अब online मिल सकेगी सिंचाई पानी की जानकारी

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। जिले के किसानों को अब सिंचाई पानी की (canal mobile app) जानकारी आॅनलाइन मिलेगी। जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग की पहल पर एनआईसी की ओर से ई-नहर मोबाइल एप तैयार किया गया है। बुधवार को कलक्ट्रेट सभागार से जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग, भूपेंद्र चौधरी, डीआईओ शैलेन्द्र धनवारिया, सिंचाई विभाग अधीक्षण अभियंता शिवचंद, एपीआरओ राजपाल लंबोरिया, प्रोग्रामर रिंपु सिंगला इत्यादि ने एप के मुख्य पेज के पोस्टर का विमोचन कर एप को विधिवत रूप से लॉन्च किया। जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग ने कहा कि किसानों की सिंचाई के पानी संबंधी जानकारी की समस्या का समाधान होगा, अन्य जिला भी इसे क्रियान्वित करना चाहे तो आसानी से कर सकता है। यह आसान हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी तीनों भाषाओं में उपलब्ध है।

क्योंकि इसे जिले की एनआईसी टीम की ओर से तैयार (canal mobile app) किया गया है तो यह निशुल्क है, वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन सरकारी डोमेन में है, इसलिए इसे लागू करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है, तीसरे पक्ष का कोई हस्तक्षेप नहीं है। इसी तरह की तर्ज पर फिरोजपुर फीडर (पंजाब) के लिए आॅनलाइन विनियमन विकसित करने के लिए पंजाब सरकार की ओर से परियोजना को अपनाया गया है। जिला सूचना विज्ञान अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि सिंचाई प्रणाली की नहरों के संपूर्ण नेटवर्क के बारे में रियल टाइम की जानकारी जिले के किसानों तक पहुंचाने के लिए ई-नहर विनियमन कम्प्यूटरीकरण प्रणाली परियोजना शुरू की गई है। इसके तहत इस एप्लीकेशन को डवलप किया गया है। इसके तहत जिले के 8 ब्लॉकों के 1917 गांवों (जिनमें 2399 चक सिंचाई के अंतर्गत आते हैं) में फैले 5.51 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र के प्रत्येक किसान को जोड़ा गया है।

इसमें जिले के डेढ़ लाख किसानों को शामिल किया (canal mobile app) गया है। स्काडा (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण) या मैनुअल आधार पर प्राप्त गेज मूल्य को सिंचाई विभाग की ओर से सूचना के आधार पर सिस्टम में नियमित रूप से अपडेट किया जाता है। सिस्टम यह सुनिश्चित करता है कि वास्तविक समय के आधार पर सभी को पानी की मात्रा देखने के उपलब्ध हो। इसमें जिले की सभी प्रमुख और छोटी नहरें शामिल हैं।

जिला कलक्टर रुक्मणि रियार सिहाग ने बताया कि प्रशासन शहरों के संग, प्रशासन गांव के संग अभियानों में किसानों को इस एप के उपयोग हेतु जागरूक किया जाएगा। इस एप के अंतर्गत आगे आने वाले दिनों में कृषि फसलों के भाव, कृषि से जुड़ी अन्य योजनाओं को भी शामिल किया जा सकता है। जिला सूचना विज्ञान अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने बताया कि ई-नहर एप प्ले स्टोर से इंस्टॉल किया जा सकता है। इनमें भाखड़ा की नहरें देखनी हैं तो भाखड़ा पर टच करना होगा। फिर जिन नहरों में पानी चल रहा है वो हरे रंग में नजर आएगी। क्लोज्ड नहर रेड दिखेगी। जो नहरें बैलेंस में चल रही होंगी वे आॅरेंज कलर में दिखाई देंगी। प्रत्येक वितरिका कितने क्यूसेक की है, कितना पानी चल रहा है और नहर कब तक चलेगी। यह सब जानकारी एप पर मिलेगी।

इस नवाचार की आवश्यकता क्यों पड़ी | canal mobile app

पहले जल विनियमन के संबंध में जानकारी प्रदान करने की मैन्युअल प्रक्रिया के कारण अक्षमताएं, त्रुटियां, जानकारी में देरी रहती थी। पूर्व प्रक्रिया में, चार्ट तैयार होने के 24 घंटे के बाद किसान समाचार पत्रों या विभागीय संपर्क व्यक्तियों के माध्यम से विनियमन चार्ट और गेज मूल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते थे। टेलीफोन और माउथ टू माउथ के कारण पारदर्शिता नहीं बनी रहती थी। जिले में तीन प्रमुख नहर सिंचाई परियोजनाएं भाखड़ा, आईजीएनपी और सिद्धमुख नोहर हैं। अलग-अलग एसई की ओर से विनियमित सभी तीन परियोजनाएं, इन तीन विनियमन परियोजनाओं की ओर से रिपोर्ट को समेकित करना मुश्किल था।

संबंधित नहर के अंतिम खुले और बंद होने के बारे में पुराने डेटा को पुन: प्राप्त करने में कठिनाई। इन सभी का समाधान इस एप के माध्यम से किया गया है। इस परियोजना का उद्देश्य जिले के लिए जल आपूर्ति की विनियमन प्रणाली की सटीकता को मजबूत करना है। परियोजना ने जल आपूर्ति के नियमन चार्ट की मैन्युअल तैयारी की पारंपरिक प्रक्रिया और किसानों के साथ धीमे संचार को बदल दिया है, सूचना के त्वरित और सटीक पहुंच के लिए अब वेब पोर्टल और मोबाइल एप है। किसान अब अन्य सभी नहरों को भी देख सकते हैं, जो उनसे सीधे तौर पर संबंधित नहीं हैं। यह किसानों के लिए निशुल्क सुविधा है।

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