परस्पर नि:स्वार्थ प्रेम से रहो

जिसके पास मालिक के प्यार-मोहब्बत की दौलत है वो दुनिया में सबसे खुशनसीब इन्सान हैं

सरसा (सकब)। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि जो लोग आपस में बेगर्ज, नि:स्वार्थ भावना से प्यार किया करते हैं, अल्लाह, वाहेगुरु,सतगुरु, रहबर से वही खुशियों के खजाने लिया करते हैं।

जिस घर में रहने वालों का आपस में प्रेम है, मालिक से प्रेम है तो घास-फूस की झोपड़ी भी महलों से कई गुणा बढ़कर खुशियां देने वाली है, स्वर्ग-जन्नत का नमूना है और वो आलिशान महल, बड़े-बड़े घर जिनमें प्यार-मोहब्बत नहीं है वो श्मशान भूमि, कब्रिस्तान की तरह सन्नाटे के अलावा कुछ भी नहीं होते। इसलिए जिसके पास मालिक के प्यार-मोहब्बत की दौलत है वो दुनिया में सबसे खुशनसीब इन्सान हैं। वही सबसे अच्छा, नेक इंसान है। वो ही मालिक के रहमो-कर्म का हकदार बनता है।

पाप-जुल्म की कमाई से आप गाड़ियां, मोटर सब कुछ खरीद सकते हैं

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि पाप-जुल्म की कमाई से आप गाड़ियां, मोटर सब कुछ खरीद सकते हैं लेकिन जब घर में बेचैनी आ गई, परेशानी आ गई तो सारा पैसा धरा-धराया रह जाएगा, सुख-शांति से महरूम हो जाओगे, खाली हो जाओगे। इसलिए कभी बिको न। अरे बिकना है तो अल्लाह, वाहेगुरु, राम के हाथों बिको क्योंकि वो तुझे खरीदकर अनमोल कर देगा।

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