कैसे हाइपरटेंशन से पाए छुटकारा, जानें, डॉक्टर की जुबानी

सरसा। हाइपरटेंशन आज के समय की एक चुनौतीपूर्ण समस्या बन चुका है और समय के साथ इसका प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। पुराने समय में हाइपरटेंशन को सिर्फ वृद्धावस्था की बीमारी माना जाता था परंतु आज इसने युवावस्था को भी अपनी चपेट में ले लिया है। आज के समय में काफी कम आयु से ही लोगों में हाइपरटेंशन की समस्या आने लगी है। इसमें संदेह नहीं है की हाइपरटेंशन किसी भी समय जानलेवा हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना से 50 प्रतिशत हाईबीपी के मरीज शिकार होते हैं। हर साल हाईबीपी से 15 लाख लोगों की मौत हो जाती है। हाइपरटेंशन दिन प्रतिदिन बड़ी समस्या बनता जा रहा है क्योंकि दुर्भाग्य से इसका ज्ञान लोगों को नहीं है। परंतु यदि इसको समझ लिया जाए तो आसानी से इसका सामना किया जा सकता है। तो आइए समझते हैं डॉ. शिवकुमार से क्या होता है हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर? क्या इसके कारण हैं? और क्या इसका निवारण है ?

शरीर में खून की नाड़ियों में जब खून का प्रेशर अधिक हो जाता है उसे हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन कहते हैं। किसी विशेष परिस्थिति में कुछ पल के लिए किसी भी स्वस्थ व्यक्ति का ब्लड प्रेशर अधिक हो सकता है, परंतु इसे हाइपरटेंशन नहीं कहा जाता। जब ब्लड प्रेशर काफी समय तक लगातार हाई ही बना रहे तब यह हाइपरटेंशन कहलाता है। ब्लड प्रेशर को Sphygmomanometer से नापा जाता है इसमें दो तरह की रीडिंग ली जाती हैं ऊपर वाली रीडिंग को सिस्टोलिक (systolic) ब्लड प्रेशर एवं नीचे वाली रीडिंग को डायस्टोलिक (diastolic) ब्लड प्रेशर कहते हैं दोनों रीडिंग्स का अपना अलग महत्व है।

2017 की ACC/AHA गाइडलाइंस के अनुसार-

    Category                       Sys.BP               Dias.BP

  • सामान्य ब्लड प्रेशर                <120                    <80
  • बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर              120-129                 <80
  • हाइपरटेंशन- स्टेज 1             130-139               80-89
  • हाइपरटेंशन- स्टेज 2              >140                     >90

हाइपरटेंशन दो तरह का होता है-

प्राइमरी (Primary) हाइपरटेंशन या एसेंशियल (Essential) हाइपरटेंशन – 90 से 95% लोगों में यही हाइपरटेंशन होता है। इस हाइपरटेंशन के पीछे कोई पहचाने जाने योग्य कारण नहीं होता जिसको शरीर में किसी टेस्ट के द्वारा चेक किया जा सके।

सेकेंडरी (Secondary) हाइपरटेंशन- यह 5-10% लोगों में पाया जाता है। सेकेंडरी हाइपरटेंशन के पीछे पहचाने जाने योग्य कारण होता है। जैसे कि Aldosterone hormon की अधिकता होना (हाइपरएल्डोस्टरॉनिज्म), गुर्दे के रोग, Pheochromocytoma इत्यादि।

यह जानने योग्य है कि यदि एक बार प्राइमरी हाइपरटेंशन हो जाए तो यह आजीवन रहता है। उसको पूर्ण रूप से ठीक नहीं किया जा सकता बस उस को कंट्रोल में रखना पड़ता है। दूसरी तरफ सेकेंडरी हाइपरटेंशन को पूर्ण रूप से ठीक किया जा सकता है यदि इसके कारण को ही ठीक कर दिया जाए। गर्भावस्था में होने वाली हाइपरटेंशन को गैस्टेशनल (Gestational) हाइपरटेंशन कहा जाता है।

हाइपरटेंशन के कारण

1. बढ़ती उम्र – आमतौर पर अधेड़ अवस्था के बाद जैसे-जैसे आयु बढ़ती है ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। क्योंकि बढ़ती आयु के अनुसार खून की नाड़ियों का लचीलापन धीरे-धीरे कम होने लगता है। कम लचीली नाड़ियों में जब खून का प्रवाह होता है तो यह अधिक प्रेशर बनाता है। इसलिए वृद्धावस्था में आमतौर पर बीपी हाई पाया जाता है।

2. व्यायाम रहित जीवन शैली- यदि जीवन शैली में शारीरिक व्यायाम की कमी है मतलब यदि हम अपना काम आॅफिस में बैठकर ही करते हैं जो कि आधुनिक युग में पूर्णत: समा चुका है।आधुनिक युग या कहें कि डिजिटल वर्ल्ड में हमारी दिनचर्या में शारीरिक व्यायाम की कमी आ गई है जो बीपी को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाता है।

3 मानसिक तनाव- दूसरी तरफ आज के जीवन में मानसिक तनाव भी अपने पंख फैला रहा है और अधिकांश लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं और यह बीपी बढ़ाने के मुख्य कारणों में से एक है।

Junk Food, Society, Burger, Chips, Pizza

4. अनियंत्रित खानपान- आज के समय में खानपान की क्वालिटी में आई गिरावट भी बीपी बढ़ने का एक मुख्य कारण है। इसमें फास्ट फूड, जंक फूड, अधिक तेल वाले खाने आदि का सेवन बीपी को बढ़ाता है। इसके अलावा मोटापा, नींद की कमी, धूम्रपान का सेवन, कई प्रकार की दवाइयां आदि भी बीपी को बढ़ाती हैं।

 

हाइपरटेंशन के लक्षण-

1.आमतौर पर हाइपरटेंशन की वजह से मरीज में किसी भी तरह का लक्षण नहीं होता। मतलब आमतौर पर मरीज को लगता ही नहीं कि उसे कोई समस्या है। अधिकतर उसे बीपी चेक करने के बाद ही पता चलता है कि उसको उसका ब्लड प्रेशर हाई है।

Migraine, Headache, Treatment, Health Tips

2. हाइपरटेंशन की वजह से मरीज में कुछ लक्षण हो सकते हैं जैसे कि सिरदर्द, घबराहट, हृदय की धड़कन का बढ़ना, बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ, नींद कम आना, सुस्ती इत्यादि।

3. इसके अलावा यदि ब्लड प्रेशर बहुत अधिक है तो यह कुछ घातक परेशानियों का कारण भी बन सकता है विशेषकर वृद्धावस्था में जैसे कि हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक (अधरंग) इत्यादि।

 

हाइपरटेंशन का उचित उपचार

  • 40 वर्ष की उम्र के बाद हर एक व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार अपना नॉर्मल बॉडी चेकअप जरूर कराना चाहिए। जिससे कि शरीर में होने वाली किसी भी समस्या को हम पहले ही पकड़ लें और आसानी से उसका समाधान कर सके।
  • यदि आपका ब्लड प्रेशर अधिक है मतलब 120/80mmHg से ज्यादा है लेकिन यह बहुत ज्यादा नहीं है। मतलब 150/90mmHg से कम है तब आपका डॉक्टर आपको डाइट (खानपान) और लाइफस्टाइल (जीवनशैली) में सुधार की सलाह देगा।
  • खानपान में नमक को नियंत्रित करना पड़ेगा।
  • क्योंकि नमक के अंदर सोडियम पाया जाता है जो कि हमारे ब्लड प्रेशर को बढ़ाता हैक और अपने खान-पान में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को भी कम करना पड़ेगा।
  • हमारी डाइट के अंदर अधिक से अधिक फाइबर्स होने चाहिए, फल और सब्जियां होनी चाहिए।

Celebrate Yoga Day

  • जीवनशैली में परिवर्तन की अगर बात करें तो इसमें प्रतिदिन व्यायाम जैसे की सैर करना, दौड़ लगाना, योगा करना और तनाव नियंत्रण करने वाले प्राणायाम करना आदि।
  • अपने प्रतिदिन के जीवन में तनाव को कम करना ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के लिए बहुत ही सहायक सिद्ध हुआ है।
    आप अपने ब्लड प्रेशर को निरंतर चेक करते रहिए और जब आप अपने डॉक्टर के पास दोबारा जाएंगे लगभग एक महीना बाद और आपका ब्लड प्रेशर अब यदि नियंत्रण में आ गया है मतलब कि नॉर्मल हो गया है तब आपका डॉक्टर आपको वही डाइट और लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन की सलाह देता है जो आपने जीवन भर अपनाना है।
  • परंतु यदि आपका ब्लड प्रेशर सिर्फ डाइट और लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन से नियंत्रण में नहीं आया है तब आपको इसके अलावा डॉक्टर कुछ एंटी- हाइपरटेंसिव दवाइयां मतलब कि ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाली दवाइयां लिखता है। आजकल ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने वाली बहुत सी दवाइयां मार्केट में उपलब्ध है। परंतु आप की सही दवाई का चयन ब्लड प्रेशर के कारण, आपकी आयु और अन्य शारीरिक परेशानियों के आधार पर ही होता है और यह आपका डॉक्टर करेगा।
  • दूसरी स्थिति में यदि पहली बार में ही आपका ब्लड प्रेशर 150/ 90mmHg से अधिक है तब डाइट और लाइफस्टाइल मोडिफिकेशन के अतिरिक्त आपको शुरूआत में ही आपका डॉक्टर दवाइयां लिख देता है। और धीरे-धीरे आपका डॉक्टर अगले आने वाले समय में आपकी दवाइयों को और उनकी ङ्मि२ी को एडजस्ट कर देगा।

DR. SHIV (MBBS,MD) (Patiala)

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।