‘धान की खेती छोड़ अन्य फसलें उगाएं, 7000 प्रति एकड़ पाएं’

 बढ़ते जल संकट को देखते हुए सरकार ने उठाया कदम

 मक्का, कपास, अरहर, मूंग, मोंठ, उड़द, ग्वार, सोयाबीन तिल, मूंगफली, अरंडी या बागवानी का आह्वान

कैथल (सच कहूँ/वर्मा)। डीसी प्रदीप दहिया ने बताया कि प्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में घटते भूजल स्तर व जल संरक्षण के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना चलाई है। योजना के तहत किसानों को धान की जगह अन्य फसल लेने पर प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। डीसी ने जिला के किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि किसान जीवन में जल के महत्व को समझते हुए फसल विविधिकरण पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर मौजूद किसी भी जीवन के लिए पानी बेहद आवश्यक है। ऐसे में भविष्य में पानी से जुड़ी चिताओं को ध्यान रखते हुए हम सभी को इसके संरक्षण की दिशा में कार्य करना होगा। प्रदेश सरकार ने इन्हीं उद्देश्यों के साथ वर्ष 2020-21 में मेरा पानी मेरी विरासत योजना की शुरूआत की थी। इस योजना के माध्यम से जल संरक्षण के लिए कार्य कर रहे लोगों व संस्थाओं को विभिन्न प्रकार के अनुदान दिए जा रहे हैं।

 जीवन के जल के महत्व को समझे आमजन : डीसी

उन्होंने बताया कि इस वर्ष जिला का कोई किसान धान की फसल को छोड़ कर अन्य फसल जैसे मक्का, कपास, अरहर, मूंग, मोंठ, उड़द, ग्वार, सोयाबीन तिल, मूंगफली, अरंडी या बागवानी से सम्बन्धित फसल लेता है तो योजना अनुसार प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। उपायुक्त ने बताया कि यदि किसी किसान ने पिछले वर्ष धान के बजाय अन्य फसल ली हो और इस बार भी उसी खेत पर अन्य फसल बोएगा तो भी उनको प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। धान के बदले खाली खेत छोड़ने वाले किसान को भी प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। जिसकी पुष्टि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, बागवानी विभाग, पटवारी, नंबरदार व संबंधित किसान की गठित कमेटी द्वारा की जाएगी।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।