10 मार्च से 10 अप्रैल तक बुआई का सबसे उचित समय
(सच कहूँ/डॉ. संदीप सिंहमार)। Mung Ki Kheti: भारतीय कृषि में मूंग की खेती का एक महत्वपूर्ण स्थान है, विशेष रूप से गर्मी के मौसम में। मूंग की फसल देश भर में प्रमुख दलहन फसलों में शामिल है, जिसका प्रमुख कारण इसका पोषक तत्वों से भरपूर होना है। इसमें प्रोटीन और लौह तत्वों की अधिक मात्रा होती है, जो इसे स्वास्थ्यवर्धक बनाते हैं। अब मूंग की उन्नत किस्में विकसित हो चुकी हैं, जो उच्च तापमान में भी अच्छी पैदावार देती हैं। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गर्मियों में मूंग की खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण तकनीकों का पालन करना आवश्यक है। Moong Crop
सही किस्म का चयन और खेत की तैयारी
मूंग की खेती में सबसे पहले सही किस्म का चयन करना बहुत जरूरी है। आजकल की उन्नत किस्में जल्दी पकने वाली होती हैं और कम समय में बेहतर उत्पादन देती हैं। बुआई से पहले खेत की सही तरीके से तैयारी करनी चाहिए। खेत की जोताई गहरी होनी चाहिए, ताकि पिछली फसल के अवशेष मिट्टी में अच्छे से मिल जाएं। खेत में नमी बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है, जिसके लिए सिंचाई का ध्यान रखना होता है। बीज बोने से पहले उनका उपचार करना फसल सुरक्षा के लिए अनिवार्य होता है।
बीजोपचार और बुआई का तरीका | Moong Crop
मूंग के बीज को पहले फफूंदनाशी से उपचारित किया जाता है। इसके लिए 20-25 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बीजोपचार दो तरीकों से किया जा सकता है—पहला, 2.5 ग्राम थायरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से, और दूसरा, 4-5 ग्राम ट्राइकोडर्मा का उपयोग। इस उपचार से बीज को फफूंद और बैक्टीरिया से सुरक्षा मिलती है, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए जरूरी है। मूंग की बुआई के लिए सबसे उचित तरीका कतारों के बीच 25-30 सेंटीमीटर की दूरी रखकर और पौधों के बीच 5-7 सेंटीमीटर की दूरी सुनिश्चित करनी चाहिए। बुआई की गहराई 3-5 सेंटीमीटर होनी चाहिए, ताकि बीज जल्दी अंकुरित हो सकें और पौधों को अच्छी जगह मिल सके।
पोषक तत्वों का प्रबंधन
पोषक तत्वों का सही प्रबंधन फसल की उन्नति के लिए आवश्यक है। मूंग की फसल के लिए नत्रजन 15-20 किलोग्राम, स्फुर 40-60 किलोग्राम, पोटाश 20-30 किलोग्राम और गंधक 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उर्वरक तैयार किया जाना चाहिए। इससे पौधों को शुरूआती अवस्था से ही सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, जो फसल के विकास में मदद करते हैं।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
मूंग की फसल के लिए सिंचाई का ध्यान रखना जरूरी है, खासकर जब मिट्टी में नमी बनाए रखने की जरूरत होती है। साथ ही, खरपतवार को नियंत्रित करना भी बहुत जरूरी है, ताकि पौधों को पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति हो सके। इससे मूंग की फसल की वृद्धि में मदद मिलती है और उत्पादन में वृद्धि होती है। Moong Crop
बुआई का समय और उपयुक्त मिट्टी
ग्रीष्मकालीन मूंग की बुआई के लिए सबसे उपयुक्त समय 10 मार्च से 10 अप्रैल तक है। इस समय तापमान अधिक होने और आर्द्रता कम होने के कारण बीमारियों और कीटों का प्रकोप कम होता है, जिससे फसल का स्वास्थ्य बेहतर रहता है। इस समय बुआई करने से फसल जल्दी पकती है और नुकसान से बचा जा सकता है। मूंग की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी जलनिकास वाली दोमट मिट्टी होती है।
मूंग की खेती से आय में होगी वृद्धि
गर्मियों में मूंग की उन्नत खेती के जरिए किसानों को उच्च पैदावार मिलती है। उचित तकनीकों का पालन करके किसान प्रति हेक्टेयर 10-15 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आय में काफी वृद्धि हो सकती है। इस फसल से पोषण के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। इस तरह, मूंग की उन्नत खेती गर्मियों में किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है, बशर्ते उचित तकनीकों का पालन किया जाए।
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