पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को जो शहनशाह मस्ताना जी के हुकम से गुरगद्दी बख्शीश की गई है वह परमात्मा को मंजूर है इसलिए: ल्ल जो भी इन्हें (पूज्य हजूर पिता जी) से प्रेम करेगा वह मानों साडे नाल (हमारे से) (पूजनीय परम पिता जी से) प्रेम करता है।
ल्ल जो जीव इनका हुकम मानेगा, वह मानों हमारा हुकम मानता है।
ल्ल जो जीव इन पर विश्वास करेगा, वह मानों हमारे पर विश्वास करता है।
जो जीव इनसे भेदभाव करेगा वह मानों हमसे भेदभाव करेगा।-यह रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे से नहीं बख्शी जाती, इस रूहानी दौलत के लिए बर्तन पहले से ही तैयार होता है, जिसको सतगुरु अपनी नजर-ए-मेहर से पूर्ण करता है और अपनी नजर-ए-मेहर से उससे वह काम लेता है, जिस बारे दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते। एक मुस्लमान फकीर के वचन हैं:-
विच शराबे रंग मुस्सला
जे मुर्शिद फरमावे।
वाकिफकार कदीमी हुंदा,
गलती कदे ना खावे।।
ल्ल यह सब आप जी के समक्ष हुआ। शहनशाह मस्ताना जी ने जो खेल खेला उस समय किसी के भी समझ में नहीं आया। जो बख्शीश शहनशाह मस्ताना जी ने अपनी दया-मेहर से की उसे दुनिया की कोई ताकत हिला-डुला नहीं पाई। जो जीव सतगुरु के वचनों पर भरोसा रखेगा, वह सुख पाएगा। मन तुम्हें मित्र बना कर धोखा देगा। इसलिए जो डेरा प्रेमी सतगुरु का वचन सामने रखेगा मन से वही बच सकेगा और सतगुरु सदा उसके अंग-संग रहेगा।