दवा को राजनीतिक रंग न दिया जाए

कोरोना में सरकार के प्रबंध इतने नाकारा साबित हुए कि करोड़ों मजदूरों को सड़कों पर भटकना पड़ा। अस्पतालों में कोरोना परीक्षण, पीपीई किट देने में सरकार से गलतियां हुई होंगी उन्हें भाजपा की कमियां कहा जाना चाहिए।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को बीजेपी की बताते हुए लगवाने से इन्कार कर दिया है। देश में शायद यह पहली बार हो रहा है कि दवाओं में भी राजनीति घुसा दी गई है। कोरोना एक जानलेवा वायरस है दुनिया भर में कोरोना से अब तक करीब 18 लाख व भारत में करीब 1.49 लाख लोग मर चुके हैं। इतना ही नहीं कोरोना से दुनिया भर की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। इधर भारत दुनिया का एकमात्र देश है जिसके वैज्ञानिकों ने कोरोना से बचाव की चार वैक्सीन तैयार कर ली हैं, जो मंजूरी मिलते ही नागरिकों को मिलने लगेगी। अभी कोविशील्ड वैक्सीन जोकि ऐडस्ट्राजेनेका एवं आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने तैयार की है, की अनुमति हो चुकी है जोकि आपात स्थिति में लगाई जा रही है। कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन भी पूणे का सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है।

रोग राजनीतिक रंग देखकर नहीं घेरते, ये अपनी चपेट में हर उस प्राणी को ले लेते हैं जो इनका शिकार हो सकता है। दवाएं भी राजनीतिक रंगों से ऊपर हैं उनका असर हर मरीज की बीमारी पर होता है जिस बीमारी के लिए उन्हें बनाई जाती है। अखिलेश यादव का यह कहना कि भाजपा पर उन्हें भरोसा नहीं है, ये उनकी व्यक्तिगत सोच एवं निर्णय है। सपा नेता अपनी सरकार आने पर दवा लगवाने का भरोसा दे रहे हैं, ठीक है। लेकिन तब तक कई सौ लोग कोरोना से जान गंवा लेंगे जबकि वैक्सीन उपलब्ध हो रही है। वैक्सीन को भाजपा ने तैयार नहीं किया है, न ही भाजपा के पास दवा बनाने की प्रयोगशाला या फैक्टरी है। वैक्सीन देश के सरकारी संस्थानों से तैयार हो रही है।

अखिलेश यादव राजनीतिक विरोध के लिए भाजपा की खामियां गिना सकते हैं जिस कारण देश में वक्त रहते कोरोना का फैलाव नहीं रोका जा सका। कोरोना के वक्त लॉकडाउन से असुविधा व अर्थव्यवस्था चौपट हुई उसके लिए भाजपा के प्रयासों पर प्रशन हो सकते हैं। अखिलेश यादव पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्टÑीय स्तर के नेता हैं उनके एक-एक शब्द को सुनने वाले व उसको मानने वाले करोड़ों लोग हैं। अत: उनके द्वारा कोरोना वैक्सीन पर भाजपा का ठप्पा लगाने से लोगों में ईलाज से ज्यादा बहस होने लगेगी। कोरोना का वायरस ऐसा है कि इसका प्रसार अभी भी हो रहा है। ब्रिटेन में कोरोना का नया रूप सामने आया है, जो पहले के वायरस से 70 गुणा ज्यादा तेजी से फैल रहा है।

भारत में कोरोना के नये रूप के एक सप्ताह में ही 50 केस दर्ज हो गए हैं। नया कोरोना वायरस कितना घातक है या उस पर आने वाली वैक्सीन असर करेगी या नहीं जैसे ढेरों सवाल हैं जिन्हें सरकार से पूछा जाना चाहिए। अच्छा हो यदि सपा प्रमुख सरकार पर दबाव बनाएं कि वैक्सीन आ जाने पर भी सरकार लगाने में देरी क्यों कर रही है। ये बात रख सकते हैं कि भाजपा कार्यकर्ताओं का सपा भी सहयोग करेगी ताकि देश में कोरोना से हो रही मौतों को तत्काल प्रभाव से रोका जा सके। अखिलेश यादव युवा नेता हैं उनका भाजपा व उसकी सरकार पर पड़ने वाला दबाव लाखों लोगों का जीवन बचा सकता है।

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