अमन कानून कायम रखना जरूरी

लाल किले की घटना के बाद राजनीति भी गर्मा गई है। दो दर्जन के करीब राजनीतिक पार्टियां किसानों के समर्थन में आ गई हैं। धड़ाधड़ ब्यानबाजी हो रही है, यहां राजनीतिक पार्टियों को ब्यानबाजी करने से बच कर अमन शान्ति कायम करने में सहयोग करना चाहिए।

गणतंत्र दिवस का दिन प्रत्येक देशभक्त भारतीय के जीवन में बहुत गौरवशाली दिन होता है, लेकिन किसानों की ट्रैक्टर परेड़ की आड़ में कुछ उपद्रवियों ने नियम-कायदे-कानूनों को ठेंगा दिखाकर जमकर हुडदंग मचाया, संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग करके देश की छवि को विश्व में खराब करने का दुस्साहस किया। किसानों के ट्रैक्टर मार्च दौरान कुछ लोगों ने लाल किले पर कोई और झंडा लहरा दिया। बड़ी संख्या में किसान संगठनों ने इस घटना की निंदा की और दो किसान संगठनों व पंजाब के दो चर्चित चेहरों का बायकाट कर दिया। इसके बाद गाजीपुर व सिंघु बार्डर पर घटी हिंसक घटनाएं भी चिंताजनक हैं।  पुलिस व किसानों के बीच टकराव की घटनाओं के साथ अमन-कानून को खतरा पैदा हो सकता है। यहां केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार और किसान संगठनों को मिलकर अमन कानून कायम करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

कई घटनाओं में पुलिस के अलावा अन्य लोग भी जो साधारण कपड़ों में हैं किसानों के साथ उलझते देखे गए हैं। कानून के अनुसार कार्यवाही जरूरी है लेकिन किसी को भी कानून हाथ में नहीं लेने दिया जाना चाहिए। पुलिस ने अपने नियमों के अनुसार कार्रवाई कर अमन-कानून कायम रखे, जो लोग किसानों के साथ उलझ रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई भी जरूरी है। समाज में हिंसा नहीं फैलनी चाहिए और साथ ही इसे किसी भी प्रकार की धार्मिक रंगत देने से बचाया जाना चाहिए। पिछले दो महीनों से किसानों का धरना शांतिमय तरीके से चल रहा है, फिर हिंसा की घटनाएं कैसे घट गर्इं? इसकी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। लाल किले की घटना के बाद राजनीति भी गर्मा गई है।

दो दर्जन के करीब राजनीतिक पार्टियां किसानों के समर्थन में आ गई हैं। धड़ाधड़ ब्यानबाजी हो रही है, यहां राजनीतिक पार्टियों को ब्यानबाजी करने से बच कर अमन शान्ति कायम करने में सहयोग करना चाहिए। किसानों के समर्थक या किसान विरोधी लोगों को उकसाने से दूर रहना होगा। धरनार्थी हो या पुलिस कर्मचारी या आम नागरिक किसी को भी नुक्सान नहीं पहुंचना चाहिए। केंद्र ने कृषि कानून पास किए हैं और किसान इनका विरोध कर रहे हैं, लोकतंत्र में विरोध करने का प्रत्येक व्यक्ति को अधिकार है लेकिन इस दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ने की समस्या के प्रति सभी को सावधान रहना होगा और कानून का सम्मान आवश्यक है। किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से संभव है और इसकी आशा नहीं छोड़नी चाहिए।

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