इन रौचक खेलों को भूले आज के बच्चे
नमस्कार दोस्तों, आज के आधुनिक युग में समय जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे हमारे देश के भविष्य कहलाने वाले बच्चे अपने आपको केवल मोबाइल फोन तक ही सीमित रखते जा रहे है, यहां तक कि बहुत से बच्चों को उनके माता-पिता द्वारा खेले जाने वाले पुरातन खेलो...
जानें, क्यों मनाया जाता है दशहरा का पर्व? | Dussehra
विजय दशमी दशहरा (Dussehra) का पर्व बुराइयों से संघर्ष का प्रतीक पर्व है, यह पर्व देश की सांस्कृतिक चेतना एवं राष्ट्रीयता को नवऊर्जा देने का भी पर्व है। आज भी अंधेरों से संघर्ष करने के लिये इस प्रेरक एवं प्रेरणादायी पर्व की संस्कृति को जीवंत बनाने की ...
महापरोपकार माह के उपलक्ष्य में कविता
नाच रहा ये जहां ..
डालू जिधर नजर रहमतों के भंडार खुले हैं ,
होकर खुशियों में बावले
आज हम अपने को भूले हैं ।
हमारी किस्मत बनाई ,
की तुम्हें पाकर धन्य हुए ।
आज चली महकती पुरवाई ,
जो हर दिल को छुए ।
नाच रहा है ये जहां ,
हलचल है दसों दिश...
महात्मा गांधी जी के जीवन की कुछ रोचक घटनाएं और तथ्य | Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी का जीवन परिचय | गांधी जयंती विशेष
पवन कुमार।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास कर्म चन्द गांधी (Mahatma Gandhi) था। इनका जन्म 2 अक्तुबर सन 1869 में गुजरात के पोरबन्दर में हुआ। इनके पिता करम चन्द गांधी पंसारी जाति से सम्बन्ध रखते थे व...
तेरे खत के दीवाने शहर में लाखों हैं ….चिट्ठी आई है
एक चिट्ठी किसी एक शहर से चली और पते पर पहुंचते ही सबको पता चल गया चिट्ठी आई है। अल्फाजों की कशिश,शब्दों की मोहब्बत,अक्षरों के आकर्षण का क्या कहना? बिना मजबून भापे ही भगदड़ मच गई ये जानने के लिए मेरे लिए क्या लिखा है? मुझसे क्या कहा? कैसे हैं? कब आएंग...
खुद की पहचान करो
एक बार की बात है, किसी गाँव के पास बहती नदी के किनारे बुद्ध बैठे थे। किनारे पर पत्थरों की भरमार थी, पर छोटी सी वह नदी अपनी तरल धारा के कारण आगे बढ़ती ही जा रही थी। बुद्ध ने विचार किया कि यह छोटी-सी नदी अपनी तरलता के कारण कितनों की प्यास बुझाती है, लेक...
पिंजरे का बंदर
एक समय की बात है एक शरीफ आदमी था। उसके पास एक बंदर था, वह बंदर के जरिए अपनी आजीविका कमाता था। बंदर कई तरह के करतब लोगों को दिखाता था। लोग उस पर पैसे फेंकते थे, जिसे बंदर इकट्ठा करके अपने मालिक को दे देता था। एक दिन मालिक बंदर को चिड़ियाघर लेकर गया, बं...
कुत्ते जिहा ना कोई वफ़ादार
सुत्ता उठ के कोई नहीं खुश हुंदा बुल्लेया
ते बड़े सुत्ते जगा के वेखिया ए
कुत्ते जिहा कोई नहीं वफादार डिट्ठा
ते टुक्कर सुक्का वी पा के वेखिआ ए
तोता जदों वी छड्डिए उड्ड जांदा
कईआं चूरिआं पा के वेखिआ ए
डंग मारनों कदे वी सप्प नहीं हटदा
कईआं दूध पिआ ...
नल का महत्त्व
कहानी लेखक: (उर्वशी)
चीकू खरगोश, मीकू बंदर, डंकू सियार और गबदू गधा एक मैदान में फुटबाल खेल रहे थे। तभी गबदू गधे ने एक जोरदार किक मारी तो फुटबाल हवा में लहराता हुआ मैदान के बाहर जा गिरा और उछलता हुआ पानी से भरे एक गड्डे में चला गया।
फुटबाल लाने मीकू...
Titanic Real Story: डूबे टाईटैनिक की पहली तस्वीरें
10 अप्रैल 1912। ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से टाइटैनिक जहाज अपने पहले और आखिरी सफर पर निकला। टाइटैनिक के बारे में कहा जाता था कि ये टाइटैनिक जहाज कभी डूब ही नहीं सकता। उस समय टाइटैनिक भाप (titanic real story) से चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा जहाज थ...
ऐसे करें पढ़ाई पर अपना ध्यान केन्द्रित
आज बाह्य वातावरण में इतने अधिक ध्यान भंग करने वाले स्रोत हैं कि अपनी पढ़ाई पर सही रूप से स्वयं को केन्द्रित करना अति कठिन होता जा रहा है। विशेषकर किशोरावस्था में अत्यधिक उत्सुक लोग भी अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। अति उत्सुकता एकाग्रता को खत्...
कविता: मैं किसान हूँ…
हा मैं किसान हूँ
जमीं को चीर कर अन्न उगाने वाला।
खुद की पेट काट कर भी
सबकी भूख मिटाने वाला।
सरकार की बीमार
मानसिकता का
शिकार हो कर भी पेट भरने वाला
आय दोगुनी का लॉलीपॉप दे कर ।
एक्ट ला हमें खत्म करने वाली
सरकार के खिलाफ है हम
न हम हिंदुस्ता...
संगत का असर
एक बार एक बौद्ध भिक्षु भिक्षा लेने एक नगर में गया हुआ था। और सारे नगर के लोग उसकी सेवा करना चाहते थे क्योंकि उस समय बौद्ध भिक्षुओं का बहुत सम्मान था। इसलिये जिसे भी पता चला दौड़ा-दौड़ा उस भिक्षु के पास पहुँचा। उन्हीं में से एक वेश्या भी थी जिसने उस भिक...
दर्जी की सीख
एक दिन स्कूल में छुट्टी की घोषणा होने के कारण, एक दर्जी का बेटा, अपने पापा की दुकान पर चला गया। वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा। उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख ...
बच्चों को सिखाएं हार को भी स्वीकारना
बच्चों का मन कोमल और भावुक होता है। उन्हें समझने की जरूरत है और माता पिता से बेहतर उन्हें कौन समझ सकता है। अपनी आकांक्षाओं को उन पर लादने के बजाय उनका मन टटोलें। लगातार मिलने वाली हार से परेशान बच्चा कई बार निरूत्साहित होकर प्रयास करना ही छोड़ देता है...