‘‘अच्छा भाई! तुझे हम अपने पास ही रखेंगे’’

Shah Mastana Ji Maharaj
हां! यही बाबा जी थे, जिन्होंने घोड़े पर सवार होकर मुझे दर्शन दिए...

प्रेमी पूर्ण सिंह कल्याण नगर, सरसा (हरियाणा) से पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज की अपने ऊपर हुई अपार दया मेहर रहमत का वर्णन इस प्रकार करता है:-

प्रेमी पूर्ण सिंह बताता है कि वह सन् 1953 में अमृतसर से सरसा आकर एक किराये के मकान में रहने लगा और रोजगार हेतु शहर में रेहड़ी लगाने लगा। इसके लगभग 9 महीने बाद इस प्रेमी ने डेरा सच्चा सौदा में आकर बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन किए और नाम-दान भी प्राप्त कर लिया। जिस मकान में प्रेमी रहता था उसके मकान मालिक को किसी ने भ्रम में डाल दिया कि किरायेदार आपके मकान पर कब्जा कर लेगा और वह किसी भी हालत में खाली नहीं करेगा। इस कारण मकान मालिक ने अपना मकान खाली करवा लिया। प्रेमी के पास रहने का कोई और ठिकाना नहीं था इसलिए प्रेमी ने अपने घर का सारा सामान मेला ग्राऊंड में खुले आसमान के नीचे रख लिया।

यह भी पढ़ें:– डिग्री-डिप्लोमा के लिए वक्त लगाया तो भगवान के लिए क्यों नहीं

जब प्रेमी पूजनीय बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन करने के लिए दरबार में आया तो बेपरवाह कुल मालिक अंतर्यामी दातार जी ने प्रेमी को अपने पास बुलाकर चिंता का कारण पूछा, लेकिन प्रेमी ने केवल दर्शनों की ही अभिलाषा जताई। बेपरवाह जी ने तीन बार उपरोक्त वचन दोहराए, लेकिन प्रेमी ने दर्शनों के अलावा कोई और इच्छा जाहिर नहीं की। इस पर बेपरवाह जी ने अपने नूरी मुख से मुस्कुराते हुए वचन फरमाया, ‘‘अच्छा भाई! तुझे हम अपने पास ही रखेंगे।’’ जब प्रेमी वापिस अपने घर गया तो किसी ने उसे सुझाव दिया कि आप डॉ. सोहन लाल से कोई छोटा सा प्लाट ले लो। अगले दिन प्रेमी पूर्ण सिंह डॉ. सोहन लाल के पास प्लाट के बारे में जानने के लिए पहुंचा तो दूर से ही डॉक्टर ने प्रेमी से कहा कि आपको प्लाट की जरूरत है क्या? प्रेमी ने हां में उत्तर दिया। फिर डॉ. सोहनलाल ने प्रेमी की तरफ पूरी गौर से देखते हुए कहा, आप किसी बात की चिंता न करें, आपको रविवार वाले दिन मौके पर ही प्लाट दे दिया जाएगा।

प्रेमी इस बात को सुनकर बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ क्योंकि उसकी डॉ. से पहले किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी और न ही उसने पहले किसी और आदमी को उसके पास भेजा था। फिर डॉक्टर को यह सब कुछ किसने बताया! डॉ. सोहनलाल ने रविवार के दिन प्रेमी को प्लाट दे दिया। उस समय प्रेमी के पास केवल 100 रूपये ही थे, जो कि डॉक्टर ने ले लिए और प्रेमी को कहा कि वह बे-हिचक प्लाट में अपना मकान बना ले और पैसों की किसी प्रकार की चिंता न करे। बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज की अपार कृपा से प्रेमी ने उस प्लाट में एक कमरा बना लिया और बाकी पैसे धीरे-धीरे करके थोड़े ही समय में डॉ. साहिब को अदा कर दिए। ये सब बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज की कृपा का ही प्रमाण है। वे अपने भक्तों की हर प्रकार की कठिनाईयों को सहज ही दूर कर देते हैं। जबकि भक्तों को इसका पता भी नहीं चलता।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।