इंस्ट्राग्राम पर गुरु जी का जलवा, हैंडबॉल खेलते एमएसजी

बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने इंस्ट्राग्राम पर एक नई रील अपलोड की है। रील में पूज्य गुरु जी हैंड बॉल हुए नजर आ रहे हैं। वीडियो देखने के लिए इस पर क्लिक करें।

खेल जगत में भी पूज्य गुुरु जी का अपना अलग ही नाम है। एक, नहीं दो नहीं बल्कि 32 नेशनल और इंटरनेशनल गेम्स खेलकर इन्होंने सबकों हैरतअंगेज किया हुआ है। ऐसे में पूज्य गुरु जी को अगर ‘मल्टी स्पोर्ट्स पर्सन’ कहें तो उचित होगा। खेल के मैदान में बड़े-बड़े धुरंधर आप जी के आगे ज्यादा देर नहीं ठीक पाते। पूज्य गुरु जी में ये खेल प्रतिभाएं बचपन से ही दिखनी शुरू हो गई थी। क्रिकेट, कबड्डी, बैडमिंटन, तैराकी, फुटबाल, बास्केटबाल, निशानेबाजी व एथलैटिक्स की विभिन्न स्पर्धाओं में पूज्य गुरु जी भाग ही नहीं लेते बल्कि अपनी टीम का नेतृत्व भी किया करते।

धार्मिक स्थलों पर हमेशा एकचित्त, एकमन होकर सुनें : पूज्य गुरु जी

पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा (यूपी) से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी वचनों की वर्षा करते हुए निहाल किया। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मेडिटेशन में बड़ी शक्ति है, मेडिटेशन में बड़ी ताकत है। अगर कोई सही ढंग से गुरुमंत्र का जाप करे। ढंग यही है कि अगर बैठकर करो तो सिर्फ और सिर्फ गुरुमंत्र का ही जाप करो। चाहे पाँच मिनट, 10-15 मिनट। सत्संग सुनने आए हो तो सिर्फ सत्संग सुनो। राम-नाम की चर्चा सुनो, इधर-उधर की बातें, तूं एं क्यों हो गई, तूं एं क्यों बैठा है, ये चीजें करने में टाइम गुजार दोगे और फकीर जो समझाने जा रहे हैं उससे आप खाली रह जाओगे।

वो कहते हैं ना चिकना घड़ा, बरसात हुई भी लेकिन बूंद एक ना ठहरी और जो थोड़े से कोरे घड़े होते हैं तो जब वो पानी में हैं पानी को अंदर तक भी ले जाते हैं। तो ये आपके ऊपर है, आपने बतियाते ही रहना है तो आप चिकने घड़े हैं। आपके अंदर नहीं जा रहा है ज्ञान कुछ भी। कहां से आप चलकर आते हो, कितना समय निकालते हो राम-नाम के लिए या आप सत्संग में कहीं भी जाते हो, मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरुद्वारा, राम, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड का नाम लेने पहुंचे हो, उसकी भक्ति करने पहुंचे हो, वहां भी बातें। इधर हो जा, उधर हो जा, ये नहीं, वो नहीं, फलां नहीं। क्या? पैसा लगाया, कितनी दूर चले, वहां पहुंचे, लेकिन बैठे थे परमात्मा की बात सुनने और लगे रहे अपनी चुगलियों में, अपनी बातों में, एक-दूसरे के कपड़े देखने में। अच्छा उसने कैसे पहने हैं? ऊंह, ये तो नहीं काम के, तूने क्या टिंडसी लेनी है भाई। अगले के पैसे, अगले के कपड़े, अगला पहनकर आया, तुझे तकलीफ क्यों? तो ये चलता है, बिना वजह। अरे सत्संग सुनने आए हो, पाक-पवित्र जगहों पर पधारे हो। वहां ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु का नाम चल रहा है। हमारे महापुरुषों के, गुरु साहिबान, पीर-पैगम्बरों के पवित्र वचन, जो 100 क्या लाख पर्सेंट सच्चे हैं वो चल रहे हैं। अरे सुनो, ज़िंदगी में बहारें आ जाएंगी।

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