अवैध धंधों पर शिकंजा कसना जरुरी

illegal business
सांकेतिक फोटो

पश्चिमी बंगाल में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका होने से सात लोगों की (illegal business) मौत हो गई। प्रदेश सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए। दरअसल, यह कोई नया मामला नहीं, क्योंकि इससे पहले भी देश के विभिन्न भागों में ऐसी दर्दनाक घटनाएं घटित हो चुकी हैं। सरकारें भी ऐसी घटनाओं को रोकने और ऐसे धंधे में संलिप्त लोगों पर कठोर कार्रवाई करने में असफल रही है। यह भी एक परंपरा सी बन गई है कि जब देश के किसी भी राज्य में कोई घटना होती है तो दूसरे राज्यों का प्रशासन भी एक बार तो चौकस हो जाता हैं, फिर वही पुरानी चाल चलने लगता है। कुछ दिन तक प्रशासन सक्रियता दिखाएगा, पुलिस जांच करेगी, फिर कोई पूछने वाला नहीं।

यही कारण है कि ऐसे हादसों का सिलसिला निरंतर जारी है। पंजाब में बटाला (illegal business) कांड की देश भर में चर्चा हुई थी, जब पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी। उपरोक्त घटना के बाद भी पंजाब में ऐसी घटनाएं रुकी नहीं और न ही दूसरे राज्यों ने कोई सबक लिया। वास्तव में दोषी अधिकारियों और फैक्ट्री संचालकों के खिलाफ उचित व कठोर कार्रवाई में कुछ कानूनी पेचीदगियां आड़े आ जाती हैं, जिस कारण वे बच निकलते हैं। मृतकों के परिजनों को मुआवजा देकर उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए अब तक न तो राजनेता और न ही अधिकारी कोई व्यापक रणनीति नहीं बना सके। वास्तव में नेताओं की शह प्राप्त लोग अवैध रुप से पटाखा फैक्ट्रियों का संचालन कर रहे हैं।

अक्सर देखा जाता है कि नेताओं के संपर्क में रहने वाले संचालकों पर कोई भी (illegal business) अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखाता, यदि कोई ईमानदार अफसर कार्रवाई करता भी है तो उसे या तो निलंबित या फिर उसका तबादला कर दिया जाता है। रिश्वत के कारण भी ऐसे अवैध धंधे करने वाले बचे रहते हैं। वास्तव में नेताओं की उदासीनता भी ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर भारी पड़ रही है। देश भर के सांसदों और विधायकों को चाहिए कि यदि उनके क्षेत्र में कोई वर्कर अवैध कार्यों में संलिप्त पाया जाता है तो उसका बचाव करने की बजाए उसे रोकने के लिए कहें। राजनीतिक स्तर पर बदलाव होने से ही अवैध कार्यों पर नकेल कसी जा सकेगी। राजनेता प्रशासन पर ही निर्भर न रहकर सामाजिक कार्यों के लिए भी इच्छाशक्ति से काम करें।