राष्ट्रीय व्यंग्य संगोष्ठी एवं सृजन सम्मान समारोह सम्पन्न

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श्रीगंगानगर। वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने कहा है कि किसी भी असहमति अथवा विरोध के लिए व्यंग्य सबसे बड़ा हथियार है। अगर आपमें विरोध करने का साहस नहीं तो फिर व्यंग्य लेखन करना भी बेकार है। वे रविवार को सृजन सेवा संस्थान एवं नोजगे पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित राष्ट्रीय व्यंग्य संगोष्ठी एवं सृजन सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अब वह जमाना नहीं रहा जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालने की बात कही जाती थी, अब तो तोप मुकाबले में हो तो व्यंग्य लिखना चाहिए।

प्रेम जनमेजय ने कहा कि साहित्यकार की पहली प्राथमिकता है कि वह मनुष्य में खत्म होती सभ्यता को बचाए लेकिन आज के व्यंग्यकार की प्राथमिकता व्यंग्य की सभ्यता को बचाने की है। आज अच्छा पाठक नहीं है तो अच्छा व्यंग्य लिखने वाले भी कम हैं। हमें इस स्थिति को भी समझना होगा।

‘व्यंग्य की प्राथमिकताएं :

संदर्भ हिंदी एवं राजस्थानी व्यंग्य’ विषयक संगोष्ठी में वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. हरीश नवल का सान्निध्य प्राप्त था। उन्होंने कहा कि आज व्यंग्य के नाम पर बहुत कुछ मिल रहा है। परंतु व्यंग्य बहुत कम मिल रहा है। हमारी समस्या यही है। डॉ. नवल ने कहा कि व्यंग्य की व्यापकता को समझने की आवश्यकता है। इसमें सूक्ष्म परिवेक्षण हो,अतिरेकता नहीं हो। मुख्य अतिथि व्यंग्य आलोचक सुभाष चंदर ने चिंता व्यक्त की कि हम अपने सरोकारों को लेकर लापरवाह होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्य लिए हमारे पास दृष्टि, सरोकार, शिल्प और साहस का होना जरूरी है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि अगर हमें अपने भीतर के व्यंग्यकार को बचाना है तो हमें मौजूदा स्थितियों पर व्यंग्य लिखना ही पड़ेगा। विशिष्ट अतिथि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के सचिव शरद केवलिया ने कहा कि व्यंग्य हमारी संवेदनाओं को नापने का पैरामीटर है। यह सिर्फ गुदगुदी नहीं करता अपितु हमें वास्तविक स्थितियों से रूबरू करवाता है।

मुख्य वक्ता डॉ. नीरज दइया ने राजस्थानी व्यंग्य की प्राथमिकताएं बताते हुए कहा कि राजस्थानी व्यंग्य में सद्भावना महत्वपूर्ण है। खुद पर व्यंग्य करने की कला होनी चाहिए। व्यंग्यकार समाज की सभी स्थितियों को समझकर लिखेगा तो बेहतर काम होगा।

हिंदी व्यंग्य पर चर्चा करते हुए आलोचक डॉ. बबीता काजल ने कहा कि व्यंग्य का जन्म असंतोष एवं असहमति से होता है। ऐसे में वर्तमान स्थितियों में व्यंग्य के खूब संभावनाएं हैं। हमें इन पर कलम चलानी चाहिए।

इस दौरान डॉ. हरीश नवल की सद्य प्रकाशित पुस्तक ‘गांधी जी का चश्मा’ तथा राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की मासिक पत्रिका ‘जागती जोत’ के नवीन अंक का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मंगत बादल, प्रो. कैलाश भसीन, रंगकर्मी भूपेंद्र सिंह भी मौजूद थे। संचालन डॉ. संदेश त्यागी एवं कृष्णकुमार आशु ने किया। साहित्यकार सुरेंद्र सुंदरम ने स्वागत किया। आभार नोजगे पब्लिक स्कूल के चेयरमैन डॉ. पीएस सूदन ने व्यक्त किया।

साहित्यकारों का मिले सृजन सम्मान

इस मौके पर अध्यापक आनंद मायासुत के सौजन्य से दिया जाने वाला ग्यारह हजार रुपए का माया-मोहन आलोक राजस्थानी सृजन सम्मान बीकानेर के डॉ. मदन केवलिया को, पंडित रामचंद्र शास्त्री स्मृति प्रन्यास, जयपुर के डॉ. वेदप्रकाश शर्मा के सौजन्य से ग्यारह हजार रुपए का डॉ. विद्यासागर शर्मा सृजन सम्मान नई दिल्ली के डॉ. हरीश नवल को, श्री गोपीराम गोयल चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयकुमार गोयल के सौजन्य से ग्यारह हजार रुपए का श्री गोपीराम गोयल सृजन कुंज पुरस्कार सीहोर के पंकज सुबीर को, समाजसेवी प्रहलादराय टाक के सौजन्य से इक्यावन सौ-इक्यावन सौ के सुरजाराम जालीवाला सृजन सम्मान हिंदी जयपुर के पूरन सरमा को व सुरजाराम जालीवाला सृजन सम्मान राजस्थानी बीकानेर के बुलाकी शर्मा को, समाजसेवी संदीप-बॉबी अनेजा के सौजन्य इक्यावन सौ रुपए का श्री सुभाषचंद्र अनेजा साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान लखनऊ से प्रकाशित व्यंग्य पत्रिका अट्टहास के संपादक अनूप श्रीवास्तव को,

अंशुल आहुजा के सौजन्य से इक्यावन सौ रुपए का माता रामदेवी सृजन वागीश्वरी सम्मान नोएडा की अर्चना चतुर्वेदी को तथा साहित्यकार योगराज भाटिया के सौजन्य से इक्यावन सौ रुपए का गीता भाटिया सृजन आलोचना सम्मान सीतापुर (लखनऊ) के राहुलदेव को प्रदान किया जाएगा। अनूप श्रीवास्तव का सम्मान दीनदयाल शर्मा, पूरन शर्मा का सम्मान गोविंद शर्मा एवं राहुलदेव का सम्मान हरिमोहन सारस्वत ने ग्रहण किया। कार्यक्रम में प्रेम जनमेजय, सुभाष चंदर, डॉ. मंगत बादल, शरद केवलिया, डॉ. नीरज दइया एवं डॉ. बबीता काजल को भी शॉल ओढ़ाकर, सम्मान प्रतीक एवं पुस्तकें भेंट करके सम्मानित किया गया।

-कृष्णकुमार आशु

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