पूज्य गुरू जी और उनकी बेटी हनीप्रीत इन्सां की ओर से 132 परिवारों को दिया एक-एक माह का राशन

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। डेरा सच्चा सौदा में शुक्रवार को 32वां महापरोपकार दिवस धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर शाह सतनाम जी धाम में पावन भंडारे की नामचर्चा का आयोजन किया गया। बारिश के बावजूद श्रद्धालुओं के भारी उत्साह के सामने कई एकड़ में बना डेरा सच्चा सौदा का विशाल पंडाल छोटा पड़ गया। नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही पूरा पंडाल साध-संगत से खचाखच भर गया था। इसके साथ ही सड़कों पर दूर-दूर तक साध-संगत की कतारें ही नजर आ रही थीं। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने साध-संगत को 12वी चिट्ठी भेजी, जिसे साध-संगत के बीच पढ़कर सुनाया गया। इस अवसर पर मानवता भलाई के 142 कार्यों को गति देते हुए पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां व उनकी बेटी हनीप्रीत इन्सां की ओर से 132 जरूरतमंद परिवारों को एक-एक माह का राशन दिया गया। इसके अलावा शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग की ओर से ‘साथी मुहिम’ के तहत 13 दिव्यांगों को ट्राइसाइकिलें दी गर्इं। वहीं एक विक्षिप्त को उसके परिवार को सौंपा गया।


वीरवार सायं से ही पावन महापरोपकार दिवस के भंडारे में शिरकत करने के लिए साध-संगत पहुंचना शुरू हो गई थी। शुक्रवार सुबह बारिश के बीच 10 बजे तक पूरा पंडाल साध-संगत से भर चुका था और साध-संगत का आना निरंतर जारी था। सुबह 11 बजे पवित्र नारा ‘धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा’ के साथ महा परोपकार दिवस के पावन भंडारे की शुरूआत हुई। इसके बाद कविराजों ने शब्दवाणी के माध्यम से गुरू महिमा गाई। इस अवसर पर बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचन चलाए गए। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के महान परोपकारों का वर्णन करना असंभव है। जन्म से ही, बचपन से ही उनका रहमोकर्म रहा। चार-पाँच साल के थे, जब 1972 में उन्होंने अपने नाम, गुरुमंत्र से नवाजा। हमें याद है बेपरवाह जी ने शाह मस्ताना जी धाम में हाल और गुफा के बीच में जो जगह थी वहां पर हमें वो नाम, गुरुमंत्र बख्शा था। जब हम वहां नाम लेने के लिए बैठे तो बेपरवाह जी ने हमें कहा कि काका अग्गे बै जो। हम बेपरवाह जी के पास बैठे, नाम दिया, वो यादें ज्यों की त्यों हैं। मुरीद कभी अपने सतगुरु को नहीं भूलता, मक्खियां-मच्छर तो उड़ जाया करते हैं। भगवान से आशिकी कमानी इस कलियुग में बड़ी मुश्किल है, आशिक कहलाना आसान है।

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पावन भंडारे के दौरान पूज्य गुरू जी की 12वीं चिट्ठी को पढ़कर सुनाया गया। चिट्ठी में पूज्य गुरू जी ने लिखा कि हमने जब से डेरा सच्चा सौदा बना है तबसे लेकर आज तक आप सबको हमेशा राम-नाम से, मानवता व सृष्टि के भलाई के लिए व अच्छे कर्म व नि:स्वार्थ भावना से सबसे प्रेम करने के लिए प्रेरित किया था, कर रहे हैं व हमेशा करते रहेंगे। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आज हम आप सब बच्चों से, इस पवित्र दिवस पर एक प्रण करवाना चाहते हैं कि ‘‘आप हमारे करोड़ों प्यारे बच्चे सदैव एकता रखेंगे व अपने एमएसजी गुरू के वचनों को 100 प्रतिशत मानेंगे।’’ इस दौरान भारी तादाद में उमड़ी साध-संगत ने अपने दोनों हाथ उठाकर प्रण लिया। पूज्य गुरू जी ने लिखा कि हमने समाज से बुराईयाँ व नशों को छुड़ाने का जो कार्य एमएसजी गुरू के रूप में शुरू कर रखा है, हमें बहुत ज्यादा खुशी व गर्व है कि आप सब इन कार्यों को तन, मन व धन से व पूरी लगन से इन कार्यों को बढ़-चढ़ के पूरा करने में दिन-रात लगे हैं। हम एमएसजी गुरू रूप में आपको यह वचन देते हैं कि जैसी सेवा आप करें, सतगुरु राम से, आपको उससे लाखों गुणा बढ़ कर ‘बरकतें’ व खुशियां दिलवाएंगे। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी के गुरुगद्दीनशीन दिवस से संबंधित डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई। पवित्र भंडारे की समाप्ति पर आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन व प्रशाद वितरित कर दिया गया। इस दौरान हजारों सेवादारों ने पूरी तन्मयता से अपनी ड्यूटियां निभाते हुए सभी व्यवस्थाएं संभाली।

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