महाशक्तियों का अखाड़ा बना येरूशलम

Jerusalem

बीते दिनों से इजराईल व हमास की ओर से एक दूसरे के खिलाफ दागे जा रहे रॉकेटों ने आसमान में कहर बरपा रखा है। मामला केवल इजराईल व फिलिस्तीन का ही नहीं बल्कि यह महाशक्तियों की जोर अजमाईश भी है। कुछ देश धर्म के नाम पर इस मुद्दे को हवा देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। पाकिस्तान, तुर्की व अन्य कई मुस्लिम देश फिलीस्तीन का साथ दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इजराईल के पुराने समर्थक अमेरिका के नए राष्टÑपति जो बायडेन ने बयान दिया है, कि इजराईल को अपनी आत्मरक्षा करने का पूरा अधिकार है। दोनों पक्षों की ओर से तीखे बयान बाजी जारी है। तुर्की सभी मुस्लिम देशों को एकजुट करने के लिए जुट गया है। हैरानीजनक बात यह है कि पाकिस्तान व तुर्की, इजराईल के हमले का तो विरोध कर रहे हैं लेकिन हमास की तरफ से की जा रही कार्रवाईयों पर चुप हैं व इस संबंधी आॅग्रेनाईजेशन आॅफ इस्लामिक कॉपरेशन का सम्मेलन बुलाने पर जोर दिया जा रहा है।

दरअसल एक शहर येरूशलम पर कब्जे की राजनीतिक इच्छा ने धर्म के पर्दे नीचे मनुष्यों को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया है। दुनिया के ताकतवर देशों के अपने-अपने तर्क हैं, जिनकी पूर्ति के लिए वह इजराईल व फि लिस्तीन में से किसी एक का समर्थन कर रहे हैं। अगर निरपेक्ष धर्म का मुद्दा होेता तो धर्म की भावना इसे कभी भी विवाद न बनने देती। येरूशलम यहुद्दियों, ईसाईयों व मुस्लमानों के लिए श्रद्धा का केन्द्र है। अगर राजनीतिक समन्वय होता तो यह स्थान दुनिया के लिए सद्भावना व धार्मिक एकजुटता का नमूना होना था। इस्लाम व ईसाईयत को मानने वाले लोग दुनिया भर में सबसे अधिक हैं। दोनों धर्मों के रास्ते, भाषा, पहनावा भले ही अलग-अलग हैं लेकिन मंजिल सभी की एक ही है। मानवता के लिए प्यार व सेवा व प्रभू प्राप्ति के लिए बंदगी दोनों के उपदेश व उद्देश्य हैं।

चिंता का विषय यह है कि धर्म आधारित इस क्षेत्र के विवाद को धर्म की शिक्षा अनुसार सुलझाने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। युद्ध को टालने के प्रयास नहीं हो रहे बल्कि एकजुटता हो रही है। वास्तव में मामले का हल बातचीत व अमन -शांति से ही होना चाहिए। हथियारों के युद्ध में किसकी जीत होगी या हार होगी, यह कहना बहुत ही मुश्किल है। फिलिस्तीन या इजराईल के एक भी नागरिक की मौत होना बहुत बड़ा नुक्सान है। निर्दोष लोगों की हत्या की शिक्षा न इस्लाम देता है और न ही ईसाईयत। बस इसे समझने की आवश्यकता है।

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