद व खुशियां दी हैं वो अनमोल है। मैं बरनावा की उस धरती को बार-बार नमन करती हूं जहां हमारे मुर्शिद विराजमान हैं।
-सरोज इन्सां (ओढां)।

‘‘लंबे समय बाद पूज्य गुरु जी के दर्शन किए तो आंखें भर आर्इं। यूं लगा जैसे भटकते हुए राही को उसकी मंजिल मिल गई। हम अपने गुरु का उपकार कभी नहीं उतार सकते। दर्शन करके श्वास-श्वास भी अगर उनका धन्यवाद करते रहें तो भी कम हैं। मेरे गुरु जैसा कोई नहीं है। लक्कड़ांवाली आश्रम में साध-संगत ने जमकर खुशी मनाई है।
-परमजीत इन्सां (गदराना)।

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