सहकारिता मंत्री की बढ़ी मुश्किलें

Increased difficulties of cooperative minister

कोर्ट ने दिए मनीष ग्रोवर और रमेश लौहार के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश

  • मनीष ग्रोवर बोले-न्यायपालिका पर पूरा भरोसा, याचिकाकर्ता बोले-मंत्री को बचाने का प्रयास

रोहतक (नवीन मलिक/सच कहूँ)।

लोकसभा चुनाव के मतदान के दिन काठमंडी स्थित बनाए गए मतदान केन्द्र में सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर व पूर्व विधायक भारत भूषण के बीच हुई नौंक-झौक के मामले ने नया मोड़ आ गया है। मामले को लेकर बार एसोसिएशन प्रधान लोकेन्द्र फौगाट द्वारा अदालत में दी गई 156(3) सीआरपीसी के तहत अर्जी के बाद अदालत ने मंत्री व भाजपा नेता रमेश लौहार के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए है।

अदालत ने साफ कहा है कि एफआईआर दर्ज करने के बाद संबंधित थाना प्रभारी मामले की जांच करे। सहकारिता मंत्री का कहना है कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और वे कानून का पालन करने वाले व्यक्ति है, जबकि याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार के दबाव में पुलिस प्रशासन मंत्री को बचाने में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि 420, 120बी सहित 11 धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के लिए अदालत में अर्जी दी थी।

शिवाजी कॉलोनी पुलिस का कहना है कि अदालत के आदेशों की कापी उन्हें नहीं मिली है और अदालत के आदेशों के तहत आगामी कारवाई अमल में लाई जाएगी। दरअसल 12 मई को लोकसभा चुनाव के मतदान के दौरान काठमंडी स्थित विद्या भारती स्कूल में बनाए गए मतदान केन्द्र के अंदर सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर भाजपा नेता रमेश लौहार के साथ बूथ के अंदर थे।  इसी दौरान पूर्व विधायक भारत भूषण बतरा, बार एसोसिएशन के प्रधान लोकेन्द्र फौगाट के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने सहकारिता मंत्री पर बूथ कैपचरिंग के आरोप लगाए, जिसको लेकर सहकारिता मंत्री व पूर्व विधायक के बीच नौंक-झौक हो गई थी। इस मामले को लेकर शिवाजी कॉलोनी पुलिस ने सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर व पूर्व विधायक बीबी बतरा के खिलाफ केस दर्ज किया था।

  • बार एसोसिएशन प्रधान ने कोर्ट में डाली थी याचिका

साथ ही बार एसोसिएशन के प्रधान लोकेन्द्र ने जेएमआईसी विवेक सिंह की अदालत में सहकारिता मंत्री व रमेश लौहार के खिलाफ केस दर्ज के लिए याचिका दायर की थी। अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए शिवाजी कॉलोनी पुलिस को केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। इस संबंध में अदालत द्वारा संबंधित थाना प्रभारी को जांच करने को भी कहा है। बार एसोसिएशन प्रधान लोकेन्द्र का कहना है कि इस मामले में मंत्री को बचाने का प्रयास किया जा रहा था, जिसको लेकर अदालत में अर्जी दी थी।

  • यह होती है 156(3) सीआरपीसी

अधिवक्ता जितेंद्र हुड्डा ने बताया कि यदि किसी मामले में शिकायत करने के बाद भी पुलिस सुनवाई नहीं करती, तब शिकायतकर्ता के पास अधिकार होता है कि वह 156(3) सीआरपीसी के तहत कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। इसमें याचिकाकर्ता कोर्ट के सामने सबूत भी पेश करता है। शुरूआती ग्राउंड को देखते हुए यदि कोर्ट को लगता है कि शिकायत ठीक है तो आगामी कार्रवाई के लिए संबंधित एसएचओ को आदेश दे दिए जाते हैं।

 

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