Flight of Spirits: एक पैर की कमी भी सरसा की ज्योति के हौसले को कम नहीं कर सकी!

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आत्मविश्वास के बल पर शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जैवलीन थ्रो में बनी मिसाल

Flight of spirits: सरसा/ओढ़ां (सच कहूँ /राजू ओढ़ां)। आत्मविश्वास मजबूत हो और मन में कुछ कर गुजरने की प्रबल ललक हो तो शारीरिक असक्षमता भी घुटने टेक देती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है ओढ़ां के जवाहर नवोदय स्कूल की दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली ऐलनाबाद निवासी 16 वर्षीय छात्रा ज्योति। ज्योति एक पैर से दिव्यांग है लेकिन उसने अपनी इस कमजोरी को हावी नहीं होने दिया बल्कि इस पर जीत हासिल करते हुए खेलों में कदम आगे बढ़ाए। Sirsa News

दो सालों की मेहनत के बलबूते पर ज्योति ने निशक्त खिलाड़ियों के खेलों में अपनी पहचान बनाई और शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जैवलीन थ्रो में राष्ट्रीय व अंतर्राष्टÑीय स्तर पर 12 पदक जीतकर अपने संस्थान, देश प्रदेश व माता पिता का नाम गौरवांवित किया। ज्योति उन बच्चों के लिए प्रेरणास्त्रोत है जो शारीरिक असक्षमता के चलते अपने आप को कमजोर समझकर आगे नहीं बढ़ पाते। ज्योति का सपना है कि वो एक दिन पेराओलंपिक खेलों में देश का नाम रोशन करे। 16 वर्षीय इस उभरती हुई खिलाड़ी ज्योति से सच-कहूँ प्रतिनिधि ने विशेष बातचीत की।

2 वर्षों में जीते 12 मेडल | Sirsa News

ज्योति 2 वर्ष के अंतराल में 2 नेशनल, 2 इंटरनेशनल व 2 स्टेट खेल चुकी है। जिसमें उसने शॉटपुट में 4, जैवलीन थ्रो में 4 तथा डिस्कस थ्रो में 4 सहित कुल 12 मेडल हासिल किए हैं। इनमें 12 मेडल में से 4 मेडल गोल्ड हैं।

हैदराबाद में शिक्षा व ट्रेनिंग साथ-साथ, पहली बार रोहतक में झटके 2 गोल्ड

ज्योति को वर्ष 2022 में हैदराबाद के रंगारेड्डी में स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में बुलाया गया। वहां पर शिक्षा के साथ-साथ आदित्य मैहता फाउंडेशन की ओर से खेलों की ट्रेनिंग भी दी जाती। 2 वर्ष तक ज्योति ने वहां रहकर 9वीं व 10वीं की शिक्षा ग्रहण की और साथ-साथ खेलों की ट्रेनिंग भी ली। जिसके बाद जनवरी 2023 में रोहतक में राज्यस्तरीय खेल हुए जिसमें ज्योति ने शॉटपुट व जैवलीन थ्रो में 2 गोल्ड मेडल हासिल किए। उसका चयन नेशनल लेवल खेलों के लिए हो गया। फिर अप्रैल 2023 में गुजरात में हुए राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में ज्योति ने बेहतर प्रदर्शन किया और शॉटपुट में गोल्ड व जैवलीन थ्रो में सिल्वर मेडल जीते।

कृत्रिम पैर बना सहारा तो लगा दिये मैडलों के ढेर | Sirsa News

ज्योति ने बताया कि उसका एक पैर दूसरे पैर से काफी छोटा है। जिसके चलते वह चलने में असमर्थ थी। ऐेसे में वह कृत्रिम पैर के सहारे खड़ी हुई और एक सामान्य खिलाड़ी की तरह ही एक नहीं बल्कि तीन तीन खेलों में भाग लेकर बड़ी उपलब्धि हासिल की। ज्योति ने राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलकर 12 मेडल जीतकर ये साबित कर दिखाया कि प्रतिभा शारीरिक क्षमता की मोहताज नहीं होती।

ज्योति ने बताया कि उसके घर में पिता, मां, 2 बहनें व एक भाई सहित कुल 6 सदस्य हैं। जन्म से ही एक पैर से दिव्यांग है। उसने 5वीं तक की शिक्षा अपने गांव ऐलनाबाद के सरकारी स्कूल से ग्रहण की। उसके बाद ओढ़ां के जवाहर नवोदय विद्यालय में कक्षा 6वीं में उसका चयन हो गया। अप्रैल 2022 में हरिद्वार में दिव्यांग बच्चों के लिए आदित्य मैहता फाउंडेशन की ओर से एक शिविर लगाया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों से काफी दिव्यांग बच्चे पहुंचे। इस शिविर में ज्योति ने शॉटपुट व डिस्कस थ्रो में भाग लिया और उसकी बेहतर प्रतिभा के चलते उसका चयन हो गया।

हमें ज्योति पर गर्व है। दिव्यांग होने के बावजूद भी शिक्षा व खेल को मेंटेन रखना अपने आप में काफी मुश्किल भरा है, लेकिन ज्योति ने ये कर दिखाया। हमें विश्वास है ज्योति एक दिन पेराओलंपिक में देश के लिए गोल्ड लाएगी।

— ललित कालड़ा, प्राचार्य (जवाहर नवोदय विद्यालय ओढां)

फरवरी में दुबई में खेलने के लिए उत्साहित ज्योति | Sirsa News

ज्योति अब फरवरी 2025 में दुबई में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में भाग लेने के लिए वह काफी उत्साहित है। फरवरी में उसकी 10वीं की परीक्षा भी है। इसके लिए उस पर एक तरह से दोहरा दबाव भी है, लेकिन फिर भी वह शिक्षा व खेलों को पूरा समय दे रही है। उसे पूरा विश्वास है कि वह पढ़ाई और खेल दोनों में बेहतर प्रदर्शन करेगी। इसके साथ-साथ वह 2025 में होने वाली यूथ एशियन चैंपियनशिप भी भाग लेने के लिए उत्साहित है।

बेटी किसी से कम नहीं, बच्चों को दें शिक्षा व खेलों में आजादी

जब बेटी का खेलों का लिए चयन हुआ तो एक समय तो हमें ये लगा कि वह किस तरह से कर पाएगी। लेकिन जब उसने प्रथम बार गोल्ड जीता तो मेरा विश्वास बढ़ गया कि उनकी बेटी किसी से कम नहीं है। मुझे ज्योति पर नाज है। जो बच्चे दिव्यांग है उन बच्चों के अभिभावकों से मैं आह्वान करता हूं कि प्रतिभा उम्र या शारीरिक क्षमता की मोहताज नहीं होती। अपने बच्चों को शिक्षा व खेलों में आजादी अवश्य दें।           — विजयपाल, ज्योति के पिता।

”अपने आप को किसी से कम न समझें” | Success Story

जो बच्चे दिव्यांग हैं और अपने आप को अन्य से कम समझते हैं, मैं उनसे कहना चाहती हूं कि शारीरिक असक्षमता को कभी अपने आप पर हावी न होने दें। अपनी प्रतिभा को बाहर निकलने दें। वे किसी से भी कम नहीं हैं। मेरे इस खेल व शिक्षा के सफर में मेरे माता-पिता मेरे कवच के रूप में मददगार रहे।       — ज्योति

बैंगुलुरु में हुए ट्रायल, थाइलैंड के लिए हुआ चयन

जून 2023 में बैंगुलुरु में ओपन ट्रायल हुए। जिसमें अंडर-20 एथलेटिक्स में ज्योति का मुकाबला सीनियर खिलाड़ी के साथ हुआ। इस मुकाबले में ज्योति के बेहतर प्रदर्शन के चलते उसका चयन थाइलैंड में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय खेलों के लिए हुआ। दिसंबर 2023 में थाइलैंड में आयोजित हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में ज्योति ने एक साथ 3 खेलों में भाग लिया और तीनों में मेडल हासिल किए। जिसमें जैवलीन थ्रो में सिल्वर, शॉटपुट में सिल्वर तथा डिस्कस थ्रो में ब्रांज मेडल शामिल था।

इस बार गोल्ड नहीं मिला तो अगली बार पक्का

थाइलैंड में भले ही ज्योति का प्रदर्शन बेहतर रहा, लेकिन वह इस बात को लेकर मायूस दिखी कि गोल्ड नहीं जीत पाई। फिर ज्योति के कोच वीनू कोटी ने उसमें ऊर्जा भरते हुए कहा कि कभी आत्मविश्वास को कमजोर न पड़ने देना। वह अपनी तैयारी पूरी रखे, इस बार गोल्ड नहीं मिला तो क्या अगली बार पक्का है। जिसके बाद अप्रैल 2024 में बैंगलुरु में हुए राष्ट्रीय स्तरीय खेलों में ज्योति ने भाग लेकर शॉटपुट में सिल्वर व डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल जीते। जिसके बाद दिसंबर 2024 में फिर से थाइलैंड में अंतर्राष्ट्रीय स्तरीय खेल हुए और इस बार दौरान ज्योति ने गोल्ड की चाह को पूरा कर दिया। उसने जैवलीन में गोल्ड व डिस्कस थ्रो में सिल्वर मेडल हासिल कर भारत देश का नाम चमकाया। Sirsa News

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