जाट आंदोलन में हाई कोर्ट का फैसला, अभी वापिस नहीं होंगे हिंसा के 407 मामले

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चंडीगढ़ (सच कहूँ न्यूज)

जाट आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर हुई तोड़फोड़, हिंसा व आगजनी के 407 मामले वापिस लेने की हरियाणा सरकार की सभी कोशिशें धरी की धरी रह गई। मंगलवार को हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अख्त्यिार करते हुए अगली सुनवाई तक इन मामलों को रद्द न किए जाने के बाबत सरकार को आदेश दे डाले।

सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने बताया कि जिन्हें सरकार मामले बता वापिस लेने की तैयारी कर रही है, उनमें से 129 मामलों को जाट आंदोलन की जाँच कर चुकी प्रकाश सिंह कमेटी बेहद ही गंभीर मामले बता चुकी है लिहाजा हाईकोर्ट के सख्त तेवर देख हरियाणा सरकार को आश्वाशन देना पड़ा कि वह फिलहाल यह 407 मामले अगली सुनवाई तक वापिस नहीं लेगी।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार अब जाट आनदोलन में अपनी नाकामी छिपाने की कोशिश में है और राजनैतिक हित साधने में लगी है और यह 407 एफआईआर शांति और सौहार्द के बहाने से वापिस लिए जाने की तैयारी की जा रही है। गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में जाट नेताओं से मुलाकात भी की थी।

अमित शाह की रैली के पहले भी जाटों को शांत करने के लिए सरकार ने अनेक बार जाट नेताओं से बात की थी। इसी के चलते गत वर्ष जून में 137 तथा इसी मई माह मे 270 मामलों को वापिस लेने का निर्णय लिया गया है।

इस पर हरियाणा सरकार ने कहा कि यह सभी एफआईआर ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखी जाएंगी जिस केस में ट्रायल कोर्ट मंजूरी देगी वही वापिस ली जा सकती है। सरकार की इस दलील पर गुप्ता ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में पक्ष भी तो सरकार की ओर से पब्लिक प्रोसिक्यूटर ही रखेगा।

अगली सुनवाई तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी

सरकार इस पूरी जानकारी के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर रोक लगाई जानी बेहद ही जरुरी है हाईकोर्ट किसी भी दोषी को बचने का अवसर नहीं दे सकता है। हाईकोर्ट के दबाव के बाद आखिरकार सरकार को हाईकोर्ट को आश्वासन देना पड़ा कि वह फिलहाल इन एफआईआर को वापिस लिए जाने की प्रक्रिया पर रोक लगा देंगे और अगली सुनवाई तक इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं की जाएगी।

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