किसानों से पंजा लड़ा रही है सरकार : हुड्डा

Government is fighting the claws with farmers Hooda

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। किसानों से हाथ मिलाने की बजाय सरकार उनसे पंजा लड़ा रही है। किसानों से आंख मिलाने की बजाय सरकार उन्हें आंख दिखा रही है। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा आज चंडीगढ़ आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कृषि, शिक्षा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, बिजली और मंहगाई के मुद्दे को लेकर सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार हरियाणा की जनता को बहुत महंगी पड़ रही है।

सरकार की नीतियां जनता को गरीबी और महंगाई की खाई में धकेल रही हैं। लगातार पेट्रोल, डीजल, गैस और बिजली के दाम बढ़ रहे हैं। स्टांप ड्यूटी, किसानों की लागत और प्रदेश पर कर्ज में इजाफा हो रहा है। हर वर्ग सरकार से हताश और निराश है। ये सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ पहले से आंदोलनरत किसानों को सरकार अब मंडियों में परेशान कर रही है। रजिस्ट्रेशन, नमी, मिश्रण और मैसेज का बहाना बनाकर गेहूं की खरीद में देरी की जा रही है। ‘मेरी फसल, मेरा ब्यौरा’ वेबसाइट 16 लाख किसानों का ट्रैफिक नहीं झेल पा रही है। सर्वर डाउन होने की वजह से अबतक 8 लाख किसान ही रेजिस्ट्रेशन करवा पाए हैं। बचे हुए 50 प्रतिशत किसान अपना गेहूं कैसे बेचेंगे?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फेल

हुड्डा ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को पूरी तरह विफल करार दिया। उन्होंने बताया कि आरटीआई के मुताबिक बीमा कंपनियों ने किसानों के 75 फीसदी से अधिक दावों को खारिज कर दिया है। इस मामले में अगर राज्यवार आंकड़े देखें तो हरियाणा तीसरे नंबर पर आता है। यहां बीमा कंपनियों ने 3 साल में 1,96,795 फसल बीमा दावों को खारिज कर दिया।

प्रदेश में 56 फीसदी डॉक्टरों के पद खाली

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का जिक्र करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में डॉक्टरों के 56 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। सरकार को बताना चाहिए कि उसने अबतक कितने डॉक्टर भर्ती किए और कितने मेडिकल कॉलेज खोले हैं? हुड्डा ने कहा कि सिर्फ अस्पतालों में ही नहीं, स्कूलों में भी स्टाफ का भारी टोटा है। सरकारी स्कूलों में टीचर्स के करीब 45 हजार पद खाली पड़े हुए हैं। स्कूलों में हेड मास्टर और प्रिंसिपल के भी करीब 50% पद खाली पड़े हैं। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री के जिले करनाल में 54 प्रतिशत स्कूलों में हेड टीचर नहीं है। बावजूद इसके सरकार नई भर्तियां नहीं कर रही है। जबकि करीब 1 लाख एचटेट पास जेबीटी 7 साल से भर्ती का इंतजार कर रहे हैं।

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