संपादकीय : जिद्द कहीं देश का नुक्सान तो नहीं कर रही?

Is stubbornness doing damage to the country

नए कृषि कानूनों पर सरकार और किसान आमने-सामने हैं। सरकार का कहना है कि नए कृषि कानून देश के किसानों की समृद्धि के लिए हैं, इनमें ऐसा कुछ नहीं, जिससे किसानों को कोई हानि हो। अगर किसानों को किसी प्रकार की हानि की आशंका है तो सरकार इनमें संशोधन कर वह आशंका को भी खत्म करने के लिए तैयार हैं।

इसी मुद्दे पर सरकार व किसान नेताओं के बीच 11 दौर की वार्ता हुई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल सका। दो महीने से किसान दिल्ली के बॉर्डर पर सड़कों पर बैठे हैं। सर्द ऋतु में सड़क पर सौ से अधिक किसान मौत के आगोश में चले गए। 26 जनवरी को लाल किला की घटना पर देश शर्मसार हुआ। सरकार किसानों को इस शर्मनाक घटना का जिम्मेदार बता रही है तो वहीं किसान इस घटना के लिए सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं।

सरकार और किसानों के बीच फंसे इस पेंच में जनता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर उम्मीद लगाए हुए थी कि शायद राज्यसभा में प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा में सरकार और किसानों के बीच फंसे इस पेंच को खोल दें। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में सदन के माध्यम से किसानों को बातचीत का न्यौता दिया और वही बात दोहराई कि एमएसपी थी, है और रहेगी।

उन्होंने 4 पूर्व प्रधानमंत्रियों को कृषि सुधारों का पक्षधर बताते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किसानों को उपज बेचने के लिए आजादी और कृषि बाजार दिलाने की बात की थी और हम उन्हीं की बात को आगे बढ़ा रहे हैं। फिर आज कांग्रेस अपनी बात से यू टर्न ले रही है। सदन में प्रधानमंत्री ने जहां सिखों की तारीफ की, वहीं आन्दोलनकारियों को आन्दोलनजीवी की संज्ञा देते हुए उन्हें परजीवी कहा।

किसान आन्दोलनकारियों के समर्थन में आए विदेशी लोगों ग्रेटा थनबर्ग व सिंगर रिहाना का नाम लिए बगैर प्रधानमंत्री ने इन्हें फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी कहा। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में बेशक सदन को हंसाया भी खूब, लेकिन प्रधानमंत्री का भाषण आन्दोलनकारी किसानों के चेहरे पर हंसी नहीं ला पाया। प्रधानमंत्री के भाषण से स्पष्ट है कि सरकार अपनी जिद्द पर अड़ी है कि कानून को लागू होने दो, जब चाहो संशोधन करवा लो।

दूसरी ओर किसानों की जिद्द है कि कानून वापिस नहीं तो घर वापिसी नहीं। समझौता हमेशा बीच के रास्ते से निकलता है। जिद्द के कारण इस मामले में बीच को कोई रास्ता हीं नहीं बचा, तो हल कैसे निकलेगा। सरकार व किसानों के बीच इस गतिरोध के कारण दिल्ली आने-जाने के लिए सड़क व रेल यातायात प्रभावित है, जिसका सीधा असर आम जन के जीवन पर पड़ता है। देश के आमजन के मन में यह आशंका है कि देश विरोधी ताकतें इस जिद्द का फायदा उठाने की कोशिशें कर रही है। देशहित में जिद्द का यह गतिरोध अब समाप्त होना चाहिए।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।