नौकरीपेशा महिलाएं ऐसे निभाएं अपनी जिम्मेदारियां

Employed-Women

गृ हस्थी को सही व अच्छे ढंग से चलाने के लिए स्त्री, पुरूष के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर कार्य कर रही है। इस कार्य में वह आॅफिस तो जाती ही है, साथ ही साथ घर परिवार, बच्चों की देखभाल का पूर्ण उत्तरदायित्व भी उसके कन्धों पर है। इन दो पालों में बंटी हुई औरत को बाहर और घर दोनों को व्यवस्थित करना पड़ता है।

गृहस्थी को चलाने के लिए जितनी आवश्यकता पैसों की है उतनी आवश्यकता प्यार व देखभाल की भी है, इसलिए नौकरीपेशा स्त्रियों को अपने जीवन को सही ढंग से व्यवस्थित करना चाहिए ताकि वे अपनी जिम्मेदारियों का भली भांति निर्वाह कर सकें।

आइए देखें व्यवस्था के विभिन्न चरण:-

  •  सबसे पहली व मुख्य बात यह है कि अपने कार्यों को व्यवस्थित कर उन्हें योजना का रूप दें जैसे सुबह उठ कर क्या-क्या काम करने हैं ताकि आप सभी काम समय पर कर सकें।
  •  सुबह जो नाश्ता बनाना है, वह रात को सोच लें और संभव हो तो मसाले रात को ही तैयार कर फ्रिज में रख लें।
  •  बच्चों के बैग रात को ही तैयार करके रखें। बच्चों की स्कूल डेऊस रात को ही इस्त्री कर लें। टाई, बेल्ट, जुराबें आदि यथास्थान संभाल कर रखें और बच्चों को सिखाएं कि अपने कपड़ों, चीजों आदि को यथास्थान रखें और आवश्यकता पड़ने पर आपसे मांगने की बजाय वह स्वयं इन्हें लें। इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनते हैं।
  •  इसी तरह पति के कपड़े, ब्रीफकेस आदि भी रात को ही यथास्थान रख दें ताकि सुबह परेशानी का सामना न करना पड़े।
  •  यह तो हुई बच्चों व पति की सुबह की तैयारी। अब स्वयं पर भी ध्यान दीजिए। बच्चों के स्कूल जाने के पश्चात आप भी अपने आॅफिस जाने की तैयारी करें। पति का लंच पैक करते समय अपना भी लंच पैक कर लीजिए। अगर आपका आॅफिस पति के दफ्तर के रास्ते में आता है तो अपने पति से लिफ्ट लेने की कोशिश कीजिए। इससे आपको अपने पति से कुछ बातें करने का भी समय मिल जाएगा और आप दफ्तर भी समय पर पहुंच जाएंगी।
  •  अगर आपकी तनख्वाह अच्छी है तो नौकरानी रख लें। इससे आपको काफी मदद मिलेगी।
  •  नौकर या नौकरानी रखते समय विशेष रूप से अल्मारी या ऐसा कमरा, जिसमें कीमती सामान हो, उन पर ताला लगाकर रखें। जेवर व कैश को बैंक लॉकर में रखें।
  •  दफ्तर जाते समय नौकर या नौकरानी को उनके काम रोज समझाने की बजाय उन्हें प्रारंभ से ही कुछ कामों को जिम्मेदारी सौंप दें जैसे सफाई, कपड़े धोना, बरतन साफ करना आदि। बच्चों के लंच का भी उन्हें समझा दें ताकि बच्चों को दोपहर का भोजन समय पर मिलता रहे। कई बार देखने को मिलता है कि आप बच्चों के लिए फल रखकर जाती हैं परन्तु नौकर, नौकरानी उसे खा लेते हैं, इसलिए घर जाकर बच्चों से पूछें कि उन्होंने खाने के साथ फल खाए हैं कि नहीं।
  •  अगर आपके बच्चे ट्यूशन पढ़ते हैं और ट्यूशन टीचर घर पर आता है तो आप बच्चों की पढ़ाई की तरफ से लापरवाह न रहें। खुद भी समय-समय पर ट्यूशन टीचर से बच्चे की पढ़ाई के बारे में बात करते रहें। खुद भी बच्चे को पढ़ाएं व उसके स्कूल की कापियां व डायरी अवश्य देखें।
  •  सप्ताह में छुट्टी वाले दिन बच्चों को घुमाने ले जाएं ताकि बच्चे छुट्टी का आनन्द ले सकें। कोशिश करें कि आप छुट्टी वाले दिन बच्चों के साथ ही रहें। इससे आपके सप्ताह भर की कमी पूरी हो जाएगी।
  •  दफ्तर के काम घर पर मत लाइए। उन्हें दफ्तर में ही निपटा कर आएं।

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