संत की सीख
बाबा बोले- सेठ जी, लोभी मनुष्य दूसरों को भी अपने जैसा ही समझता है। मैं एक साधारण भक्त हूं। हीरे-मोती,फल, मिठाई से मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। मैं समाज का दुख दूर करने में ही अपना जीवन सार्थक समझता हूं। बस आप लोगों का धन निधर्नों तक पहुंचा देता हूं।
























