पटियाला : राजिन्द्रा अस्पताल में जन औषधि केंद्र में पड़ा दवाओं का सूखा

Negligence

सरिंज तक भी मौजूद नहीं है जन औषधी केंद्र में, दवा विक्रेताओं द्वारा खेला जा रहा कमीशन का खेल | Negligence

  • हजारों मरीज प्रतिदिन लौट रहे बेरंग

पटियाला(सच कहूँ/खुशवीर सिंह तूर)। राजिन्द्रा अस्पताल पटियाला में खुला जन औषधि केंद्र (Negligence) सफेद हाथी बन कर रह गया है। इस केंद्र की त्रासदी यह है कि यहां मरीजों के लिए एक सरिंज तक भी मौजूद नहीं है। वैसे केन्द्र सरकार की तरफ से इस योजना संबंधी पूरे जोरों-शोरों के साथ प्रचार किया जा रहा है, परंतु राजिन्द्रा अस्पताल में जन औषधि केंद्र की वास्तविकता सब उलट बयान कर रही है। राजिन्द्रा अस्पताल में पहुंचने वाले हजारों मरीजों को प्रतिदिन ही प्राईवेट मेडीकल दवा विक्रेताओं के हाथों अपनी लूट करवाने को मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि डॉक्टरों की ओर से संबंधित प्राईवेट दवा विक्रेताओं के साथ सांठगांठ कर मोटे कमीशन का खेल खेला जा रहा है।

मरीजों की जेबों पर भारी पड़ रही प्राईवेट दवाईयां

जानकारी अनुसार उत्तरी भारत के प्रसिद्ध राजिन्द्रा अस्पताल में प्रतिदिन हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। आम लोगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की स्कीम अधीन यहाँं भी जन औषधि केन्द्र खोला गया है, परंतु इस केंद्र में दवाओं का सूखा पड़ा हुआ है। पता चला है कि पिछले चार महीनों से यहां कोई दवा ही नहीं आ रही। यहां तक कि इस केंद्र का बुरा हाल यह है कि यहां सरिजें तक भी नहीं हैं। इस केंद्र पर प्रतिदिन हजारों मरीज डॉक्टरों की लिखीं पर्ची लेकर तो पहुंचते हैं, परंतु आगे से जवाब मिलता है कि यहां दवा नहीं है। इसलिए आप बाहर से दवा खरीदें। गतदिवस लगभग आधे घंटे के दौरे दौरान देखा गया कि इस केंद्र से दर्जनों लोगों को कोई दवा नहीं मिली।

अस्पताल से मिलती है छोटी-मोटी दवा | Negligence

  • जन औषधि में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जब उनके पास दवाएं ही नहीं पहुंच रही तो वह कहां से दे सकते हैं?
  • उक्त व्यक्ति ने खुलासा किया कि पिछले चार महीनों से यहां दवाओं का काल पड़ा हुआ है।
  • राजिन्द्रा अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि अस्पताल में मरीज जन औषधि केंद्र के सहारे आ जाते हैं,
  • उनके पास पैसे न होने के कारण उनको परेशाानियां उठानी पड़ रही हैं।
  • यदि कोई मरीज एमरजैंसी में दाखिल होता है, उसकी तो एक भी दवा उपलब्ध नहीं है।
  • उसे बाहर से ही दवाएं खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
  • मरीजों ने बताया कि यहां जन औषधि सिर्फ नाम की है।
  • उनको बाहर के प्राईवेट दवा विक्रेताओं से दवाओं के लिए लिखा जाता है
  • अस्पताल में से छोटी-मोटी दवा ही मिलती है।
  • अस्पताल में बाहर के विक्रेताओं से मोटे कमीशन का धंधा चल रहा है,
  • जिस कारण ही जन औषधि दवाओं की किल्लत आ रही है।
  • उन्होंने बताया कि कई स्थानों पर तो स्पैशल मैडीकल स्टोर का नाम बता कर वहां से ही दवा लाने को कहा जा रहा है

डॉक्टरों की समिति बनी, जल्द होगी समस्या हल | Negligence

इस मामले संबंधी जब राजिन्द्रा अस्पताल के मैडीकल सुपरडैंट डॉ. अश्वनी के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्र पहले प्राईवेट के तौर पर चल रहा था, अब अस्पताल की तरफ से इसे अपने हाथों में लिया गया है। इस संबंधी डॉक्टरों की समिति बनाई हुई है और सर्जरी के सामान के साथ संबंधित मैडिसन आदि की कुटेशनें मांगी गई हैं। उन्होंने कहा कि जो जन औषधि वाली दवाएं हैं वह मिल रही हैं, परंतु जब उनसे सरिंज तक न मिलने सम्बन्धित पूछा तो उन्होंने कहा कि यह सर्जरी के सामन में आती हैं। उन्होंने कहा कि जन औषधि में मरीजों को हर दवा उपलब्ध करवाने के लिए कार्रवाई चल रही है और जल्द ही समस्या का हल कर दिया जाएगा।

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