नहीं रही स्वर कोकिला लता मंगेशकर, 92 साल की उम्र में हुआ निधन

Lata Mangeshkar

मुंबई। देश की मशहूर गायिका और स्वर कोकिला से जाने जानी वाली लता मंगेशकर का निधन हो गया है। उनके निधन से बॉलीवुड इंडस्ट्री में शोक की लहर है। राजनीतिक दलों से लेकर बॉलीवुड से जुड़े दिग्गजों ने उनके निधन को अपूर्णीय क्षति बताया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट करके ये जानकारी दी। बीते दिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया था, जिसके बाद उन्हें आईसीयू से वेंटिलेटर में रखा गया था। रविवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट करते हुए जानकारी दी कि महान गायिका लता मंगेशकर का निधन हो गया है। डॉक्टरों ने इससे पहले शनिवार को जानकारी दी थी कि लता मंगेशकर को स्वास्थ्य स्थिर होने के बाद वेंटिलेटर से आईसीयू शिफ्ट किया गया था लेकिन अचानक बीते रोज उनकी सेहत बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें फिर वेंटिलेटर पर रखा गया था। रविवार सुबह उन्होंने अस्पताल में ही आखिरी सांस ली।

पीएम ने दी श्रद्धांजलि

पीएम नरेंद्र मोदी ने लता मंगेशकर के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “लता दीदी के गानों ने कई तरह के इमोशन्स को उभारा। उन्होंने दशकों तक भारतीय फिल्म जगत के बदलावों को करीब से देखा। फिल्मों से परे, वह हमेशा भारत के विकास के बारे में भावुक थीं। वह हमेशा एक मजबूत और विकसित भारत देखना चाहती थी।”

वर्ष 1945 में लता की मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुुई

वर्ष 1942 मे लता को ‘पहली मंगलगौर’ में अभिनय करने का मौका मिला। वर्ष 1945 में लता की मुलाकात संगीतकार गुलाम हैदर से हुयी। गुलाम हैदर लता के गाने के अंदाज से काफी प्रभावित हुये। गुलाम हैदर ने फिल्म निमार्ता एस .मुखर्जी से यह गुजारिश की कि वह लता को अपनी फिल्म शहीद में गाने का मौका दे। एस.मुखर्जी को लता की आवाज पसंद नही आई और उन्होंने लता को अपनी फिल्म में लेने से मना कर दिया । इस बात को लेकर गुलाम हैदर काफी गुस्सा हुये और उन्होंने कहा यह लड़की आगे इतना अधिक नाम करेगी कि बड़े-बड़े निमार्ता-निर्देशक उसे अपनी फिल्मों में गाने के लिये गुजारिश करेगें।

Lata Mangeshkar

1949 में बालीवुड में अपनी पहचान बनाने में सफल हुई

वर्ष 1949 में फिल्म महल के गाने आयेगा आने वाला गाने के बाद लता बालीवुड में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयी। इसके बाद राजकपूर की बरसात के गाने जिया बेकरार है, हवा मे उड़ता जाये जैसे गीत गाने के बाद लता बालीवुड में एक सफल पार्श्वगायिका के रूप में स्थापित हो गयी। सी.रामचंद्र के संगीत निर्देशन में लता ने प्रदीप के लिखे गीत पर एक कार्यक्रम के दौरान एक गैर फिल्मी गीत ए मेरे वतन के लोगों गाया। इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू इतने प्रभावित हुये कि उनकी आंखो मे आंसू आ गये। लता के गाये इस गीत से आज भी लोगो की आंखे नम हो उठती है ।

राजकपूर लता की आवाज के दीवाने थे

लता की आवाज से नौशाद का संगीत सज उठता था । संगीतकार नौशाद लता के आवाज के इस कदर दीवाने थे कि उन्होने अपनी हर फिल्म में लता को ही लिया करते थे ।वर्ष 1960 मे प्रदर्शित फिल्म मुगले आजम के गीत मोहे पनघट पे गीत की रिकाडिंग के दौरान नौशाद ने लता से कहा था मैंने यह गीत केवल तुम्हारे लिये ही बनाया है, इस गीत को कोई और नहीं गा सकता है। हिन्दी सिनेमा के शो मैन कहे जाने वाले राजकपूर को सदा अपनी फिल्मो के लिये लता की आवाज की जरूरत रहा करती थी। राजकपूर लता के आवाज के इस कदर प्रभावित थे कि उन्होने लता मंगेश्कर को सरस्वती का दर्जा तक दे रखा था। साठ के दशक में लता पार्श्वगायिकाओं की महारानी कही जाने लगी।

Lata Mangeshkar

लता को उनके सिने करियर में चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया

वर्ष 1969 मे लक्ष्मीकांत प्यारे लाल के संगीत निर्देशन ने लता मंगेश्कर ने फिल्म इंतकाम का गाना आ जानें जा गाकर यह साबित कर दिया कि वह आशा भोंसले की तरह पाश्चात्य धुन पर भी गा सकती है। नब्बे के दशक तक आते आते लता कुछ चुनिंदा फिल्मो के लिये ही गाने लगी । वर्ष 1990 में अपने बैनर की फिल्म लेकिन के लिये लता ने यारा सिली सिली ..गाना गाया ।

हालांकि यह फिल्म चली नहीं लेकिन आज भी यह गाना लता के बेहतरीन गानों में से एक माना जाता है। लता को उनके सिने करियर में चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर को उनके गाये गीत के लिये वर्ष 1972 में फिल्म परिचय वर्ष 1975 में कोरा कागज और वर्ष 1990 में फिल्म लेकिन के लिये नेशनल अवार्ड से सम्मानित की गयी । इसके अलावे लता मंगेश्कर को वर्ष 1969 में पदमभूषण, वर्ष 1989 में दादा साहब फाल्के सम्मान, वर्ष 1999 में पदमविभूषण, वर्ष 2001 में भारत रत्न जैसे कई सम्मान प्राप्त हो चुके है।

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