Holy Incarnation Day : राजस्थान की साध-संगत ने तोड़े सभी रिकॉर्ड

जयपुर\बीकानेर (लखजीत इन्सां)। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह मस्ताना जी महाराज का 131वां पावन अवतार दिवस का भंडारा राजस्थान की साध-संगत विद्या नगर स्टेडियम (जयपुर) व शाह सतनाम जी कृपा सागर धाम बीकानेर में हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया। इस कार्यक्रम में पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से साध-संगत से रूबरू हुए और साध-संगत को साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पाक-पवित्र अवतार दिवस की बधाई दी और खुशियों से सराबोर किया।

भंडारे के पावन अवसर पर दो नए मानवता भलाई कार्यो का आगाज हुआ। जिससे मानवता भलाई कार्यो का कारवां बढ़कर 146 पर पहुंच गया हैं। इन कार्यो में 145वें कार्य के रूप में देश की पुरातन विरासत यानी हवन सामग्री या घी द्वारा वातावरण को शुद्ध करने के तहत सुबह-शाम अपने-अपने घरों में एक या एक साथ 17 घी या तेल के दिये जलाएंगे, का नया कार्य शुरू किया गया। जिसको करने की समस्त साध-संगत ने एक साथ हाथ खड़े करके व धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर प्रण लिया। इस कार्य की सर्वप्रथम शुरूआत पूज्य गुरु जी ने बरनावा स्थित शाह सतनाम जी आश्रम में 9 दिए प्रज्वलित करके की। इन 9 दियों को बाद में शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा, शाह सतनाम जी धाम सिरसा व शाह मस्ताना जी धाम सिरसा में लगाए जाएंगे और ये दिये अखंड ज्योत की भांति हमेशा जलते रहेंगे।

पावन भंडारे का पूज्य गुरु जी के आॅफिशियल यूट्यूब चैनल सेंट एमएसजी पर लाइव प्रसारण किया गया। इसके अलावा राजस्थान में बीकानेर, जयपुर, हिमाचल प्रदेश में चचिया नगरी, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में मेरठ, मध्य प्रदेश में बुधनी, मुम्बई आश्रम, महाराष्ट्र में फलटण स्थित डेरा सच्चा सौदा आश्रम, गुजरात में लाकड़िया आश्रम, बिहार में सहारसा, छतीसगढ़ में बैंकुंठपुर और नेपाल में भी पावन भंडारा वहां की साध-संगत द्वारा मनाया गया। लेकिन फिर भी साध-संगत के जोश, जुनून व दृढ़ विश्वास के आगे विद्या नगर स्टेडियम (जयपुर) व शाह सतनाम जी कृपा सागर धाम बीकानेर में तिल रखने की जगह नहीं थी

पावन भंडारे पर पूज्य गुरु जी ने किए दो और नए मानवता भलाई कार्य शुरू

डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के 131वें पावन अवतार दिवस का भंडारा धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर सच्चे दाता रहबर पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दर्श-दीदार करने के लिए शाह सतनाम जी धाम सरसा में लाखों की संख्या में साध-संगत पहुँची। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने दो मानवता भलाई कार्य शुरू करवाए। अब कुल मानवता भलाई कार्य 146 हो गए हैं।

इस दौरान पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि पुरातन समय में हवन सामग्री या घी द्वारा वातावरण शुद्ध किया जाता था। हमारी उस महान संस्कृति को अपनाते हुए, अपने घरों में कम से कम एक या एक साथ 17 तेल के या घी के आप दीये जलाए सुबह-सुबह, शाम को, जितना देर जला सके, ताकि पूरा वातावरण शुद्ध हो सके। इस अवसर पर करोड़ों में बैठी साध-संगत ने हाथ खड़े करके प्रण लिया। पूज्य गुरु जी ने अपने पावन कर कमलों से 9 दीये जला के शुरूआत की। आपको बता दें कि तीन दीपक शाह मस्ताना जी धाम सिरसा में, तीन यूपी दरबार और तीन दीपक शाह सतनाम जी धाम, सिरसा में स्थापित किए जाएँगे और जोत हमेशा प्रज्वलित रहेगी।

मानवता भलाई कार्य

  • 145. घी या तेल जो आपको ठीक लगे, सुबह और शाम, जलाओ।

  • 146. प्रति दिन दो घंटे 7 से 9 बजे तक मोबाइल से दूर रहेंगे। (SEED CAMPAIGN) –Digital Fasting

आइयें सुनते हैं पूज्य गुरु जी के रूहानी वचन…


पावन भंडारे पर 21 आदिवासी युगलों ने रचाया विवाह

डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के 131वें पावन अवतार दिवस का भंडारा धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर सच्चे दाता रहबर पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन दर्श-दीदार करने के लिए शाह सतनाम जी धाम सरसा में लाखों की संख्या में साध-संगत पहुँची। शाह सतनाम जी बरनावा आश्रम में आयोजित पावन भंडारे के शुभ अवसर पर राजस्थान के उदयपुर जिला के कोटड़ा व झाडौल से आए 21 आदिवासी युगल विवाह में बंधे।

Tribal Marriage

सभी युगल चंद मिनटों में ही डेरे की मर्यादानुसार दिलजोड़ माला पहना परिणय सूत्र में बंधे। एक ही मंच पर कुछ ही मिनटों में 21 शादियों का अद्भुत दृश्य देखते ही बनता था। शादी करने वाले समस्त जोड़ों को डेरा सच्चा सौदा द्वारा गठित ब्लाकों की ओर से घरेलु सामान दिया गया। आपको बता दें कि ये आदिवासी कभी समाज की सभ्यता से कोसों दूर, बुराइयों में लिप्त, नग्न अवस्था में रहते थे। पूज्य गुरु जी इन क्षेत्रों में पधारे और इन्हें रहना-सहना, खान-पान सिखाया एवं इन्हें रोजगार के साधन मुहैया करवाये। पूज्य गुरु जी से प्रेरणा पाकर आज उक्त आदिवासी सभ्य जीवन यापन कर रहे हैं। आइयें देखते हैं आदिवासियों की शादी….


साध-संगत जी खुशखबरी, Saint Dr. MSG ने फिर लॉन्च किया भजन | Jaago Duniya De Loko

डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह मस्ताना जी महाराज का 131वां पावन अवतार दिवस का भंडारा उत्तर प्रदेश की साध-संगत मार्शल पिच, कंकर खेड़ा (मेरठ) में, राजस्थान की साध-संगत विद्या नगर स्टेडियम (जयपुर) व शाह सतनाम जी कृपा सागर धाम बीकानेर में और इसके अलावा देश विदेश की साध-संगत ने अपने-अपने घरों में रहकर यूटयूब चैनल पर लाइव आॅनलाइन प्रोग्राम के माध्यम से पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के दर्शन व रूहानी वचनों को एकाग्रचित होकर ध्यान से सुना। पावन अवतार दिवस पर पूज्य गुरु जी ने साध-संगत को एक बहुत बड़ा तोहफा दिया है।

पूज्य गुरु जी ने ‘Jaago Duniya De Loko ’ भजन लॉन्च किया। लॉन्च होते ही ये भजन सोशल मीडिया पर हाथों हाथ वायरल हो गया। साध-संगत ने अपने घरों में भजन को पूरे परिवारों के साथ श्रद्धा और उल्लास से श्रवण करते हुए नाच-नाच कर खुशी का इजहार किया। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, दिल्ली, तमिलनाडू, गुजरात, बिहार सहित देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूएई, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, इटली, इंग्लैंड, दुबई और कुवैत सहित कई देशों में इस भजन पर नाचती साध-संगत की वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब नजर आई। आपको बता दें कि इस भजन को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने स्वयं लिखा, गाया व संगीतबद्ध करने के साथ-साथ वीडियो निर्माण भी करवाया है।

आत्मबल के बिना इंसान को नही मिल सकती आत्मिक शांति

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि खुशी ढूंढने के लिए संसार का हरेक इंसान दुनिया में घूमता है। बहुत से लोग कलह, क्लेश व टेंशन से सताए हुए जगह-जगह घूमते रहते है। लेकिन उनकी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आता और ना ही उन्हें टेंशन परेशानी से मुक्ति मिलती। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जिंदगी में बदलाव तभी आएगा जब दिमाग में सुख-शांति होगी और अंदर आत्मबल होगा। क्योंकि आत्मबल के बिना चाहे इंसान कही भी घूमता फिरे उसे शांति नहीं मिल सकती। आत्मबल को पाने का साईं दाता रहबर साईं शाह मस्तान जी, शाह सतनाम जी ने घर परिवार व अपने धर्म को मानते हुए नाम शब्द, गुरु मंत्र, कलमा, मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन का आसान तरीका बताया।

जिसका अभ्यास करने से आत्मिक शांति इंसान को उसके अंदर से मिलती है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि लोग आत्मिक शांति को हासिल करने के लिए बहुत पैसा लगाते है, अलग-अलग तरह का खाना खाते है, दवाइयां लेते है, लेकिन इनसे आत्मिक शांति नहीं मिलती। अब तक संसार में ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जिससे आत्मिक शांति मिलती हो। हालांकि आत्मिक शांति गई कही भी नही है। वो तो आत्मा के साथ जुड़ी हुई है और आत्मा मनुष्य के अंदर रहती है। आत्मिक शांति को हासिल करने व आत्मबल को बढ़ाने के लिए जो टॉनिक है वो परमात्मा है।

परमात्मा के नाम से मिलती है आत्मा को शक्ति

आत्मा और परमात्मा के बारे में समझाते हुए पूज्य गुरु जी ने कहा कि परमात्मा का कोई नाम लेता है, उसकी भक्ति इबादत करता है तो आत्मा में शक्ति आती है। जब आत्मा में शक्ति आती है तो इंसान के गम, दुख, दर्द, चिंता, परेशानी, टेंशन दूर हो जाती है। जैसे ही यह सब परेशानियां दूर हो जाती है तो दबी हुई आत्मिक शांति फिर से इंसान में छा जाती है और सारा संसार इंसान को बहार की तरह लगने लगता है।

पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर किसी इंसान का सिर दर्द हो रहा हो या कोई बेचैन हो, चिंता ग्रस्त हो, उस दौरान कोई कितना भी अच्छा नाच गान चल रहा हो, कितने भी अच्छे संगीत गा रहा हो। लेकिन उस इंसान को ऐसा लगता है जैसे कोई पतझड़ आ गई हो। जब इंसान का शरीर तंदुरुस्त हो, आत्मिक शांति हो तो उजाड़ों में भी लगता है जैसे बहार आ गई हो। आत्मिक शांति आत्मबल से आती है और आत्मबल ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब के नाम से आता है।

अज्ञानता रूपी अंधकार में जो ज्ञान का दीपक जला दें, वही सच्चा गुरु

पूज्य गुरु जी ने कहा कि हैरानीजनक बात है कि नाम को लेने के लिए कोई पैसा नही लगता। इस नाम को हिंदु धर्म में गुरु मंत्र या गुरु मंत्र, सिख धर्म में नाम शब्द, इस्लाम धर्म में कलमा, इंग्लिश फकीर या ईसाई धर्म में इसे मैथ्ड आॅफ मेडिटेशन कहते है। सभी का एक ही अर्थ है। इन शब्दों के अर्थो के बारे में समझाते हुए कहा कि गुरु और मंत्रा दो शब्दों के जोड़ से बना है। गुरु में गु का मतलब अंधकार और रू का मतलब प्रकाश यानी दोनों को जोड़ दें तो इसका अर्थ बनता है जो अज्ञानता रूपी अंधकार में ज्ञान का दीपक जला दें, वह सच्चा गुरु होता है। मंत्रा का अर्थ है शब्द, युक्ति, मैथ्ड, तरीका। इस प्रकार यह गुरुमंत्र या गुरुमंत्रा का अर्थ हुआ। पूज्य गुरु जी ने बताया कि गुरुमंत्र गुरु का मंत्र नहीं होता, वह शब्द जो गुरु पहले खुद अभ्यास करता है, फिर वह अपने शिष्य को बताता है, समाज को बताता है और यह कहें कि हम भी इंसान है और आप सभी लोग भी इंसान है।

अगर भगवान के वो शब्द, परमात्मा के शब्द हमें आत्मिक शांति के साथ-साथ मालिक के दर्श-दीदार, उसके रहमो कर्म, कृपा दृष्टि से मालामाल कर सकते है, तो वो शब्द आप लोग पर असर क्यूं नहीं करेंगे। संत और आम इंसान में फर्क बताते हुए कहा कि संत भगवान के नाम यानी गुरुमंत्र का अभ्यास दिन-रात अवचेतन मन से 24 घंटे करते है और इंसान ने उसका अभ्यास शुरू करना है। इंसान भगवान के नाम का जाप करेगा, तभी उसे परमात्मा की प्राप्ति होगी, तभी आत्मिक शांति आएगी। ऐसे ही नाम शब्द का अर्थ है, जिसमें नाम यानी परमात्मा का नाम। जो अंदर चल रहे शब्द से जोड़ दें। जिसको अनहद वाणी, धुर की वाणी, बांगे इलाही, कलमा ए पाक, द गॉड्स वाइट एंड लाइट कहा गया है।

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