पोषण माह के तहत लोगों को खान-पान के प्रति किया जा रहा जागरुक
- आयुष विभाग द्वारा 1 से 30 सितंबर 2022 तक चलाया जा रहा राष्ट्रीय पोषण माह
गुरुग्राम(संजय कुमार मेहरा)। देसी खान-पान से हम दूर होते जा रहे हैं। इसलिए कई बीमारियों के हम शिकार हो रहे हैं। पहले मौसम के अनुसार फल-सब्जियां हमारी खाने की थाली की शोभा होते थे, लेकिन अब हमारा खान-पान बेमौसमी हो चला है। ऐसे में बीमारियां होना तो लाजिमी है। अगर स्वस्थ रहना है तो हमें फिर से अपने बड़े-बुजुर्गों के उस समय में लौटना होगा, जब देसी, प्राकृतिक खाने (Healthy Food) की चीजों को महत्व दिया जाता था। यही पोषण माह का उद्देश्य है कि हमें अपने खान-पान को सही करना चाहिए। इससे हम अपनी बिगड़ी सेहत को सुधार सकते हैं।
इस मौसम में उपलब्ध आंवला विटामिन-सी का बहुत अच्छा स्त्रोत होता है। कच्ची हल्दी जिसका हम सब्जी, अचार या दूध के में डालकर प्रयोग कर सकते हैं। वह हमें बहुत से रोगों से बचाती है। हरी सब्जियां, पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई इत्यादि भी इस मौसम में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। जिनका रोटी में या साग के रूप में प्रयोग करके खून की कमी को पूरा किया जा सकता है।
खान-पान की गलत आदतों से होता है कुपोषण | Healthy Food
जिला आयुर्वेद अधिकारी डा. मंजू बांगड़ का कहना है कि आजकल बालक-बालिकाएं एवं युवा खानपान की गलत आदतों के कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। मोटापा भी कुपोषण का ही एक लक्षण है। मौसम के अनुसार उपलब्ध फल और सब्जियां आसानी से उपलब्ध, सस्ते और पौष्टिकता से भरपूर होते हैं। गेहूं और चावल के अतिरिक्त मोटा अनाज ज्वार, बाजरा, रागी इत्यादि का सेवन भी करना चाहिए। आजकल के युवा योग के स्थान पर जिम जाते हैं। वहां पर कृत्रिम प्रोटीन का सेवन करते हैं, जोकि उनके पाचन संस्थान को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
इसीलिए कृत्रिम प्रोटीन के स्थान पर अंकुरित दालें, पनीर, गर्म दूध का सेवन लाभदायक है। डा. मंजू बांगड़ के अनुसार आयुष विभाग की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर पोषण माह मनाया गया। गुरुग्राम जिले में इस दौरान विभिन्न स्थानों पर 30 शिविर लगाए गए इन शिविर में लगभग 7259 लोग लाभान्वित हुए। इन सभी को परामर्श, चिकित्सा लाभ के साथ-साथ उचित खानपान एवं पोषण के बारे में जानकारी दी गई।
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