कारगिल विजय दिवस: जब भारत ने PAK के दुस्साहस का दिया था जवाब

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सैनिकों ने पाकिस्तानी फौज का जमकर मुकाबला किया

 (Edited by: विजय शर्मा)।  आज कारगिल विजय दिवस है।  इस दिन हमारे भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटाया था और कारगिल पर तिरंगा लहराया था।  दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला युद्ध था, जिसमें हर मिनट दुश्मनों पर फायरिंग की गई। कारगिल की लड़ाई अपने आप में कई राज छुपाए हुए है।  उस समय क्या हुआ था ये कोई नहीं जानता। हर कोई अलग-अलग अंदाजा लगाता है। हम आज आपको बताने जा रहे हैं कारगिल से जुड़े कुछ अहम राज जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे। कारगिल की लड़ाई में हमारे सैनिकों ने पाकिस्तानी फौज का जमकर मुकाबला किया था।  पाकिस्तानी घुस्पैठियों ने लगातार गोलियां चलाई और हमारे सैनिकों ने उन्हें सामने से जवाब दिया।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में  हुआ था कारगिल युद्ध

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था।  इसकी शुरुआत हुई थी 8 मई 1999 से जब पाकिस्तानी फौजियों और कश्मीरी आतंकियों को कारगिल की चोटी पर देखा गया था।  माना जाता है कि पाकिस्तान इस ऑपरेशन की 1998 से तैयारी कर रहा था। एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में मुजाहिद्दीन शामिल थे।   यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने लड़ी।  पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया था।

पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।

  • कारगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले
  • जनरल परवेज मुशर्रफ ने एक हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी
  • भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी।
  • मुशर्रफ के साथ 80 ब्रिगेड के तत्कालीन कमांडर ब्रिगेडियर मसूद असलम भी थे।
  • दोनों ने जिकरिया मुस्तकार नामक स्थान पर रात बिताई थी।
  •  पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था।
  • कई लोगों का कहना है कि कारगिल की लड़ाई उम्मीद से ज्यादा खतरनाक थी।
  • हालात को देखते हुए मुशर्रफ ने परमाणु हथियार तक इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली थी।
  • पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी।
  • इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।

पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी

कारगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को पहले इस ऑपरेशन की खबर नहीं दी गई थी।  जब इस बारे में पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को बताया गया तो उनहोंने इस मिशन में आर्मी का साथ देने से मना कर दिया था। पाकिस्तानी सेना कारगिल युद्ध को 1998 से अंजाम देने की फिराक में थी।  इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था।

पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था

कारगिल की लड़ाई के दौरान पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को पहले इस ऑपरेशन की खबर नहीं दी गई थी।  जब इस बारे में पाकिस्तानी एयर फोर्स के चीफ को बताया गया तो उनहोंने इस मिशन में आर्मी का साथ देने से मना कर दिया था।  उर्दू डेली में छपे एक बयान में नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि कारगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था।  पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे।  पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था।  भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सैनिकों के खिलाफ कारगिल युद्ध में मिग-27 और मिग-29 का प्रयोग किया था।  मिग-27 की मदद से इस युद्ध में उन स्थानों पर बम गिराए जहां पाक सैनिकों ने कब्जा जमा लिया था।  इसके अलावा मिग-29 करगिल में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ इस विमान से पाक के कई ठिकानों पर आर-77 मिसाइलें दागी गईं थीं।

11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने इंडियन आर्मी की मदद शुरू की

मई को कारगिल युद्ध शुरू होने के बाद 11 मई से भारतीय वायुसेना की टुकड़ी ने इंडियन आर्मी की मदद करना शुरू कर दिया ।  कारगिल की लड़ाई का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस युद्ध में वायुसेना के करीब 300 विमान उड़ान भरते थे।  कारगिल की ऊंचाई समुद्र तल से 16000 से 18000 फीट ऊपर है।  ऐसे में उड़ान भरने के लिए विमानों को करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ना पड़ता है।  ऐसी ऊंचाई पर हवा का घनत्व 30% से कम होता है। इन हालात में पायलट का दम विमान के अंदर ही घुट सकता है और विमान दुर्घटनाग्रस्त हो सकता है।

1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में लड़े गए कारगिल युद्ध में तोपखाने (आर्टिलरी) से 2,50,000 गोले और रॉकेट दागे गए थे।   300 से अधिक तोपों, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चरों ने रोज करीब 5,000 बम फायर किए थे।  लड़ाई के महत्वपूर्ण 17 दिनों में प्रतिदिन हर आर्टिलरी बैटरी से औसतन एक मिनट में एक राउंड फायर किया गया था।  दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहली ऐसी लड़ाई थी, जिसमें किसी एक देश ने दुश्मन देश की सेना पर इतनी अधिक बमबारी की थी।

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